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कैथल की कपिस्थल नंदी गौशाला में लंपी स्किन बीमारी की दस्तक, 5 की मौत

हरियाणा में लंपी स्किन बीमारी फैलती जा रही है. कुरुक्षेत्र की कपिस्थल नंदी गौशाला में इस बीमारी से तीन पशुओं की मौत हो चुकी है. ऐसे में गौशाला संचालक ने सरकार से इस बीमारी की दवाई उपलब्ध करवाने की मांग की है.

lumpy skin disease in Kaithal
गोशाला में लगातार वायरस बढ़ रहा
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Published : Aug 12, 2022, 9:22 PM IST

कैथल: पशुओं में लंपी स्किन डिजीज (lumpy skin disease in Kaithal) के मामले बढ़ते जा रहा हैं. कैथल की कपिस्थल नंदी गौशाला में भी इस बीमारी ने दस्तक दे दी है. गौशाला संचालक के मुताबिक इस बीमारी से यहां एक दूध देने वाली गाय समेत 5 पशुओं की मौत हो चुकी है. गौवंश की मौत के कारण गौशाला प्रबंधक समिति चिंता में हैं. इस बीमारी के बचाव के लिए अभी तक उन्हें कोई उपचार नहीं मिला है. प्रबंधक समिति प्रधान शमशेर शर्मा ने बताया कि गौशाला (kaithal Kapisthal Nandi Gaushala) में लगातार वायरस बढ़ रहा है और इसको रोकने का कोई साधन नहीं है.

समिति प्रधान ने बताया कि गौशाला में लगभग 150 गौवंश में लंपी वायरस के लक्षण दिखाई दिए हैं. इन सभी को चिकित्सकों के कहने पर अलग बाड़े में रखा गया है. उन्होंने सरकार और प्रशासन से वायरस को रोकने के लिए दवाइयां और टीकाकरण का प्रबंध करने की मांग की है. अभी तक गौशाला के निजी कोष से डेढ़ लाख रुपये की राशि टीकाकरण व दवाइयां पर खर्च की जा चुकी है. पशु चिकित्सक वेदप्रकाश ने बताया कि गौशाला में टीकाकरण प्रक्रिया को तेज किया गया है और अभी तक लगभग 1000 गोवंश का टीकाकरण किया जा चुका है ताकि वायरस को रोका जा सके.

वहीं शुक्रवार को पशुपालन एवं डेयरी मंत्री जेपी दलाल ने पशुपालन विभाग के अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक में कहा कि लंपी स्किन बीमारी की रोकथाम के लिए राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र हिसार ने वैक्सीन बना ली है. उन्होंने कहा कि वैक्सीन को लेकर उन्होंने केंद्रीय पशुपालन एवं डेयरी मंत्री पुरूषोतम रूपाला से बातचीत की है. उन्होंने अश्वासन दिया कि हरियाणा प्रदेश में जल्द से जल्द ये वैक्सीन उपलब्ध करवा दी जाएगी, ताकि पशुओं में फैली इस बीमारी को रोका जा सके.

लंपी स्किन वायरस के लक्षण: इस बीमारी में पशुओं के शरीर पर चकते बन जाते है. पशु को तेज बुखार आता है. जिसके बाद वो खाना-पीना कम कर देते हैं. बीमारी से जानवर कमजोर होने लगते हैं. हर उम्र और हर वर्ग के पशु को ये बीमारी हो रही है. पशु चिकित्सकों के मुताबिक अभी इस पर रिसर्च चल रहा है, जिसके पूरा होने के बाद ही कुछ कहा जा सकेगा.

कहां से आया लंपी स्किन वायरस? पशु पालकों के अनुसार पहले इस वायरस के केस पाकिस्तान और साथ लगते पंजाब के हिस्सों में मिले थे. अब ये वायरस कैथल तक आ पहुंचा है. अभी तक इसके बारे में कोई खास जानकारी सामने नहीं आई है. बस पशु के शरीर पर चकते पड़ते हैं और वो बीमार हो जाता है. जिसके बाद उसकी मौत हो जाती है.

कैसे फैलता है लंपी स्किन वायरस? प्रारंभिक जांच में पता चला है कि वायरस मच्छर और मक्खी के काटने से एक पशु के शरीर से दूसरे पशु के शरीर में फैल सकता है. इसके अलावा पशुओं की लार के संपर्क में आने से दूसरे पशु में वायरस फैल सकता है.

इंसानों में फैल सकता है वायरस? अभी तक इस बात की पुष्टि नहीं हुई है. इस पर भी शोध जारी है. हालांकि पशु चिकित्सकों ने कहा है कि संक्रमित पशु का दूध पीने से ये वायरस इंसानों में भी फैल सकता है. इसलिए पशु चिकित्सकों ने संक्रमित पशुओं के दूध का इस्तेमाल न करने की सलाह दी है. पशु चिकित्सक डॉक्टर कुलदीप सिंह ने बताया कि संक्रमित पशु को दूसरे पशु से अलग कर देना चाहिए. जैसे ही पशु को बुखार हो या उसके शरीर पर चकते हों तो सीधा उसे डॉक्टर को दिखायें.

कैथल: पशुओं में लंपी स्किन डिजीज (lumpy skin disease in Kaithal) के मामले बढ़ते जा रहा हैं. कैथल की कपिस्थल नंदी गौशाला में भी इस बीमारी ने दस्तक दे दी है. गौशाला संचालक के मुताबिक इस बीमारी से यहां एक दूध देने वाली गाय समेत 5 पशुओं की मौत हो चुकी है. गौवंश की मौत के कारण गौशाला प्रबंधक समिति चिंता में हैं. इस बीमारी के बचाव के लिए अभी तक उन्हें कोई उपचार नहीं मिला है. प्रबंधक समिति प्रधान शमशेर शर्मा ने बताया कि गौशाला (kaithal Kapisthal Nandi Gaushala) में लगातार वायरस बढ़ रहा है और इसको रोकने का कोई साधन नहीं है.

समिति प्रधान ने बताया कि गौशाला में लगभग 150 गौवंश में लंपी वायरस के लक्षण दिखाई दिए हैं. इन सभी को चिकित्सकों के कहने पर अलग बाड़े में रखा गया है. उन्होंने सरकार और प्रशासन से वायरस को रोकने के लिए दवाइयां और टीकाकरण का प्रबंध करने की मांग की है. अभी तक गौशाला के निजी कोष से डेढ़ लाख रुपये की राशि टीकाकरण व दवाइयां पर खर्च की जा चुकी है. पशु चिकित्सक वेदप्रकाश ने बताया कि गौशाला में टीकाकरण प्रक्रिया को तेज किया गया है और अभी तक लगभग 1000 गोवंश का टीकाकरण किया जा चुका है ताकि वायरस को रोका जा सके.

वहीं शुक्रवार को पशुपालन एवं डेयरी मंत्री जेपी दलाल ने पशुपालन विभाग के अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक में कहा कि लंपी स्किन बीमारी की रोकथाम के लिए राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र हिसार ने वैक्सीन बना ली है. उन्होंने कहा कि वैक्सीन को लेकर उन्होंने केंद्रीय पशुपालन एवं डेयरी मंत्री पुरूषोतम रूपाला से बातचीत की है. उन्होंने अश्वासन दिया कि हरियाणा प्रदेश में जल्द से जल्द ये वैक्सीन उपलब्ध करवा दी जाएगी, ताकि पशुओं में फैली इस बीमारी को रोका जा सके.

लंपी स्किन वायरस के लक्षण: इस बीमारी में पशुओं के शरीर पर चकते बन जाते है. पशु को तेज बुखार आता है. जिसके बाद वो खाना-पीना कम कर देते हैं. बीमारी से जानवर कमजोर होने लगते हैं. हर उम्र और हर वर्ग के पशु को ये बीमारी हो रही है. पशु चिकित्सकों के मुताबिक अभी इस पर रिसर्च चल रहा है, जिसके पूरा होने के बाद ही कुछ कहा जा सकेगा.

कहां से आया लंपी स्किन वायरस? पशु पालकों के अनुसार पहले इस वायरस के केस पाकिस्तान और साथ लगते पंजाब के हिस्सों में मिले थे. अब ये वायरस कैथल तक आ पहुंचा है. अभी तक इसके बारे में कोई खास जानकारी सामने नहीं आई है. बस पशु के शरीर पर चकते पड़ते हैं और वो बीमार हो जाता है. जिसके बाद उसकी मौत हो जाती है.

कैसे फैलता है लंपी स्किन वायरस? प्रारंभिक जांच में पता चला है कि वायरस मच्छर और मक्खी के काटने से एक पशु के शरीर से दूसरे पशु के शरीर में फैल सकता है. इसके अलावा पशुओं की लार के संपर्क में आने से दूसरे पशु में वायरस फैल सकता है.

इंसानों में फैल सकता है वायरस? अभी तक इस बात की पुष्टि नहीं हुई है. इस पर भी शोध जारी है. हालांकि पशु चिकित्सकों ने कहा है कि संक्रमित पशु का दूध पीने से ये वायरस इंसानों में भी फैल सकता है. इसलिए पशु चिकित्सकों ने संक्रमित पशुओं के दूध का इस्तेमाल न करने की सलाह दी है. पशु चिकित्सक डॉक्टर कुलदीप सिंह ने बताया कि संक्रमित पशु को दूसरे पशु से अलग कर देना चाहिए. जैसे ही पशु को बुखार हो या उसके शरीर पर चकते हों तो सीधा उसे डॉक्टर को दिखायें.

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