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पूंडरी सीट पर जीत बीजेपी के लिए नहीं होगी आसान, अपने ही लड़ रहे हैं पार्टी के खिलाफ

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Published : Oct 7, 2019, 2:48 PM IST

बीजेपी ने पूंडरी हलके से एडवोकेट वेदपाल को चुनावी मैदान में उतारा है, लेकिन इस सीट पर बीजेपी के लिए जीत दर्ज करना उतना आसान नहीं होगा, क्योंकि पिछले चुनाव में हराने और हारने वाले दोनों ही नेता इस बार बीजेपी के खिलाफ खड़े हैं.

पूंडरी सीट जीतनी बीजेपी के लिए नहीं होगी आसान, अपने ही लड़ रहे हैं पार्टी के खिलाफ

कैथल: कमजोर विपक्ष और लोकसभा चुनाव की जीत से लबरेज बीजेपी के लिए हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019 फतह करना उनका मुश्किल नजर नहीं आ रहा है, लेकिन सूबे में ऐसी कई सीटें है, जहां बीजेपी को कड़ी टक्कर मिल सकती है. ऐसी ही एक सीट कैथल जिले की पूंडरी विधानसभा भी हैं. जहां बीजेपी को टक्कर देने वाले खुद उसके अपने ही हैं. एक वो जो 2014 में बीजेपी उम्मीदवार था और एक वो जिसने 2014 में मोदी लहर के बाद भी निर्दलीय चुनाव जीता था.

पूंडरी की सीट जीतना नहीं उतना आसान
बीजेपी ने पूंडरी हलके से एडवोकेट वेदपाल को चुनावी मैदान में उतारा है, लेकिन इस सीट पर बीजेपी के लिए जीत दर्ज करना उतना आसान नहीं होगा, क्योंकि पिछले चुनाव में हराने और हारने वाले दोनों ही नेता इस बार बीजेपी के खिलाफ खड़े हैं. दरअसल हम बात कर रहे हैं 2014 में पूंडरी से बीजेपी के उम्मीदवार रहे रणधीर गोलन और निर्दलीय विधायक दिनेश कौशिक की.

बीजेपी को टक्कर देंगे उसी के 'अपने'
रणधीर गोलन टिकट घोषणा से पहले तक बीजेपी का ही हिस्सा थे. वहीं दिनेश कौशिक भी निर्दलीय होने के बावजूद बीजेपी का ही समर्थन कर रहे थे. दोनों को ही पूंडरी से बीजेपी की टिकट का प्रबल दावेदार भी माना जा रहा था, लेकिन जब बीजेपी ने दोनों नेताओं की जगह एडवोकेट वेदपाल को टिकट दिया तो दोनों ने ही बीजेपी के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया.

2014 में पूंडरी से जीते थे दिनेश कौशिक
साल 2014 में पूंडरी विधानसभा से दिनेश कौशिक ने एक बार फिर निर्दलीय ताल ठोकी थी. उस वक्त बीजेपी ने दिनेश कौशिक के सामने 25 साल से बीजेपी के साथ खड़े रणधीर गोलन पर भरोसा जताया था. लेकिन एक बार फिर इतिहास दोहराते हुए निर्दलीय प्रत्याशी दिनेश कौशिक ने बीजेपी उम्मीदवार रणधीर गोलन को 4800 वोटों से हराया था. बाद में दिनेश कौशिक बीजेपी समर्थिक विधायक बन गए. यहीं नहीं दिनेश कौशिक ने लोकसभा चुनाव में बीजेपी के लिए प्रचार भी किया.

दिनेश कौशिक और रणधीर गोलन थे टिकट के दावेदार
हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019 के लिए दिनेश कौशिक और रणधीर गोलन दोनों ही बीजेपी की टिकट के दावेदार माने जा रहे थे, लेकिन जब टिकटों की घोषणा हुई तो दोनों ही प्रबल दावेदारों की टिकट कट गई. जिसके बाद अब रणधीर गोलन और दिनेश कौशिक दोनों ही बीजेपी के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं.

ये भी पढ़िए: हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019 में पीएम मोदी की एंट्री: जानें रैलियों का पूरा कार्यक्रम

बीजेपी से एडवोकेट वेदपाल हैं मैदान में
माना जा रहा है कि बीजेपी ने रणधीर गोलन और दिनेश कौशिक दोनों की कलह को शांत करने के लिए पूंडरी से एडवोकेट वेदपाल को टिकट दिया है, लेकिन अब ये दोनों ही नेता निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं. ऐसे में ये इस सीट से बीजेपी को कड़ी टक्कर मिलना तय है.

कैथल: कमजोर विपक्ष और लोकसभा चुनाव की जीत से लबरेज बीजेपी के लिए हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019 फतह करना उनका मुश्किल नजर नहीं आ रहा है, लेकिन सूबे में ऐसी कई सीटें है, जहां बीजेपी को कड़ी टक्कर मिल सकती है. ऐसी ही एक सीट कैथल जिले की पूंडरी विधानसभा भी हैं. जहां बीजेपी को टक्कर देने वाले खुद उसके अपने ही हैं. एक वो जो 2014 में बीजेपी उम्मीदवार था और एक वो जिसने 2014 में मोदी लहर के बाद भी निर्दलीय चुनाव जीता था.

पूंडरी की सीट जीतना नहीं उतना आसान
बीजेपी ने पूंडरी हलके से एडवोकेट वेदपाल को चुनावी मैदान में उतारा है, लेकिन इस सीट पर बीजेपी के लिए जीत दर्ज करना उतना आसान नहीं होगा, क्योंकि पिछले चुनाव में हराने और हारने वाले दोनों ही नेता इस बार बीजेपी के खिलाफ खड़े हैं. दरअसल हम बात कर रहे हैं 2014 में पूंडरी से बीजेपी के उम्मीदवार रहे रणधीर गोलन और निर्दलीय विधायक दिनेश कौशिक की.

बीजेपी को टक्कर देंगे उसी के 'अपने'
रणधीर गोलन टिकट घोषणा से पहले तक बीजेपी का ही हिस्सा थे. वहीं दिनेश कौशिक भी निर्दलीय होने के बावजूद बीजेपी का ही समर्थन कर रहे थे. दोनों को ही पूंडरी से बीजेपी की टिकट का प्रबल दावेदार भी माना जा रहा था, लेकिन जब बीजेपी ने दोनों नेताओं की जगह एडवोकेट वेदपाल को टिकट दिया तो दोनों ने ही बीजेपी के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया.

2014 में पूंडरी से जीते थे दिनेश कौशिक
साल 2014 में पूंडरी विधानसभा से दिनेश कौशिक ने एक बार फिर निर्दलीय ताल ठोकी थी. उस वक्त बीजेपी ने दिनेश कौशिक के सामने 25 साल से बीजेपी के साथ खड़े रणधीर गोलन पर भरोसा जताया था. लेकिन एक बार फिर इतिहास दोहराते हुए निर्दलीय प्रत्याशी दिनेश कौशिक ने बीजेपी उम्मीदवार रणधीर गोलन को 4800 वोटों से हराया था. बाद में दिनेश कौशिक बीजेपी समर्थिक विधायक बन गए. यहीं नहीं दिनेश कौशिक ने लोकसभा चुनाव में बीजेपी के लिए प्रचार भी किया.

दिनेश कौशिक और रणधीर गोलन थे टिकट के दावेदार
हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019 के लिए दिनेश कौशिक और रणधीर गोलन दोनों ही बीजेपी की टिकट के दावेदार माने जा रहे थे, लेकिन जब टिकटों की घोषणा हुई तो दोनों ही प्रबल दावेदारों की टिकट कट गई. जिसके बाद अब रणधीर गोलन और दिनेश कौशिक दोनों ही बीजेपी के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं.

ये भी पढ़िए: हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019 में पीएम मोदी की एंट्री: जानें रैलियों का पूरा कार्यक्रम

बीजेपी से एडवोकेट वेदपाल हैं मैदान में
माना जा रहा है कि बीजेपी ने रणधीर गोलन और दिनेश कौशिक दोनों की कलह को शांत करने के लिए पूंडरी से एडवोकेट वेदपाल को टिकट दिया है, लेकिन अब ये दोनों ही नेता निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं. ऐसे में ये इस सीट से बीजेपी को कड़ी टक्कर मिलना तय है.

Intro:-2014 विधानसभा में हराने व हारने वाले दोनों भाजपा के खिलाफ
-टिकट घोषणा से पहले तक दोनों ही उम्मीदवार थे भाजपा का हिस्सा
-टिकट को लेकर थी दोनों की प्रबल दावेदारी
-एक था 30 साल से पार्टी का वफादार तो दूसरे ने की जीतने के बाद पार्टी की सेवा व भाजपा ने जताया था भरोसाBody:पूंडरी विधानसभा के पिछले चुनाव में हराने व हारने वाले दोनों नेता भाजपा के खिलाफ खड़े हैं जबकि दोनों ही टिकट घोषणा से पहले तक भाजपा का हिस्सा तो थे ही साथ में टिकट के प्रबल दावेदार भी। लेकिन अब एडवोकेट वेदपाल को टिकट देने के बाद दोनों ही पार्टी के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे आज़ाद उम्मीदवार के रूप में।

मौका था 2014 के विधानसभा का और सीट थी पूंडरी विधानसभा। आज़ाद उम्मीदवार के तौर पर मैदान में थे प्रो दिनेश कौशिक और उनके सामने मैदान में थे 25 साल से भाजपा के साथ खड़े रणधीर गोलन। चुनाव सम्पन्न हुआ और इतिहास को दोहराते हुए जीत मिली फिर से आज़ाद प्रत्यासी दिनेश कौशिक को जिन्होंने भाजपा के रणधीर गोलन को लगभग 4800 वोटों से हराया।

उसके बाद भाजपा सरकार बनी और मुख्यमंत्री की पहली रैली ही पूंडरी में हुई जिससे मुख्यमंत्री मनोहर लाल दिनेश कौशिक से खुश हुए और अपने साथ मिला लिया। भाजपा ने दिनेश कौशिक के हल्के में बढ़-चढ़कर ग्रांट दी। यानी दिनेश कौशिक आज़ाद जीते लेकिन भाजपा के संग हो लिए। लोकसभा चुनाव में भी भाजपा के लिए प्रचार किया।

2019 के विधानसभा के लिए दिनेश कौशिक सबसे प्रबल दावेदार थे। लेकिन प्रयासरत भाजपा के पुराने साथी रणधीर गोलन भी थे। जब टिकटों की घोषणा हुई तो दोनो ही प्रबल दावेदारों की टिकट कट गई। भाजपा के पुराने साथी रणधीर गोलन ने पार्टी से बगावत करते हुए आज़ाद चुनाव लड़ने का फैसला किया। दूसरी तरफ भाजपा के दूसरे कैंडिडेट दिनेश कौशिक ने भी भाजपा के झूठे आश्वाशन का हवाला देते हुए आज़ाद उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने का फैसला ले लिया है।



Conclusion:अगर देखा जाए तो शायद दोनों नेताओं के कलह को शांत करने के लिए पूंडरी में एडवोकेट वेदपाल को टिकट दी गई हो लेकिन अब दोनों ही चुनाव लड़ रहे हैं तो ये भाजपा के गले की फांस बन सकती है। जहां लोग 25 साल से पार्टी के उम्मीदवारों को जिताना पसन्द नही करते तो क्या एक बाहर से आये पैराशूट उम्मीदवार को पसंद करेंगे।
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