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कैथल: जेबीटी टीचर सुभाष बने HCS, तीसरे प्रयास में पास की परीक्षा - subhash chandra hcs haryana

काकौत (कैथल) निवासी सुभाष चंद्र ने एचसीएस की परीक्षा पास कर ली है. उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता और अपनी पत्नी को दिया है. उनकी इस कामयाबी से पूरे गांव में खुशी का माहौल है.

JBT teacher Subhash becomes HCS
JBT teacher Subhash becomes HCS
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Published : Jan 5, 2020, 8:54 AM IST

कैथल: जिले के गांव काकौत के डॉ. सुभाष चंद्र एचसीएस (एग्जीक्यूटिव) बन गए हैं. सिंचाई विभाग में फूल सिंह के बेटे डॉ. सुभाष चंद्र वर्ष 2011 में जेबीटी अध्यापक नियुक्त हुए थे. उसके बाद से ही उन्होंने एचसीएस की तैयारियां जारी रखी. तीसरे प्रयास में उन्होंने एचसीएस की परीक्षा पास की और साक्षात्कार के बाद आए परिणाम में जब उनका नाम घोषित हुआ तो समाज के लोगों में भी खुशी की लहर दौड़ गई.

रंग लाई डॉ. सुभाष की मेहनत
डॉ. सुभाष चंद्र ने मीडिया के साथ बातचीत में कहा कि उनका सपना था कि वो हरियाणा सिविल सर्विसिज में जाएं. सुभाष ने अपनी 12 वीं तक की शिक्षा सरकारी स्कूल से की. 4 भाइयों में दूसरे नंबर पर डॉ. सुभाष ने बताया कि उनके बड़े भाई रामधारी टीवी मैकेनिक हैं. वो वर्ष 2011 में जेबीटी अध्यापक नियुक्त हुए थे. उनके छोटे भाई वीरकरण सेना में हैं और उनसे छोटे बृजपाल बी-टैक करने के बाद कंपीटीशन एग्जाम की तैयारी कर रहे हैं.

जेबीटी टीचर सुभाष बने HCS, देखें वीडियो

ये भी पढ़ें- आर-पार की लड़ाई के लिए तैयार हरियाणा रोडवेज! सरकार फैसले पर कायम, क्या होगा परिणाम?

डॉ. सुभाष ने बताया कि वर्ष 2012 और 2014 में भी उन्होंने एचसीएस के एग्जाम दिए थे. जिसमें प्री-एग्जाम भी पास नहीं हुआ था, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी. अपनी मेहनत के स्तर को ओर अधिक बढ़ा दिया. बतौर जेबीटी अध्यापक गुहला के गांव हेमू माजरा में ड्यूटी के बावजूद वो लगातार तैयारी करते रहे.

डाॉ. सुभाष ने कहा की उनकी पहली प्राथमिकता युवाओं को नशे से दूर रखना होगी. उनकी पत्नी कमलेश ने कहा कि मेरी इच्छा है की मेरे पति अपना काम पूरी ईमानदारी और पारदर्शिता से करें.

कैथल: जिले के गांव काकौत के डॉ. सुभाष चंद्र एचसीएस (एग्जीक्यूटिव) बन गए हैं. सिंचाई विभाग में फूल सिंह के बेटे डॉ. सुभाष चंद्र वर्ष 2011 में जेबीटी अध्यापक नियुक्त हुए थे. उसके बाद से ही उन्होंने एचसीएस की तैयारियां जारी रखी. तीसरे प्रयास में उन्होंने एचसीएस की परीक्षा पास की और साक्षात्कार के बाद आए परिणाम में जब उनका नाम घोषित हुआ तो समाज के लोगों में भी खुशी की लहर दौड़ गई.

रंग लाई डॉ. सुभाष की मेहनत
डॉ. सुभाष चंद्र ने मीडिया के साथ बातचीत में कहा कि उनका सपना था कि वो हरियाणा सिविल सर्विसिज में जाएं. सुभाष ने अपनी 12 वीं तक की शिक्षा सरकारी स्कूल से की. 4 भाइयों में दूसरे नंबर पर डॉ. सुभाष ने बताया कि उनके बड़े भाई रामधारी टीवी मैकेनिक हैं. वो वर्ष 2011 में जेबीटी अध्यापक नियुक्त हुए थे. उनके छोटे भाई वीरकरण सेना में हैं और उनसे छोटे बृजपाल बी-टैक करने के बाद कंपीटीशन एग्जाम की तैयारी कर रहे हैं.

जेबीटी टीचर सुभाष बने HCS, देखें वीडियो

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डॉ. सुभाष ने बताया कि वर्ष 2012 और 2014 में भी उन्होंने एचसीएस के एग्जाम दिए थे. जिसमें प्री-एग्जाम भी पास नहीं हुआ था, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी. अपनी मेहनत के स्तर को ओर अधिक बढ़ा दिया. बतौर जेबीटी अध्यापक गुहला के गांव हेमू माजरा में ड्यूटी के बावजूद वो लगातार तैयारी करते रहे.

डाॉ. सुभाष ने कहा की उनकी पहली प्राथमिकता युवाओं को नशे से दूर रखना होगी. उनकी पत्नी कमलेश ने कहा कि मेरी इच्छा है की मेरे पति अपना काम पूरी ईमानदारी और पारदर्शिता से करें.

Intro:

काकौत निवासी जेबीटी टीचर सुभाष बने एचसीएस (एग्जीक्यूटिव)

-अब गुरूजी कहलायेंगे एचसीएस 

-तीसरे प्रयास में एचसीएस की परीक्षा पास की  

-घर और गाँव में ख़ुशी का माहोल 

-युवाओं को नशे से दूर रखना होगी उनकी पहली प्राथमिकता 

-युवा आगे बढेगा तो देश भी आगे बढेगा Body:

कैथल जिले के गांव काकौत के मूल निवासी सेक्टर 19-20 में रह रहे डा. सुभाष चंद्र एचसीएस (एग्जीक्यूटिव) बन गए हैं। सिंचाई विभाग में मेट फूल सिंह के बेटे डा. सुभाष चंद्र वर्ष 2011 में जेबीटी अध्यापक नियुक्त हुए थे। उसके बाद से ही उन्होंने  एचसीएस की तैयारियां जारी रखी। तीसरे प्रयास में उन्होंने एचसीएस की परीक्षा पास की और साक्षात्कार के बाद  आए परिणाम में जब उनका नाम घोषित हुआ तो समाज के लोगों में भी खुशी की लहर दौड़ गई। 

डा. सुभाष चंद्र ने मीडिया के साथ बातचीत में कहा कि उनका सपना था कि वे हरियाणा सिविल सर्विसिज में जाएं। सुभाष ने अपनी 12 वीं तक की शिक्षा सरकारी स्कूल से की।  4 भाईयों में दूसरे नंबर पर डा. सुभाष ने बताया कि उनके बड़े भाई रामधारी टीवी मैकेनिक हैं। वे वर्ष 2011 में जेबीटी अध्यापक नियुक्त हुए थे। उनसे छोटे भाई वीरकरण सेना में हैं और उनसे छोटे बृजपाल बी.टैक करने के बाद कंपीटीशन एग्जाम की तैयारी कर रहे हैं। वे वर्ष 2011 से ही एचसीएस की तैयारी कर रहे हैं। वर्ष 2012 व 2014 में भी उन्होंने एचसीएस के एग्जाम दिए थे। जिसमें प्री-एग्जाम भी पास नहीं हुआ था। लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। अपनी मेहनत के स्तर को ओर अधिक बढ़ा दिया। बतौर जेबीटी अध्यापक गुहला के गांव हेमू माजरा में ड्यूटी के बावजूद वे लगातार तैयारी करते रहे। इसके लिए उनका आने-जाने में काफी समय लगता था। फिर भी उन्होंने तैयारी में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। शनिवार व रविवार को वे दिल्ली में जाकर भी कोचिंग लेते थे। इसके बाद सिगमा में संध्याकालीन बैच में कक्षाएं लगाईं।
सरकारी अध्यापक होने के कारण जब तैयारियों में समय कम मिलने लगा तो अपनी सभी तरह की छुट्टियां भी तैयारियों में खर्च कर दी। 
Conclusion:.सफलता का श्रेय माता-पिता को देने के साथ-साथ वह इस सफलता के लिए कानूनगो धर्मबीर प्रजापति का मार्गदर्शन भी मानते हैं। डा. सुभाष की मेहनत रंग लाई और वे आज एचसीएस बन गए हैं।  डा. सुभाष ने कहा की उनकी पहली प्राथमिकता युवाओं  को नशे से दूर रखना होगी , उनकी पत्नी कमलेश ने कहा  मेरी इच्छा है की  मेरे पति अपना काम पूरी इमानदारी और पारदर्शिता से करे ! 
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