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हरियाणा में मोतियाबिंद के ऑपरेशन से जिंदगी में छाया अंधेरा, ऑपरेशन थियरेटर भी किया बंद, जानें कहां और कैसे - Haryana Health Department

जींद के नागरिक अस्पताल में 30 मई को हुए मोतियाबिंद ऑपरेशन के दौरान (Infection in cataract operation in Jind Civil Hospital) 4 मरीजों की आंखों में संक्रमण फैल गया. इनमें से एक मरीज की आंख को निकालना पड़ा है. वहीं शेष तीन अभी भर्ती हैं. इस घटना के सामने आने के बाद जींद नागरिक अस्पताल के ऑपरेशन थियरेटर को बंद कर दिया गया है.

Infection in cataract operation in Jind Civil Hospital
हरियाणा में मोतियाबिंद के ऑपरेशन से जिंदगी में छाया अंधेरा
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Published : Jun 10, 2023, 3:33 PM IST

Updated : Jun 10, 2023, 3:57 PM IST

मोतियाबिंद ऑपरेशन के दौरान 4 मरीजों की आंखों में संक्रमण

कैथल: जींद अस्पताल में आंखों का ऑपरेशन के चार दिन बाद इन सभी की आंखों में संक्रमण फैल गया. संक्रमण इतना गंभीर था कि रोहतक पीजीआई डाक्टरों को पीड़ित की सर्जरी कर आंख निकालनी पड़ी. अन्य तीन मरीज यहां से छुट्टी लेकर निजी अस्पताल में इलाज कराने चले गए हैं. स्वास्थ विभाग के पास अब इन मरीजों के संबंध में कोई जानकारी नहीं है. वहीं जींद अस्पताल में ऑपरेशन थिएटर बंद कर दिया गया है. जींद नागरिक अस्पताल में मोतियाबिंद का ऑपरेशन करने के बाद चार मरीजों की आंखों में संक्रमण चिकित्सक की लापरवाही से हुआ है या किसी अन्य कारण से, इसका खुलासा कल्चर रिपोर्ट आने के बाद ही पता चल सकेगा.



प्रदेश में इस प्रकार मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद आंखों में संक्रमण के मामले पहले भी आ चुके हैं. वर्ष 2015 में पानीपत में एक गैर सरकारी संगठन ने लोगों के मोतियाबिंद के ऑपरेशन करवाए थे. मोतियाबिंद का ऑपरेशन करने के बाद 40 में से 14 लोगों की आंखों में संक्रमण फैल गया था. समय पर जांच व इलाज नहीं होने के कारण इन 14 लोगों को अपनी आंखों को खोना पड़ा था. स्वास्थ्य विभाग ने इस मामले की जांच भी कराई, लेकिन संक्रमण फैलने के कारणों के बारे में पता नहीं चल सका.

ये भी पढ़ें : EYE DISEASES:आंखो के इन लक्षणों को हल्के में लेना पड़ेगा भारी, बरतें ये सावधानी

वहीं 2019 में भिवानी व कुरुक्षेत्र के सरकारी अस्पतालों में लोगों के मोतियाबिंद के ऑपरेशन किए गए थे. यहां 40 मरीजों की आंखों में संक्रमण फैल गया था, जिनको पीजीआई रोहतक में दाखिल कराना पड़ा था. झज्जर में भी इस प्रकार की समस्या आई थी. यहां दो मरीजों की 50 फीसदी रोशनी चली गई थी. भिवानी के सरकारी अस्पताल में भी चार साल पहले ऐसे ही मामले सामने आए थे. यहां से भी 11 मरीजों को पीजीआई रोहतक रेफर किया गया था. यहां पर तीन चिकित्सकों की एक कमेटी बनाकर मरीजों की जांच की गई थी. काफी हद तक इन मरीजों की आंखें खराब हो गई थी.



ऑपरेशन के दौरान व बाद में बरतें सावधानी: नेत्र विशेषज्ञों का कहना है कि आंखों में ऑपरेशन के बाद थोड़ी सी गंदगी भी इंफेक्शन का कारण बन सकती है. ऑपरेशन के दौरान आंख धोने में इस्तेमाल होने वाले फ्लूड में गड़बड़ी होने से खराबी हो सकती है. अक्सर फ्लूड की एक ही बोतल कई मरीजों में प्रयोग कर दी जाती है. इससे एक साथ कई लोगों में इंफेक्शन हो जाता है. औजारों को ठीक से स्टरलाइज नहीं कर पाने या ग्लव्स के साफ नहीं होने से भी इंफेक्शन हो सकता है.


ऑपरेशन के बाद यह रखें सावधानी: नेत्र रोग विशेषज्ञ एवं नरवाना नागरिक अस्पताल के प्रभारी डॉ. देवेंद्र बिंदलिश ने कहा कि ऑपरेशन के बाद आंखों को धूल व मिट्टी से बचाना चाहिए. आंखों में किसी प्रकार की गंदगी नहीं जानी चाहिए. चिकित्सक द्वारा जब तक नहीं कहा जाए, हरा कपड़ा आंखों से नहीं हटाना चाहिए. तेज रोशनी में आंखें नहीं खोलनी चाहिए. चिकित्सक द्वारा दिए गए चश्मे का हमेशा प्रयोग करना चाहिए.

ये भी पढ़ें : गुरुग्राम जिला हो सकता है मोतियाबिंद फ्री, कैंप लगाकर किया जाएगा फ्री इलाज

इसके साथ ही सिर पर बोझ नहीं उठाना चाहिए ताकि आंखों पर दबाव नहीं पड़े. नहाते समय आंखों को बचाकर रखें और बाद में गर्म पानी में रुई डालकर आंखों की सफाई करनी चाहिए. डॉक्टर के बताए अनुसार समय-समय पर दवाई आंखों में डालनी चाहिए. कब्ज व खांसी नहीं होनी चाहिए. इससे आंखों पर जोर पड़ता है. जिन लोगों का ऑपरेशन हुआ हो, उनको बच्चों व पशुओं से दूर रहना चाहिए. ज्यादा काम की बजाय आराम करना चाहिए.

जींद अस्पताल में ऑपरेशन थिएटर बंद: डॉ. गीतांशु ने बताया कि उन्होंने खुद ऑपरेशन थिएटर व अन्य सामान के टेस्ट करवाए हैं. इसमें फिलहाल संक्रमण फैलने का कोई कारण नजर नहीं आया है. एक टेस्ट की रिपोर्ट आ चुकी है, जो कि सामान्य है. जबकि कल्चर टेस्ट की रिपोर्ट अभी आना बाकी है. अस्पताल प्रशासन को इंफेक्शन होने के बारे में पता चलने पर तुरंत ऑपरेशन थिएटर को बंद कर दिया गया. पूरे थिएटर को सैनिटाइज और औजारों को स्टरलाइज किया गया है. जब तक जांच रिपोर्ट नहीं आ जाती है, तब तक ऑपरेशन थिएटर बंद रखा जाएगा.


क्या है कल्चर एरोबिक टेस्ट : कल्चर टेस्ट शरीर में संक्रामक जीवों की जांच करने के लिए किया जाता है. एरोबिक कल्चर टेस्ट पस (मवाद) में एरोबिक बैक्टीरिया की जांच के लिए किया जाता है. पस एक पीले रंग का द्रव्य है, जो कि संक्रमण के स्थान पर बन जाता है. एरोबिक बैक्टीरिया को बढ़ने व विकसित होने के लिए ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है और इसीलिए यह आमतौर पर त्वचा पर संक्रमण फैलाते हैं. पस में विभिन्न प्रकार के सूक्ष्म जीव हो सकते हैं, जिनकी जांच इलाज करने के लिए और घाव को जल्दी ठीक करने के लिए की जाती है. यदि हवा में बैक्टीरिया बढ़ जाए तो संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है. (प्रेस नोट)

मोतियाबिंद ऑपरेशन के दौरान 4 मरीजों की आंखों में संक्रमण

कैथल: जींद अस्पताल में आंखों का ऑपरेशन के चार दिन बाद इन सभी की आंखों में संक्रमण फैल गया. संक्रमण इतना गंभीर था कि रोहतक पीजीआई डाक्टरों को पीड़ित की सर्जरी कर आंख निकालनी पड़ी. अन्य तीन मरीज यहां से छुट्टी लेकर निजी अस्पताल में इलाज कराने चले गए हैं. स्वास्थ विभाग के पास अब इन मरीजों के संबंध में कोई जानकारी नहीं है. वहीं जींद अस्पताल में ऑपरेशन थिएटर बंद कर दिया गया है. जींद नागरिक अस्पताल में मोतियाबिंद का ऑपरेशन करने के बाद चार मरीजों की आंखों में संक्रमण चिकित्सक की लापरवाही से हुआ है या किसी अन्य कारण से, इसका खुलासा कल्चर रिपोर्ट आने के बाद ही पता चल सकेगा.



प्रदेश में इस प्रकार मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद आंखों में संक्रमण के मामले पहले भी आ चुके हैं. वर्ष 2015 में पानीपत में एक गैर सरकारी संगठन ने लोगों के मोतियाबिंद के ऑपरेशन करवाए थे. मोतियाबिंद का ऑपरेशन करने के बाद 40 में से 14 लोगों की आंखों में संक्रमण फैल गया था. समय पर जांच व इलाज नहीं होने के कारण इन 14 लोगों को अपनी आंखों को खोना पड़ा था. स्वास्थ्य विभाग ने इस मामले की जांच भी कराई, लेकिन संक्रमण फैलने के कारणों के बारे में पता नहीं चल सका.

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वहीं 2019 में भिवानी व कुरुक्षेत्र के सरकारी अस्पतालों में लोगों के मोतियाबिंद के ऑपरेशन किए गए थे. यहां 40 मरीजों की आंखों में संक्रमण फैल गया था, जिनको पीजीआई रोहतक में दाखिल कराना पड़ा था. झज्जर में भी इस प्रकार की समस्या आई थी. यहां दो मरीजों की 50 फीसदी रोशनी चली गई थी. भिवानी के सरकारी अस्पताल में भी चार साल पहले ऐसे ही मामले सामने आए थे. यहां से भी 11 मरीजों को पीजीआई रोहतक रेफर किया गया था. यहां पर तीन चिकित्सकों की एक कमेटी बनाकर मरीजों की जांच की गई थी. काफी हद तक इन मरीजों की आंखें खराब हो गई थी.



ऑपरेशन के दौरान व बाद में बरतें सावधानी: नेत्र विशेषज्ञों का कहना है कि आंखों में ऑपरेशन के बाद थोड़ी सी गंदगी भी इंफेक्शन का कारण बन सकती है. ऑपरेशन के दौरान आंख धोने में इस्तेमाल होने वाले फ्लूड में गड़बड़ी होने से खराबी हो सकती है. अक्सर फ्लूड की एक ही बोतल कई मरीजों में प्रयोग कर दी जाती है. इससे एक साथ कई लोगों में इंफेक्शन हो जाता है. औजारों को ठीक से स्टरलाइज नहीं कर पाने या ग्लव्स के साफ नहीं होने से भी इंफेक्शन हो सकता है.


ऑपरेशन के बाद यह रखें सावधानी: नेत्र रोग विशेषज्ञ एवं नरवाना नागरिक अस्पताल के प्रभारी डॉ. देवेंद्र बिंदलिश ने कहा कि ऑपरेशन के बाद आंखों को धूल व मिट्टी से बचाना चाहिए. आंखों में किसी प्रकार की गंदगी नहीं जानी चाहिए. चिकित्सक द्वारा जब तक नहीं कहा जाए, हरा कपड़ा आंखों से नहीं हटाना चाहिए. तेज रोशनी में आंखें नहीं खोलनी चाहिए. चिकित्सक द्वारा दिए गए चश्मे का हमेशा प्रयोग करना चाहिए.

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इसके साथ ही सिर पर बोझ नहीं उठाना चाहिए ताकि आंखों पर दबाव नहीं पड़े. नहाते समय आंखों को बचाकर रखें और बाद में गर्म पानी में रुई डालकर आंखों की सफाई करनी चाहिए. डॉक्टर के बताए अनुसार समय-समय पर दवाई आंखों में डालनी चाहिए. कब्ज व खांसी नहीं होनी चाहिए. इससे आंखों पर जोर पड़ता है. जिन लोगों का ऑपरेशन हुआ हो, उनको बच्चों व पशुओं से दूर रहना चाहिए. ज्यादा काम की बजाय आराम करना चाहिए.

जींद अस्पताल में ऑपरेशन थिएटर बंद: डॉ. गीतांशु ने बताया कि उन्होंने खुद ऑपरेशन थिएटर व अन्य सामान के टेस्ट करवाए हैं. इसमें फिलहाल संक्रमण फैलने का कोई कारण नजर नहीं आया है. एक टेस्ट की रिपोर्ट आ चुकी है, जो कि सामान्य है. जबकि कल्चर टेस्ट की रिपोर्ट अभी आना बाकी है. अस्पताल प्रशासन को इंफेक्शन होने के बारे में पता चलने पर तुरंत ऑपरेशन थिएटर को बंद कर दिया गया. पूरे थिएटर को सैनिटाइज और औजारों को स्टरलाइज किया गया है. जब तक जांच रिपोर्ट नहीं आ जाती है, तब तक ऑपरेशन थिएटर बंद रखा जाएगा.


क्या है कल्चर एरोबिक टेस्ट : कल्चर टेस्ट शरीर में संक्रामक जीवों की जांच करने के लिए किया जाता है. एरोबिक कल्चर टेस्ट पस (मवाद) में एरोबिक बैक्टीरिया की जांच के लिए किया जाता है. पस एक पीले रंग का द्रव्य है, जो कि संक्रमण के स्थान पर बन जाता है. एरोबिक बैक्टीरिया को बढ़ने व विकसित होने के लिए ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है और इसीलिए यह आमतौर पर त्वचा पर संक्रमण फैलाते हैं. पस में विभिन्न प्रकार के सूक्ष्म जीव हो सकते हैं, जिनकी जांच इलाज करने के लिए और घाव को जल्दी ठीक करने के लिए की जाती है. यदि हवा में बैक्टीरिया बढ़ जाए तो संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है. (प्रेस नोट)

Last Updated : Jun 10, 2023, 3:57 PM IST
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