कैथल: शुक्रवार को कैथल में गीता जयंती समारोह (geeta jayanti program in kaithal) का उद्घाटन किया गया. राज्यमंत्री कमलेश ढांडा ने शहीद उदय सिंह किला कैथल पर इस समारोह का उद्घाटन किया. इस उद्घाटन समारोह में कई खामियां नजर आई. ये समारोह मात्र दर्जन स्कूली बच्चों में सिमट कर रह गया. जिनके कंधों पर प्राचर प्रसार की जिम्मेदारी थी, उसी लोक संपर्क विभाग का पंडाल खाली रहा.
जिले के नागरिकों ने भी इस कार्यक्रम को लेकर कोई उत्सुक्ता नहीं दिखाई. जब कुर्सियां खाली दिखी तो आनन-फानन में सरकारी स्कूल के बच्चों को बुलाकर दर्शक बनाया गया. कार्यक्रम में कुछ विशेष नहीं होने के चलते राज्यमंत्री (state minister kamlesh dhanda) बीच में ही छोड़कर चली गई. एक तरफ सरकार द्वारा राज्य में जिला स्तर पर गीता जयंती समारोह मनाने को लेकर करोड़ों रुपये खर्च किए जाते हैं. तो दूसरी तरफ कैथल जिला प्रशासन के पास शायद राष्ट्रीय ध्वज खरीदने के ही पैसे नहीं हैं.
ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि कैथल के जिस शहीद उदय सिंह किले पर गीता जयंती के प्रोग्राम का आयोजन किया जा रहा था. उस किले के ऊपर लगे पोल पर राष्ट्रीय ध्वज ही नहीं लगाया गया. बताते चलें कि कुछ महीने पहले ही सरकार ने हर घर तिरंगा अभियान चलाया था. जिसको लेकर सभी सरकारी स्मारक व सरकारी कार्यालयों पर राष्ट्रीय ध्वज लगाना अनिवार्य किया गया था. हर घर तिरंगा अभियान को सफल बनाने के लिए सरकारी राशन की दुकानों पर 20 से ₹22 प्रति झंडे की दर से बेचा गया था.
इसके बाद भी शायद कैथल जिला प्रशासन के पास ₹20 रुपए का झंडा खरीदने के ही पैसे नहीं थे. राज्य मंत्री के आने से पहले जिला प्रशासन ने अपनी साख को बचाने के लिए आनन-फानन में पास लगते दो सरकारी स्कूलों के बच्चों को जबरदस्ती बुलाकर खाली कुर्सियां भरी. इस मामले को लेकर जब राज्य मंत्री कमलेश ढांडा से बात की गई तो उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय ध्वज हमारी शान है और हम सभी की जिम्मेदारी बनती है कि हम हमारे राष्ट्रीय ध्वज का सम्मान करें. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय ध्वज को लेकर उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दे दिए हैं.