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हरियाणा विधानसभा चुनाव: डेरा वोटर्स पर पार्टियों की नजर, राम रहीम के लिए उमड़ी कांग्रेस-इनेलो की हमदर्दी

पिछले विधानसभा चुनाव में डेरा सच्चा सौदा ने बीजेपी को समर्थन दिया था. एक बार फिर चुनाव नजदीक आते ही राजनीतिक दलों की नजर डेरा सच्चा सौदा के वोटर्स पर है. विरोधी दलों के नेता भी वोट बंटोरने के लिए अब डेरा सच्चा सौदा और संत रामपाल पर हुई कार्रवाई को लेकर अपने बयान के जरिए सहानुभूति पेश कर रहे हैं.

डेरा वोटर्स पर राजनीतिक दलों की नजर
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Published : Sep 27, 2019, 5:25 PM IST

Updated : Sep 27, 2019, 5:52 PM IST

कैथल: हरियाणा विधानसभा चुनाव को लेकर जैसे-जैसे सियासी पार चढ़ रहा है. वैसे-वैसे सभी अपनी राजनीतिक दल अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए हर संभव हथकंडे अपना रहे हैं. ऐसे में अब राजनीतिक दलों की नजर डेरा सच्चा सौदा के वोट बैंक पर है. सूबे के सभी राजनैतिक दल डेरा श्रद्धालुओं के वोट पर नजर गड़ाए बैठे हैं.

वोट बटोरने के लिए विरोधी दलों के बदले सुर
सिरसा के डेरा सच्चा सौदा का प्रभाव हरियाणा पंजाब में है. इन दोनों राज्यों में डेरा सच्चा सौदा के श्रद्धालुओं की संख्या भी ठीक ठाक है. हालांकि डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम जेल में सजा काट रहा है. लेकिन आज भी डेरा के अनुयायियों में राम रहीम के प्रति आस्था बरकरार है. तभी तो विरोधी दलों के नेता भी वोट बटोरने के लिए अब डेरा सच्चा सौदा और संत रामपाल पर हुई कार्रवाई को लेकर अपने बयान के जरिए सहानुभूति पेश कर रहे हैं.

डेरा वोटर्स पर राजनीतिक दलों की नजर

आरोपी बाबाओं से पेश की सहानुभूति
जहां एक तरफ कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला डेरा प्रेमियों पर पंचकूला में हुई कार्रवाई पर सवाल उठा रहे हैं, तो दूसरी तरफ इनेलो नेता अभय सिंह चौटाला कह रहे हैं कि पहले 2014 में बीजेपी ने उनका समर्थन ले लिया और बाद में जेल भेजने का काम किया.

डेरा वोटर्स पर राजनीतिक दलों की नजर
आपको बता दें कि पिछले विधानसभा चुनाव में डेरा सच्चा सौदा ने बीजेपी को समर्थन दिया था. एक बार फिर जब चुनाव नजदीक हैं तो सूबे के राजनीतिक दलों की नजर डेरा सच्चा सौदा के वोटर्स पर है. जो सत्ता तक पहुंचाने की सीढ़ी का काम कर सकते हैं.

हरियाणा के करीब 13 सीटों पर डेरे का दबदबा

सिरसा स्थित डेरा सच्चा सौदा के भक्तों की की तादाद देश भर करीब छह करोड़ मानी जाती है, जो पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश व दिल्ली सहित कई प्रदेशों में है. 1948 में मस्ताना महाराज ने डेरे की स्थापना की. शाह सतनाम ने 1990 में 23 वर्ष के गुरमीत सिंह को मुखी बनाया. इसके बाद 1998 में डेरे की राजनीतिक विंग बनाई गई.

हरियाणाा, पंजाब, राजस्थान, उत्तरप्रदेश व हिमाचल प्रदेश में इस विंग के करीब 35 सदस्य बनाए गए. 2012 में डेरे ने पंजाब में कांग्रेस को समर्थन दिया. मालवा बेल्ट की 65 सीटों पर जहां डेरे का प्रभाव माना जाता था, वहां डेरे के दावों की हवा निकल गई. कांग्रेस को समर्थन देने के बावजूद शिरोमणि अकाली दल-भाजपा की सरकार बनी.

ये भी पढ़ें- हरियाणा का वो मुख्यमंत्री जिसने प्रधानमंत्री को झुका दिया, लेकिन उसके अपने ही ले डूबे!

मालवा बेल्ट में शिअद को 33 सीटें मिलीं. डेरा चीफ के समधी हरमिंद्र सिंह जस्सी भी बठिंडा सीट से चुनाव हार गए थे. 2014 के विधानसभा चुनाव में डेरे ने प्रत्यक्ष रूप से भाजपा को समर्थन दिया. भाजपा को 47 सीटें मिलीं. आपको बता दें सिर्फ हरियाणा में डेरे के करीब 13 विधानसभा सीटों पर डेरे का दबदबा है.

कैथल: हरियाणा विधानसभा चुनाव को लेकर जैसे-जैसे सियासी पार चढ़ रहा है. वैसे-वैसे सभी अपनी राजनीतिक दल अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए हर संभव हथकंडे अपना रहे हैं. ऐसे में अब राजनीतिक दलों की नजर डेरा सच्चा सौदा के वोट बैंक पर है. सूबे के सभी राजनैतिक दल डेरा श्रद्धालुओं के वोट पर नजर गड़ाए बैठे हैं.

वोट बटोरने के लिए विरोधी दलों के बदले सुर
सिरसा के डेरा सच्चा सौदा का प्रभाव हरियाणा पंजाब में है. इन दोनों राज्यों में डेरा सच्चा सौदा के श्रद्धालुओं की संख्या भी ठीक ठाक है. हालांकि डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम जेल में सजा काट रहा है. लेकिन आज भी डेरा के अनुयायियों में राम रहीम के प्रति आस्था बरकरार है. तभी तो विरोधी दलों के नेता भी वोट बटोरने के लिए अब डेरा सच्चा सौदा और संत रामपाल पर हुई कार्रवाई को लेकर अपने बयान के जरिए सहानुभूति पेश कर रहे हैं.

डेरा वोटर्स पर राजनीतिक दलों की नजर

आरोपी बाबाओं से पेश की सहानुभूति
जहां एक तरफ कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला डेरा प्रेमियों पर पंचकूला में हुई कार्रवाई पर सवाल उठा रहे हैं, तो दूसरी तरफ इनेलो नेता अभय सिंह चौटाला कह रहे हैं कि पहले 2014 में बीजेपी ने उनका समर्थन ले लिया और बाद में जेल भेजने का काम किया.

डेरा वोटर्स पर राजनीतिक दलों की नजर
आपको बता दें कि पिछले विधानसभा चुनाव में डेरा सच्चा सौदा ने बीजेपी को समर्थन दिया था. एक बार फिर जब चुनाव नजदीक हैं तो सूबे के राजनीतिक दलों की नजर डेरा सच्चा सौदा के वोटर्स पर है. जो सत्ता तक पहुंचाने की सीढ़ी का काम कर सकते हैं.

हरियाणा के करीब 13 सीटों पर डेरे का दबदबा

सिरसा स्थित डेरा सच्चा सौदा के भक्तों की की तादाद देश भर करीब छह करोड़ मानी जाती है, जो पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश व दिल्ली सहित कई प्रदेशों में है. 1948 में मस्ताना महाराज ने डेरे की स्थापना की. शाह सतनाम ने 1990 में 23 वर्ष के गुरमीत सिंह को मुखी बनाया. इसके बाद 1998 में डेरे की राजनीतिक विंग बनाई गई.

हरियाणाा, पंजाब, राजस्थान, उत्तरप्रदेश व हिमाचल प्रदेश में इस विंग के करीब 35 सदस्य बनाए गए. 2012 में डेरे ने पंजाब में कांग्रेस को समर्थन दिया. मालवा बेल्ट की 65 सीटों पर जहां डेरे का प्रभाव माना जाता था, वहां डेरे के दावों की हवा निकल गई. कांग्रेस को समर्थन देने के बावजूद शिरोमणि अकाली दल-भाजपा की सरकार बनी.

ये भी पढ़ें- हरियाणा का वो मुख्यमंत्री जिसने प्रधानमंत्री को झुका दिया, लेकिन उसके अपने ही ले डूबे!

मालवा बेल्ट में शिअद को 33 सीटें मिलीं. डेरा चीफ के समधी हरमिंद्र सिंह जस्सी भी बठिंडा सीट से चुनाव हार गए थे. 2014 के विधानसभा चुनाव में डेरे ने प्रत्यक्ष रूप से भाजपा को समर्थन दिया. भाजपा को 47 सीटें मिलीं. आपको बता दें सिर्फ हरियाणा में डेरे के करीब 13 विधानसभा सीटों पर डेरे का दबदबा है.

Intro:वोट बटोरने के लिए डेरा सच्चा सौदा प्रकरण और संत रामपाल पर हुई कार्रवाई के लिए अब नेताओं के सहानुभूतिपूर्ण ब्यान आने शुरू हो गए हैं।
Body:जहां एक तरफ कांग्रेस के रणदीप सुरजेवाला डेरा प्रेमियों पर पंचकूला में हुई कार्रवाई पर सवाल उठा रहे हैं तो दूसरी तरफ इनेलो नेता अभय सिंह चौटाला कह रहे हैं कि पहले 2014 में बीजेपी ने उनका समर्थन ले लिया और बाद में जेल भेजने का काम किया। यहां तक कि दोनों ही नेताओं द्वारा आरोपी बाबाओं को जी से भी संबोधित किया गया है।


पत्रकारों से बातचीत में डेरा प्रेमी जब पंचकूला में इकट्ठा हुए थे और उत्पात मचाया था उस बात को रणदीप सुरजेवाला अलग अंदाज में कहते दिखे। डेरा प्रेमियों द्वारा मचाये गए उत्पात के विषय मे उसके उलट डेरा प्रेमियों का समर्थन करते दिखे। कहा कि डेरा प्रेमियों पर सरकार ने अत्याचार किये।
Conclusion:कैथल में ताऊ देवीलाल के जन्मदिवस के मौके पर संबोधन में डेरा प्रमुख रामरहीम को जी से संबोधित करते हुए कहा कि सरकार ने उनके साथ भी वादा खिलाफी करते हुए पहले तो समर्थन ले लिया जिससे पिछले इलेक्शन में 15 सीटों पर इनेलो प्रभावित हुई। बहुत थोड़े मार्जन से उन सीटों पर भजपा के विधाययक जीते। अगर वो ऐसा नही करते तो आज भाजपा नही इनेलो की सरकार होती। उसके बाद उनके साथ भी मुख्यमंत्री ने क्या किया ये आप सब जानते हैं।
Last Updated : Sep 27, 2019, 5:52 PM IST
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