कैथल: जिले में धान की फसल की खरीद ना होने से किसान परेशान हैं. किसान अपनी धान की फसल को वापस ले जाने को मजबूर हैं. चीका अनाज मंडी में धान की आवक शुरू होते ही किसानों ने जेसीबी मशीनों के जरिए अपनी डालियों में फसल उठाना शुरू कर दिया है. कई दिन से मंडी में पड़ी अपनी धान को किसान वापस ले जा रहे हैं.
धान की खरीद ना होने से किसान परेशान
इन किसानों का आरोप है कि मंडी के कर्मचारी उनकी फसल की देखभाल नहीं कर रहे हैं. बता दें कि, हरियाणा में एक अक्टूबर से धान की खरीद शुरू होगी. किसानों की फसलें पूरी तरह से पक चुकी हैं जिसको लेकर अब धान का सीजन शुरू हो गया है. किसान अपनी फसलों को लेकर मंडी में आ रहे हैं, लेकिन हड़ताल के चलते उनकी फसलों को नहीं खरीदा जा रहा.
इस वजह से नहीं हो रही है खरीदारी
कमीशन एजेंट हड़ताल पर हैं, जब तक सरकार इनकी मांगें नहीं मानती तब तक वे हड़ताल पर रहेंगे, लेकिन इनके इस विरोध का खामियाजा किसान भुगत रहा है. इस दौरान जो किसान अपनी फसल को 4 से 5 दिन पहले चीका मंडी में लेकर आया था वो किसान अब खरीद ना होने की वजह से अपनी फसल को जेसीबी मशीन की सहायता से ट्राली में भरकर वापस अपने घर ले जा रहा है.
एक अक्टूबर से शुरू होगी खरीद
बता दें कि, हरियाणा में धान की खरीद 1 तारीख से शुरू होने वाली है जिसको लेकर किसान को भारी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है. इस दौरान कई किसानों से बात की गई उन्होंने बताया कि उनकी फसल को चार से 5 दिन हो गए मंडी में पढ़े हुए, लेकिन अभी तक भी ना कोई अधिकारी उनकी फसल को देखने आया और ना ही कोई खरीदार उनकी फसल को खरीदने आया है.
किसान फसल को वापस ले जाने को मजबूर
ऐसे में वो हताश होकर अपनी फसल को जेसीबी मशीन के सहायता से ट्राली में भरकर अपने घर की ओर ले जा रहा है. जेसीबी मशीन का किराया भी किसान अपनी जेब से ही भुगतान करेगा. इस बारे में जब कमीशन एजेंट राजकुमार से बात की गई तो उन्होंने बताया कि हरियाणा सरकार द्वारा जो गलत नीतियां तीन अध्यादेश के रूप में लागू की गई हैं उसके खिलाफ आढ़ती व किसान लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं.
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इसकी वजह से किसान, आढ़ती दोनों ही पिस रहे हैं. विरोध प्रदर्शन के कारण धान खरीदने वाली एजेंसी धान नहीं खरीद रही है. इससे व्यापारियों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि उन्होंने किसान को एक्स्ट्रा पैसे दिए हुए हैं जबकि किसान अपनी फसल को उठाकर अपने घर ले जा रहा है. इससे आढ़तियों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है.