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फटे जूतों से प्रैक्टिस करने को मजबूर बलकार, सरकार से की सहयोग की अपील - देश का गौरव

जिले में फुटबॉल खेलते एक बच्चे का वीडियो लगातार लोगों के सामने आ रहा है. 12 साल के इस बच्चे का वीडियो जो भी देख रहा है वो हैरान हो रहा है. इस बच्चे और उसके कोच से खास बातचीत की ईटीवी भारत के संवाददाता ने.

अनोखी प्रतिभा का धनी
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Published : Jun 29, 2019, 2:34 PM IST

कैथल: जिसमें कुछ कर दिखाने की ललक हो तो वो तूफान से भी अपना लोहा मनवाने में कामयाब हो जाते हैं. लग्न और मेहनत से किया हर काम किसी आम इंसान को भी विशेष बना देता है. कैथल में फुटबॉल खेलते एक बच्चे का वीडियो लगातार लोगों द्वारा देखा जा रहा है.

फुटबॉल में हासिल की महारथ
ये गांव जाजनपुर का बलकार है जो महज 12 साल का है और अगर इसे कोई खेलते हुए देखे, तो बड़े-बड़े दंग रह जाएंगे. फुटबॉल के लिए जुनून इतना कि घर के हर कोने में फुटबॉल रखी हुई है. बलकार गांव जाजनपुर के बेहद गरीब परिवार से संबंध रखता है. घर में माता-पिता और एक बड़ा भाई है. एक तंग सी गली में बलकार का साधारण सा घर है लेकिन प्रतिभा बिल्कुल भी साधारण नहीं है. उसी तंग गली से साइकिल पर प्रैक्टिस के लिए जाना बलकार का हर रोज का काम है.

फटे जूतों में करता है प्रैक्टिस
गांव की व्यायामशाला में हर रोज बलकार फटे जूतों के साथ फुटबॉल की प्रैक्टिस करता है. खेल में इतना माहिर की छोटी सी उम्र में ही फुटबॉल पर गजब का कंट्रोल और अद्भुत प्रतिभा.

क्लिक कर देखें वीडियो

अलग अंदाज में काम करना आदत
बलकार के कोच और उनकी मां ने बताया कि बचपन से ही कुछ अलग करने का हुनर इसमें है. हर काम को बड़े ही अलग अंदाज में करना इसकी आदत है

बलकार निखर कर आया सामने
कोच सुमित ने बताया कि गांव में कुछ ऐसे बच्चे थे जो आवारा फिरते थे और गरीब परिवारों से थे. मैंने उन्हें कुछ ऐसा देने की सोची की वो कामयाब हो और फिर क्या उनकी फुटबॉल की ट्रेंनिंग शुरू करवाई. धीरे-धीरे उनकी रुचि बढ़ी और उनमें से बलकार निखर कर सामने आया

सिस्टम की वजह से बलकार हुआ मायूस
लेकिन कोच सुमित को इस बात का मलाल भी है कि सिस्टम की वजह से बलकार का सेलेक्शन होने के बावजूद वो खेल न सका. क्योंकि सिफारिश से इसकी जगह किसी ओर बच्चे को जगह मिल गई. कोच की गुजारिश है कि इस लड़के में गजब का हुनर है अगर सरकार इसकी मदद करे. इसे प्रोत्साहन दे.

हिंदुस्तान का बढ़ाना चाहता हूं गौरव
बलकार ने लियोनल मेसी को पसंद करता हूं और हिंदुस्तान के लिए वो करना चाहता हूं जो कभी पेले ने ब्राजील के लिए किया था. बलकार ने बताया कि एक दिन कोच ने उन्हें दीवार पर ऐसे खेलने का चेलेंज दिया तो उसने बेहतर अभ्यास करके इन चेलेंज को पूरा किया. अब ये उनके लिए आम बात है.

कैथल: जिसमें कुछ कर दिखाने की ललक हो तो वो तूफान से भी अपना लोहा मनवाने में कामयाब हो जाते हैं. लग्न और मेहनत से किया हर काम किसी आम इंसान को भी विशेष बना देता है. कैथल में फुटबॉल खेलते एक बच्चे का वीडियो लगातार लोगों द्वारा देखा जा रहा है.

फुटबॉल में हासिल की महारथ
ये गांव जाजनपुर का बलकार है जो महज 12 साल का है और अगर इसे कोई खेलते हुए देखे, तो बड़े-बड़े दंग रह जाएंगे. फुटबॉल के लिए जुनून इतना कि घर के हर कोने में फुटबॉल रखी हुई है. बलकार गांव जाजनपुर के बेहद गरीब परिवार से संबंध रखता है. घर में माता-पिता और एक बड़ा भाई है. एक तंग सी गली में बलकार का साधारण सा घर है लेकिन प्रतिभा बिल्कुल भी साधारण नहीं है. उसी तंग गली से साइकिल पर प्रैक्टिस के लिए जाना बलकार का हर रोज का काम है.

फटे जूतों में करता है प्रैक्टिस
गांव की व्यायामशाला में हर रोज बलकार फटे जूतों के साथ फुटबॉल की प्रैक्टिस करता है. खेल में इतना माहिर की छोटी सी उम्र में ही फुटबॉल पर गजब का कंट्रोल और अद्भुत प्रतिभा.

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अलग अंदाज में काम करना आदत
बलकार के कोच और उनकी मां ने बताया कि बचपन से ही कुछ अलग करने का हुनर इसमें है. हर काम को बड़े ही अलग अंदाज में करना इसकी आदत है

बलकार निखर कर आया सामने
कोच सुमित ने बताया कि गांव में कुछ ऐसे बच्चे थे जो आवारा फिरते थे और गरीब परिवारों से थे. मैंने उन्हें कुछ ऐसा देने की सोची की वो कामयाब हो और फिर क्या उनकी फुटबॉल की ट्रेंनिंग शुरू करवाई. धीरे-धीरे उनकी रुचि बढ़ी और उनमें से बलकार निखर कर सामने आया

सिस्टम की वजह से बलकार हुआ मायूस
लेकिन कोच सुमित को इस बात का मलाल भी है कि सिस्टम की वजह से बलकार का सेलेक्शन होने के बावजूद वो खेल न सका. क्योंकि सिफारिश से इसकी जगह किसी ओर बच्चे को जगह मिल गई. कोच की गुजारिश है कि इस लड़के में गजब का हुनर है अगर सरकार इसकी मदद करे. इसे प्रोत्साहन दे.

हिंदुस्तान का बढ़ाना चाहता हूं गौरव
बलकार ने लियोनल मेसी को पसंद करता हूं और हिंदुस्तान के लिए वो करना चाहता हूं जो कभी पेले ने ब्राजील के लिए किया था. बलकार ने बताया कि एक दिन कोच ने उन्हें दीवार पर ऐसे खेलने का चेलेंज दिया तो उसने बेहतर अभ्यास करके इन चेलेंज को पूरा किया. अब ये उनके लिए आम बात है.

Intro:कैथल के गांव जा जौनपुर में जय खिलाड़ी में है अनोखी प्रतिभा दीवार पर काफी लंबी दूरी तक फैल सकता है फुटबॉल
12 साल के बच्चे की दीवार पर फुटबॉल की है जबरदस्त पकड़. भविष्य में दुनिया भर के फुटबॉल खिलाड़ियों को मात देने के लिए हो रहा है तैयार.
फटे जूते सभी दिखाता है अद्भुत कलाएं


Body:जिसमें कुछ कर दिखाने की ललक हो तो वह तूफान से भी अपना लोहा मनवाने में कामयाब हो जाते हैं लग्न और मेहनत से किया हर काम किसी आम इंसान को विशेष बना देता है।
फेसबुक पर दीवार पर फुटबॉल खेलते एक बच्चे का वीडियो वायरल होता देखा जा रहा था । कौन है यह बच्चा आइए हम ईटीवी भारत की टीम आपको बताते हैं कि यह बच्चा कौन है और यह क्यों दीवार पर फुटबाल के साथ उछल कूद करता रहता ह यह गांव जाजनपुर का 12 वर्षीय बलकार है और अगर इसका खेल देखे तो बड़े-बड़े दंग रह जाते हैं।
बलकार कैथल के गांव जाजनपुर के बेहद गरीब परिवार से संबंध रखता है। घर में माता-पिता और एक बड़ा भाई है एक तंग सी गली में बलकार का परिवार रहता है ओर बहुत साधारण सा घर है । लेकिन प्रतिभा बिल्कुल भी साधारण नहीं है उसी तंग गली से रोजाना साइकिल पर प्रैक्टिस के लिए बलकार का ग्राउंड पर आना होता है और फुटबॉल की प्रैक्टिस करता है खेल में इतना माहिर है कि छोटी सी उम्र में ही फुटबॉल पर गजब का कंट्रोल और अद्भुत प्रतिभा दिखाई देती है।
बलकार के कोच है सुमित वह कहते हैं कि गांव में कुछ ऐसे बच्चे थे जो आवारा फिरते थे और गरीब परिवार से थे मैंने उन्हें कुछ ऐसा देने की सोची कि वो कामयाब हो।और उनकी फुटबॉल की ट्रेनिंग शुरू करवाई । धीरे धीरे उनकी रुचि बढ़ी और इसमें बलकार निखर कर सामने आया। अब हर रोज इनके साथ में खुद मेहनत करता हूं और कोशिश करता हूं की इन्हें कामयाब बनाऊं। सुमित को इस बात का मलाल है कि सिस्टम की वजह से बलकार का सिलेक्शन होने के बावजूद वह खेल ना सका। क्योंकि सिफारिश से इसकी जगह किसी और बच्चे को मिल गई है उसकी गुजारिश है कि इस लड़के की सरकार की मदद करें तो यह एक अच्छा खिलाड़ी बन सकता है।
महज 12 वर्ष का बलकार अपने खेल के मैदान के चारों तरफ की दीवार पर बिना गिराए फुटबॉल के साथ अपनी कलाकृति करता रहता है वही उसको सबसे अलग बनाती है


Conclusion:लेकिन या एक गरीब परिवार से संबंध रखता है वह कहीं ना कहीं उसके और फुटबॉल के बीच में खाई दिखाई देती है अगर सरकार थोड़ी सी भी प्रकार की मदद करें और उसको नर्सरी में डालने का काम करें तो यह भविष्य में भारत के लिए रोनाल्डो का काम करेगा।
लेकिन वह तब ही हो पाएगा जब सरकार की सहायता करने के लिए आगे आएगी क्योंकि ज्यादातर प्रतिभाएं गांव से ही निकलती है और ज्यादातर प्रतिभा पैसों के अभाव में दब के रह जाती है।
अगर इसको सही गाइडलाइन के साथ सही कोच दिया जाए तो यह भारत का नाम विश्व के पटल पर जरूर चमकाएगा ईटीवी भारत के लिए मनीष कुमार की रिपोर्ट।
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