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कैथल में संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले हुई बैठक, लिया ये बड़ा फैसला

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Published : Jan 17, 2021, 5:34 PM IST

रविवार को कैथल में संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले बैठक का आयोजन हुआ. इस बैठक में पूरे जिले से किसान आए. किसानों ने बैठक में फैसला लिया कि 26 जनवरी की परेड के लिए कैथल से 4 से 5 हजार ट्रैक्टर दिल्ली की ओर कूच करेंगे.

kaithal farmers protest
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कैथल: हनुमान वाटिका पार्क में संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले जिला भर से किसान आए और एक मीटिंग का आयोजन हुआ. इस मीटिंग में ये तय किया गया कि जिले से 4 हजार के करीब ट्रैक्टर दिल्ली की ओर कूच करेंगे. इसमें महिलाओं की भी भागीदारी रहेगी.

18 तारीख को दिल्ली बॉर्डर पर महिला दिवस मनाया जाएगा. जिसमें महिलाएं पूरे दिन रहेंगी. किसानों की रणनीति साफ है 26 तारीख को दिल्ली में प्रवेश करेंगे और ट्रैक्टर परेड का आयोजन किया जाएगा. इसको लेकर किसान नेताओं ने कहा कि चार-पांच महीने से जागरुकता अभियान चला हुआ है. अब अनपढ़ से अनपढ़ किसान को भी कृषि कानूनों के बारे में पता है.

ये भी पढ़ें- चरखी दादरी की सड़कों पर दौड़ते दिखे हजारों ट्रैक्टर, किसान बोले- ये सिर्फ ट्रेलर है

किसान नेताओं ने कहा कि सरकार अब किसानों की आवाज को दबाना चाहती है. एनआई के माध्यम से किसानों को नोटिस जारी किए गए हैं. पंजाब से आने वाली बसों को भी नोटिस जारी किए हैं, लेकिन किसानों को इससे कोई फर्क पड़ने वाला नहीं है. सरकार को चाहिए कि हमारी आवाज सुने. किसान अपनी जान की कुर्बानी देने से भी पीछे नहीं हटेंगे.

कैथल: हनुमान वाटिका पार्क में संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले जिला भर से किसान आए और एक मीटिंग का आयोजन हुआ. इस मीटिंग में ये तय किया गया कि जिले से 4 हजार के करीब ट्रैक्टर दिल्ली की ओर कूच करेंगे. इसमें महिलाओं की भी भागीदारी रहेगी.

18 तारीख को दिल्ली बॉर्डर पर महिला दिवस मनाया जाएगा. जिसमें महिलाएं पूरे दिन रहेंगी. किसानों की रणनीति साफ है 26 तारीख को दिल्ली में प्रवेश करेंगे और ट्रैक्टर परेड का आयोजन किया जाएगा. इसको लेकर किसान नेताओं ने कहा कि चार-पांच महीने से जागरुकता अभियान चला हुआ है. अब अनपढ़ से अनपढ़ किसान को भी कृषि कानूनों के बारे में पता है.

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किसान नेताओं ने कहा कि सरकार अब किसानों की आवाज को दबाना चाहती है. एनआई के माध्यम से किसानों को नोटिस जारी किए गए हैं. पंजाब से आने वाली बसों को भी नोटिस जारी किए हैं, लेकिन किसानों को इससे कोई फर्क पड़ने वाला नहीं है. सरकार को चाहिए कि हमारी आवाज सुने. किसान अपनी जान की कुर्बानी देने से भी पीछे नहीं हटेंगे.

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