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कैथल में हर साल हजारों लोगों को शिकार बना रहे आवारा कुत्ते, आंखे मूंदे बैठा है प्रशासन! - आवारा कुत्तों का आतंक कैथल

कैथल में आवारा कुत्ते हर साल हजारों लोगों को अपना निशाना बनाते हैं, लेकिन प्रशासन की तरफ से उन पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती. जिसकी वजह से लोगों को आवारा कुत्तों का आतंक झेलना पड़ रहा है.

kaithal people in panic by stray dogs terror
आवारा कुत्तों का आतंक से दहशत में कैथलवासी
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Published : Aug 26, 2020, 10:59 PM IST

Updated : Aug 27, 2020, 6:15 AM IST

कैथल: कुत्ते इंसान के सबसे अच्छे दोस्त माने जाते हैं. ये इंसानी बस्तियों में रहते हैं और इंसानों ने सदियों से इनके साथ रहने की आदत डाली है. क्योंकि गलियों में रहने वाले कुत्ते इलाके के चौकीदार की भूमिका भी अदा करते हैं, लेकिन क्या हो जब ये कुत्ते इंसानों की जान के दुश्मन बन जाएं? क्या हो जब इन कुत्तों की तादाद इतनी ज्यादा हो जाए कि उस इलाके में घर से बाहर निकलना भी दुश्वार हो जाए? इन दिनों कैथल में भी आवारा कुत्तों का आतंक फैला हुआ है. रहा है. जिले में हर साल करीब 6 हजार से 8 हजार तक आवारा कुत्तों के काटने के मामले सामने आ रहे हैं.

कैथल में हर हजारों लोगों को शिकार बना रहे आवारा कुत्ते, आंखे मूंदे बैठा है प्रशासन!

लगभग एक साल पहले कैथल के हरसोला गांव में एक दर्दनाक घटना घटी. जहां 12 साल के एक किशोर को आवारा कुत्तों ने अपना निवाला बना लिया. पुलिस को पोस्टमार्टम के लिए बच्चे के शरीर की सिर्फ एक हड्डी ही मिली.

कुत्तों के काटने के संबंध में जब सीएमओ कैथल जयभगवान से बात की गई. तो उन्होंने बताया कि जिले में रेबीज की वैक्सीन पूरी तरह से उपलब्ध है और ये पीएचसी लेवल पर भी उपलब्ध कराई गई है. उन्होंने कहा कि अगर किसी को कुत्ता काट लेता है. तो उसको इसलिए रेबीज के चार वैक्सीनेशन लगाई जाती हैं. ये इंसान के कंधे, बाजू या कुल्ले पर लगाए जा सकते हैं. ये वैक्सीन 0,3,7 और 28 दिन के अंतराल पर लगाए जाते हैं. सीएमओ ने बताया कि अगर कोई बीपीएल कार्ड धारक है. तो उसको ये वैक्सीन मुफ्त में लगाई जाती है.

रेबीज डे पर कुत्तों को लगाया जाता है रेबीज इंजेक्शन: पशु विभाग

वहीं पशु विभाग में कार्यरत डॉ सुरेंद्र नैन ने कहा कि हम जिले में वर्ल्ड रैबीज डे पर आवारा कुत्तों को एंटी रेबीज के इंजेक्शन लगाने का काम करते हैं और कुत्तों में नसबंदी करने का अभियान भी हम लोग साल में दो-तीन बार करते हैं.

लेकिन जब इस संबंध में ईटीवी भारत की टीम ग्रामीणों से बात की तो उन्होंने कहा कि किसी भी गांव में आज तक उन्होंने ऐसा कोई भी प्रशासन का आदमी नहीं देखा, जो आवारा कुत्तों को पकड़े या उनकी नसबंदी करें. ग्रामीणों ने बताया कि गांव के कुत्ते कितने खूंखार होते जा रहे हैं कि रोजाना छोटे-छोटे बच्चों को खौफ के माहौल में जीना पड़ रहा है.

आवारा कुत्तों को लेकर नहीं आता है कोई फंड: नगर परिषद ईओ

वहीं पशु विभाग के दावों की पड़ताल करने के लिए जब इस बारे में नगर परिषद के ईओ अशोक कुमार से बात की गई. तो उन्होंने कहा कि प्रशासन की तरफ से नगर परिषद के पास कोई भी ऐसा फंड नहीं आता. जिसमें आवारा कुत्तों को एंटी रेबीज के इंजेक्शन लगाया जाए या उनकी नसबंदी की जाए या उनको पकड़ने का काम किया जाए. अगर नगर परिषद को यह काम करना होता है. तो वह अपने स्तर पर करती है. उसके लिए कोई विशेष फंड उनको प्राप्त नहीं होता.

एक तरफ जहां सरकार व प्रशासन आवारा कुत्तों पर नकेल कसने की बात करता है, वहीं दूसरी तरफ आवारा कुत्तों का कहर अभी भी जारी है. देखने वाली बात होगी कि सरकार और प्रशासन इन आवारा कुत्तों की समस्या का समाधान कब तक करती है.

ये भी पढ़ें: अनलॉक के बाद भी पटरी पर नहीं लौट रहा आइसक्रीम व्यवसाय, हर महीने हो रहा लाखों का नुकसान

कैथल: कुत्ते इंसान के सबसे अच्छे दोस्त माने जाते हैं. ये इंसानी बस्तियों में रहते हैं और इंसानों ने सदियों से इनके साथ रहने की आदत डाली है. क्योंकि गलियों में रहने वाले कुत्ते इलाके के चौकीदार की भूमिका भी अदा करते हैं, लेकिन क्या हो जब ये कुत्ते इंसानों की जान के दुश्मन बन जाएं? क्या हो जब इन कुत्तों की तादाद इतनी ज्यादा हो जाए कि उस इलाके में घर से बाहर निकलना भी दुश्वार हो जाए? इन दिनों कैथल में भी आवारा कुत्तों का आतंक फैला हुआ है. रहा है. जिले में हर साल करीब 6 हजार से 8 हजार तक आवारा कुत्तों के काटने के मामले सामने आ रहे हैं.

कैथल में हर हजारों लोगों को शिकार बना रहे आवारा कुत्ते, आंखे मूंदे बैठा है प्रशासन!

लगभग एक साल पहले कैथल के हरसोला गांव में एक दर्दनाक घटना घटी. जहां 12 साल के एक किशोर को आवारा कुत्तों ने अपना निवाला बना लिया. पुलिस को पोस्टमार्टम के लिए बच्चे के शरीर की सिर्फ एक हड्डी ही मिली.

कुत्तों के काटने के संबंध में जब सीएमओ कैथल जयभगवान से बात की गई. तो उन्होंने बताया कि जिले में रेबीज की वैक्सीन पूरी तरह से उपलब्ध है और ये पीएचसी लेवल पर भी उपलब्ध कराई गई है. उन्होंने कहा कि अगर किसी को कुत्ता काट लेता है. तो उसको इसलिए रेबीज के चार वैक्सीनेशन लगाई जाती हैं. ये इंसान के कंधे, बाजू या कुल्ले पर लगाए जा सकते हैं. ये वैक्सीन 0,3,7 और 28 दिन के अंतराल पर लगाए जाते हैं. सीएमओ ने बताया कि अगर कोई बीपीएल कार्ड धारक है. तो उसको ये वैक्सीन मुफ्त में लगाई जाती है.

रेबीज डे पर कुत्तों को लगाया जाता है रेबीज इंजेक्शन: पशु विभाग

वहीं पशु विभाग में कार्यरत डॉ सुरेंद्र नैन ने कहा कि हम जिले में वर्ल्ड रैबीज डे पर आवारा कुत्तों को एंटी रेबीज के इंजेक्शन लगाने का काम करते हैं और कुत्तों में नसबंदी करने का अभियान भी हम लोग साल में दो-तीन बार करते हैं.

लेकिन जब इस संबंध में ईटीवी भारत की टीम ग्रामीणों से बात की तो उन्होंने कहा कि किसी भी गांव में आज तक उन्होंने ऐसा कोई भी प्रशासन का आदमी नहीं देखा, जो आवारा कुत्तों को पकड़े या उनकी नसबंदी करें. ग्रामीणों ने बताया कि गांव के कुत्ते कितने खूंखार होते जा रहे हैं कि रोजाना छोटे-छोटे बच्चों को खौफ के माहौल में जीना पड़ रहा है.

आवारा कुत्तों को लेकर नहीं आता है कोई फंड: नगर परिषद ईओ

वहीं पशु विभाग के दावों की पड़ताल करने के लिए जब इस बारे में नगर परिषद के ईओ अशोक कुमार से बात की गई. तो उन्होंने कहा कि प्रशासन की तरफ से नगर परिषद के पास कोई भी ऐसा फंड नहीं आता. जिसमें आवारा कुत्तों को एंटी रेबीज के इंजेक्शन लगाया जाए या उनकी नसबंदी की जाए या उनको पकड़ने का काम किया जाए. अगर नगर परिषद को यह काम करना होता है. तो वह अपने स्तर पर करती है. उसके लिए कोई विशेष फंड उनको प्राप्त नहीं होता.

एक तरफ जहां सरकार व प्रशासन आवारा कुत्तों पर नकेल कसने की बात करता है, वहीं दूसरी तरफ आवारा कुत्तों का कहर अभी भी जारी है. देखने वाली बात होगी कि सरकार और प्रशासन इन आवारा कुत्तों की समस्या का समाधान कब तक करती है.

ये भी पढ़ें: अनलॉक के बाद भी पटरी पर नहीं लौट रहा आइसक्रीम व्यवसाय, हर महीने हो रहा लाखों का नुकसान

Last Updated : Aug 27, 2020, 6:15 AM IST
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