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कैथल विजिलेंस की टीम ने रोडवेज विभाग के हेड क्लर्क को रिश्वत लेते किया गिरफ्तार, जानें पूरा मामला

कैथल विजिलेंस की टीम ने हरियाणा रोडवेज विभाग के हेड क्लर्क को रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया है. नौकरी की फाइल को पास करने के लिए हेड क्लर्क ने 10 हजार रुपये की रिश्वत मांगी थी.

bribery case in kaithal
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Published : Jun 30, 2023, 2:00 PM IST

Updated : Jun 30, 2023, 2:09 PM IST

कैथल विजिलेंस की टीम ने गुरुवार को चंडीगढ़ में छापेमारी कर हरियाणा रोडवेज के हेड क्लर्क को 10 हजार रुपये की रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया है. कैथल के युवक ने बताया कि उसके पिता रोडवेज विभाग में काम करते थे. उनकी मौत के बाद एक्सग्रेसिया पॉलिसी के तहत उसे नौकरी मिलनी थी, लेकिन हेड क्लर्क उसकी फाइल में अड़ंगा डाले हुए था. फाइल को आगे चलता करने के लिए हेड क्लर्क ने शिकायतकर्ता से रिश्वत की मांग की.

ये भी पढ़ें- पानीपत में विजिलेंस ने रेलवे मेडिकल ऑफिसर को 5 लाख रिश्वत लेते पकड़ा, मरीज को रेफर करने के नाम पर मांगी घूस

शुभम नाम के युवक ने बताया कि वो कैथल के खुराना गांव का रहने वाला है. उसके पिता रोडवेज में कार्यरत थे. ड्यूटी के दौरान उसकी मौत हो गई थी. जिसके बाद शुभम ने अपने एक्सग्रेसिया पॉलिसी के तहत नौकरी के लिए रोडवेज विभाग के मुख्यालय में फाइल लगाई थी. उसकी फाइल डीलिंग हेड क्लर्क प्रतीक के पास थी. प्रतीक ने उसका काम करवाने के लिए 10 हजार रुपये की रिश्वत मांगी थी. इसकी जानकारी शुभम ने कैथल विजिलेंस की टीम को दी.

गुरुवार को विजिलेंस की टीम ने हेड क्लर्क प्रतीक को पकड़ने की योजना बनाई. कैथल विजिलेंस की टीम ने शुभम को 10 हजार रुपये देकर चंडीगढ़ स्थित रोडवेज मुख्यालय में भेजा. जिसके बाद शुभम ने प्रतीक को 10 हजार रुपये दे दिए. जाल बिछाकर आई विजिलेंस की टीम ने तुरंत कार्रवाई कर हेड क्लर्क प्रदीप को रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया. कैथल विजिलेंस प्रभारी सूबे सिंह के नेतृत्व में ये कार्रवाई की गई थी. सूबे सिंह ने बताया कि आरोपी प्रतीक को 10 हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया है. उसने शुभम की नौकरी की फाइल निकालने के लिए रिश्वत मांगी थी.

ये भी पढ़ें- Bribery Case in Rewari: 30 हजार की रिश्वत लेते फायर ऑफिसर रंगे हाथ गिरफ्तार, जानिए क्या है पूरा मामला

क्या है एक्सग्रेशिया पॉलिसी: इस पॉलिसी के तहत अगर किसी सरकारी कर्मचारी को नौकरी करते हुए 5 साल पूरे नहीं हुए और उसका निधन हो जाता है, तो उसके परिजनों को रोजगार नहीं मिलेगा. यानी कम से कम 5 सालों की सर्विस पूरी होने की शर्त इसमें रहेगी. इसी तरह मृतक कर्मचारी की उम्र अगर 52 साल से अधिक है, तो भी उसके आश्रितों को एक्सग्रेशिया का लाभ नहीं मिलेगा. अगर कार्यकाल के पांच साल बाद या 52 साल से पहले कर्मचारी का निधन हो जाता है तो उसके परिजन को नौकरी या फिर भत्ता मिलेगा.

कैथल विजिलेंस की टीम ने गुरुवार को चंडीगढ़ में छापेमारी कर हरियाणा रोडवेज के हेड क्लर्क को 10 हजार रुपये की रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया है. कैथल के युवक ने बताया कि उसके पिता रोडवेज विभाग में काम करते थे. उनकी मौत के बाद एक्सग्रेसिया पॉलिसी के तहत उसे नौकरी मिलनी थी, लेकिन हेड क्लर्क उसकी फाइल में अड़ंगा डाले हुए था. फाइल को आगे चलता करने के लिए हेड क्लर्क ने शिकायतकर्ता से रिश्वत की मांग की.

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शुभम नाम के युवक ने बताया कि वो कैथल के खुराना गांव का रहने वाला है. उसके पिता रोडवेज में कार्यरत थे. ड्यूटी के दौरान उसकी मौत हो गई थी. जिसके बाद शुभम ने अपने एक्सग्रेसिया पॉलिसी के तहत नौकरी के लिए रोडवेज विभाग के मुख्यालय में फाइल लगाई थी. उसकी फाइल डीलिंग हेड क्लर्क प्रतीक के पास थी. प्रतीक ने उसका काम करवाने के लिए 10 हजार रुपये की रिश्वत मांगी थी. इसकी जानकारी शुभम ने कैथल विजिलेंस की टीम को दी.

गुरुवार को विजिलेंस की टीम ने हेड क्लर्क प्रतीक को पकड़ने की योजना बनाई. कैथल विजिलेंस की टीम ने शुभम को 10 हजार रुपये देकर चंडीगढ़ स्थित रोडवेज मुख्यालय में भेजा. जिसके बाद शुभम ने प्रतीक को 10 हजार रुपये दे दिए. जाल बिछाकर आई विजिलेंस की टीम ने तुरंत कार्रवाई कर हेड क्लर्क प्रदीप को रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया. कैथल विजिलेंस प्रभारी सूबे सिंह के नेतृत्व में ये कार्रवाई की गई थी. सूबे सिंह ने बताया कि आरोपी प्रतीक को 10 हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया है. उसने शुभम की नौकरी की फाइल निकालने के लिए रिश्वत मांगी थी.

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क्या है एक्सग्रेशिया पॉलिसी: इस पॉलिसी के तहत अगर किसी सरकारी कर्मचारी को नौकरी करते हुए 5 साल पूरे नहीं हुए और उसका निधन हो जाता है, तो उसके परिजनों को रोजगार नहीं मिलेगा. यानी कम से कम 5 सालों की सर्विस पूरी होने की शर्त इसमें रहेगी. इसी तरह मृतक कर्मचारी की उम्र अगर 52 साल से अधिक है, तो भी उसके आश्रितों को एक्सग्रेशिया का लाभ नहीं मिलेगा. अगर कार्यकाल के पांच साल बाद या 52 साल से पहले कर्मचारी का निधन हो जाता है तो उसके परिजन को नौकरी या फिर भत्ता मिलेगा.

Last Updated : Jun 30, 2023, 2:09 PM IST
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