कैथल: जिसमें कुछ कर दिखाने की ललक हो तो वो तूफान से भी अपना लोहा मनवाने में कामयाब हो जाते हैं. लग्न और मेहनत से किया हर काम किसी आम इंसान को भी विशेष बना देता है. कैथल में फुटबॉल खेलते एक बच्चे का वीडियो लगातार लोगों द्वारा देखा जा रहा है.
फुटबॉल में हासिल की महारथ
ये गांव जाजनपुर का बलकार है जो महज 12 साल का है और अगर इसे कोई खेलते हुए देखे, तो बड़े-बड़े दंग रह जाएंगे. फुटबॉल के लिए जुनून इतना कि घर के हर कोने में फुटबॉल रखी हुई है. बलकार गांव जाजनपुर के बेहद गरीब परिवार से संबंध रखता है. घर में माता-पिता और एक बड़ा भाई है. एक तंग सी गली में बलकार का साधारण सा घर है लेकिन प्रतिभा बिल्कुल भी साधारण नहीं है. उसी तंग गली से साइकिल पर प्रैक्टिस के लिए जाना बलकार का हर रोज का काम है.
फटे जूतों में करता है प्रैक्टिस
गांव की व्यायामशाला में हर रोज बलकार फटे जूतों के साथ फुटबॉल की प्रैक्टिस करता है. खेल में इतना माहिर की छोटी सी उम्र में ही फुटबॉल पर गजब का कंट्रोल और अद्भुत प्रतिभा.
अलग अंदाज में काम करना आदत
बलकार के कोच और उनकी मां ने बताया कि बचपन से ही कुछ अलग करने का हुनर इसमें है. हर काम को बड़े ही अलग अंदाज में करना इसकी आदत है
बलकार निखर कर आया सामने
कोच सुमित ने बताया कि गांव में कुछ ऐसे बच्चे थे जो आवारा फिरते थे और गरीब परिवारों से थे. मैंने उन्हें कुछ ऐसा देने की सोची की वो कामयाब हो और फिर क्या उनकी फुटबॉल की ट्रेंनिंग शुरू करवाई. धीरे-धीरे उनकी रुचि बढ़ी और उनमें से बलकार निखर कर सामने आया
सिस्टम की वजह से बलकार हुआ मायूस
लेकिन कोच सुमित को इस बात का मलाल भी है कि सिस्टम की वजह से बलकार का सेलेक्शन होने के बावजूद वो खेल न सका. क्योंकि सिफारिश से इसकी जगह किसी ओर बच्चे को जगह मिल गई. कोच की गुजारिश है कि इस लड़के में गजब का हुनर है अगर सरकार इसकी मदद करे. इसे प्रोत्साहन दे.
हिंदुस्तान का बढ़ाना चाहता हूं गौरव
बलकार ने लियोनल मेसी को पसंद करता हूं और हिंदुस्तान के लिए वो करना चाहता हूं जो कभी पेले ने ब्राजील के लिए किया था. बलकार ने बताया कि एक दिन कोच ने उन्हें दीवार पर ऐसे खेलने का चेलेंज दिया तो उसने बेहतर अभ्यास करके इन चेलेंज को पूरा किया. अब ये उनके लिए आम बात है.