जींद: पहले लोकसभा और फिर राज्यसभा में कृषि विधेयक के पारित होने के बाद प्रदेशभर में किसानों की सरकार के खिलाफ नाराजगी जारी है. इसको लेकर राजनीतिक पार्टियां भी अपने हित साधने में लगी हुई हैं. वहीं आढ़ती भी किसानों के साथ मिलकर इन कानूनों की खिलाफत करने में जुटे हैं. किसानों के जोरदार विरोध करने के बाद भी कृषि बिल राज्यसभा में पास कर दिया गया. जिसके बाद भाकियू ने 25 सितंबर को भारत बंद करने का एलान किया है.
कहीं विरोध तो कहीं समर्थन
एक तरफ भाकियू ने भारत बंद का एलान किया तो दूसरी तरफ प्रदेश के ही कुछ किसान हैं जो सरकार के इस फैसले का समर्थन कर रहे हैं. कृषि बिल के पास होने के बाद मोदी सरकार ने किसानों की सबसे बड़ी मांग एमएसपी को लेकर लिस्ट जारी की.
इस लिस्ट में गेहूं पर ₹50 प्रति क्विंटल, सरसों पर ₹225 प्रति क्विंटल न्यूनतम समर्थन मूल्य जारी किया गया है. प्रदेश के कुछ जिलों में किसानों ने ट्रैक्टर रैली निकाल कर एमएसपी में लाए गए बदलाव को लेकर सरकार का धन्यवाद किया.
झूठ बोल रहे हैं प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री- टेकराम कंडेला
मोदी सरकार द्वारा एमएसपी की लिस्ट जारी करने पर किसान नेता टेकराम कंडेला का कहना है कि सरकार ने इन विधेयकों का विरोध दबाने के लिए ही ये लिस्ट जारी की है. कंडेला ने कहा कि इस कानून में कहीं भी नहीं लिखा है कि एमएसपी कंपलसरी लागू रहेगा, इस बात पर प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री झूठ बोल रहे हैं. कंडेला ने कहा कि सरकार हरियाणा और पंजाब जो कि देश में अनाज के बड़े उत्पादक हैं, उन्हें टारगेट बनाकर विदेशी निवेश का नाम लेकर किसानों को फंसाने का काम कर रही है.
किसानों के आंदोलन को कांग्रेस का समर्थन
केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए इन अध्यादेशों को लेकर हरियाणा और पंजाब में राजनीतिक हलचल बढ़ गई है. इन अध्यादेशों के खिलाफ किसानों के आंदोलन में कांग्रेस भी कूद गई है. कांग्रेस ने मोदी सरकार के खिलाफ जिला स्तर और प्रदेश स्तर पर भी धरने प्रदर्शन करने शुरू कर दिए हैं.
बुधवार को समालखा में कांग्रेस ने ट्रैक्टर यात्रा भी निकाली. जिसे रोकने के लिए पुलिस को में वॉटर कैनन का इस्तेमाल करना पड़ा. सरकार और किसानों के बीच ये टकराव आने वाले समय में कितनी राजनीतिक हलचल बढ़ाता है ये देखने वाली बात होगी.
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