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संपत्ति क्षति पूर्ति कानून के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन, बोले- आंदोलन को कुचलना चाहती है सरकार - कैथल किसान संपत्ति क्षति पूर्ति अधिनियम विरोध

कैथल में किसानों और मजदूरों ने संपत्ति क्षति पूर्ति अधिनियम हरियाणा 2021 के विरोध में प्रदर्शन किया और इसे किसान आंदोलन को कुचलने के लिए सरकार की एक साजिश बताया.

farmers protest against property Damage Recovery act 2021 haryana in kaithal
संपत्ति क्षति पूर्ति अधिनियम हरियाणा 2021 के विरोध में किसानों ने किया प्रदर्शन
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Published : Apr 21, 2021, 10:49 AM IST

कैथल: मंगलवार को संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले किसानों, कर्मचारियों और मजदूरों ने कैथल की हनुमान वाटिका में इकठ्ठा हुए और रोष मार्च निकाला. इस दौरान उन्होंने सरकार से अपील की कि संपत्ति क्षति पूर्ति अधिनियम हरियाणा 2021 को रद्द किया जाए. वहीं पुलिस द्वारा आंदोलनकारियों पर बनाए गए मुकदमे वापस लिए जाएं.

ये भी पढ़ें: केएमपी-केजेपी पर पलवल के किसानों ने लगाया जाम, करीब दो घंटे बाद खोली सड़क

आंदोलनकारी किसानों ने कहा कि 18 मार्च 2021 को हरियाणा विधानसभा में एक विधेयक पारित करके आंदोलनों के दौरान होने वाली संपत्ति की क्षति की वसूली आंदोलनकारियों से किए जाने का प्रावधान किया है. इस कानून द्वारा पुलिस व कार्यपालिका को असीमित शक्ति दी गई है. इसलिए ये लोकतंत्र पर कुठाराघात है और अभिव्यक्ति के अधिकार का हनन करता है.

संपत्ति क्षति पूर्ति कानून के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन

उन्होंने कहा कि इस कानून के तहत आंदोलन करने वालों, समर्थकों, योजना बनाने वालों, सलाहकारों, आदि को संपत्ति क्षति का दोषी करार देकर उनसे वसूली किए जाने जैसे निरंकुश प्रावधान हैं. वहीं उन्होंने कहा कि संपत्ति क्षति के संबंध में पहले से ही भारतीय दंड संहिता में प्रयाप्त धाराएं मौजूद हैं. इसलिए नए कानून की कोई आवश्यकता नहीं थी.

ये भी पढ़ें: नए कृषि कानून का फायदा: हरियाणा के ये किसान सरकारी एजेंसी को फसल नहीं बेचना चाहते, प्राइवेट पहली पसंद

किसानों ने संपत्ति क्षति पूर्ति विधेयक 2021 को कृषि कानून को कुचलने की साजिश बताया. किसानों ने कहा कि हाल ही में तीन कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन को कुचलने के उद्वेश्य से ही ऐसा दमनकारी कानून लाया गया है. जो अपने आप में औपनिवेशिक स्वरूप जैसा है. ये मजदूर एवं नागरिक समूहों द्वारा किए जाने वाला न्यायप्रिय आंदोलनों को कुचलने जैसा है.

किसानों ने कहा कि किसी व्यक्ति या संगठन पर डाले गए क्षति पूर्ति के निर्णय को उच्च न्यायालय से नीचे किसी अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती. ये प्राकृतिक न्याय की मूल अवधारणा के विरुद्ध है.

साथ ही किसानों ने कहा कि हरियाणा में किसान-मजदूरों के शांतिपूवर्क आंदोलनों पर पुलिस बल का प्रयोग लगातार बढ़ रहा है. जो कि लोकतंत्र के लिए घातक है. हजारों व्यक्तियों पर झूठे पुलिस मुकदमे बनाए गए हैं और अभी भी बनाए जा रहे हैं.

ये भी पढ़ें: राकेश टिकैत की झारखंड के खूंटी में होने वाली किसान पंचायत स्थगित, जानें क्या है वजह

इसलिए उनकी मांग है कि संपत्ति क्षति पूर्ति अधिनियम हरियाणा 2021 को रद्द किया जाए. वहीं पुलिस द्वारा आंदोलनकारियों पर बनाए गए मुकदमें वापस आंदोलन पर दमन बंद हो और किसानों की मांगें स्वीकार की जाएं.

कैथल: मंगलवार को संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले किसानों, कर्मचारियों और मजदूरों ने कैथल की हनुमान वाटिका में इकठ्ठा हुए और रोष मार्च निकाला. इस दौरान उन्होंने सरकार से अपील की कि संपत्ति क्षति पूर्ति अधिनियम हरियाणा 2021 को रद्द किया जाए. वहीं पुलिस द्वारा आंदोलनकारियों पर बनाए गए मुकदमे वापस लिए जाएं.

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आंदोलनकारी किसानों ने कहा कि 18 मार्च 2021 को हरियाणा विधानसभा में एक विधेयक पारित करके आंदोलनों के दौरान होने वाली संपत्ति की क्षति की वसूली आंदोलनकारियों से किए जाने का प्रावधान किया है. इस कानून द्वारा पुलिस व कार्यपालिका को असीमित शक्ति दी गई है. इसलिए ये लोकतंत्र पर कुठाराघात है और अभिव्यक्ति के अधिकार का हनन करता है.

संपत्ति क्षति पूर्ति कानून के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन

उन्होंने कहा कि इस कानून के तहत आंदोलन करने वालों, समर्थकों, योजना बनाने वालों, सलाहकारों, आदि को संपत्ति क्षति का दोषी करार देकर उनसे वसूली किए जाने जैसे निरंकुश प्रावधान हैं. वहीं उन्होंने कहा कि संपत्ति क्षति के संबंध में पहले से ही भारतीय दंड संहिता में प्रयाप्त धाराएं मौजूद हैं. इसलिए नए कानून की कोई आवश्यकता नहीं थी.

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किसानों ने संपत्ति क्षति पूर्ति विधेयक 2021 को कृषि कानून को कुचलने की साजिश बताया. किसानों ने कहा कि हाल ही में तीन कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन को कुचलने के उद्वेश्य से ही ऐसा दमनकारी कानून लाया गया है. जो अपने आप में औपनिवेशिक स्वरूप जैसा है. ये मजदूर एवं नागरिक समूहों द्वारा किए जाने वाला न्यायप्रिय आंदोलनों को कुचलने जैसा है.

किसानों ने कहा कि किसी व्यक्ति या संगठन पर डाले गए क्षति पूर्ति के निर्णय को उच्च न्यायालय से नीचे किसी अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती. ये प्राकृतिक न्याय की मूल अवधारणा के विरुद्ध है.

साथ ही किसानों ने कहा कि हरियाणा में किसान-मजदूरों के शांतिपूवर्क आंदोलनों पर पुलिस बल का प्रयोग लगातार बढ़ रहा है. जो कि लोकतंत्र के लिए घातक है. हजारों व्यक्तियों पर झूठे पुलिस मुकदमे बनाए गए हैं और अभी भी बनाए जा रहे हैं.

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इसलिए उनकी मांग है कि संपत्ति क्षति पूर्ति अधिनियम हरियाणा 2021 को रद्द किया जाए. वहीं पुलिस द्वारा आंदोलनकारियों पर बनाए गए मुकदमें वापस आंदोलन पर दमन बंद हो और किसानों की मांगें स्वीकार की जाएं.

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