जींद: हरियाणा देश का पहला ऐसा राज्य है, जिसने सबसे पहले जल संकट की गंभीरता को समझा और धान की खेती को डिस्करेज करने का फैसला लिया. ये जानते हुए भी कि हरियाणा बासमती का प्रमुख निर्यातक है. प्रदेश सरकार ने ‘मेरा पानी-मेरी विरासत’ योजना शुरू की. इस स्कीम के लिए हरियाणा सरकार को केंद्र की तारीफ भी मिल चुकी है. खैर ये तो थी ‘मेरा पानी-मेरी विरासत’ योजना की बात. अब जरा उस योजना और हार्वेस्टिंग सिस्टम की भी बात कर लेते हैं. जो जल संरक्षण के लिए ही हरियाणा सरकार की ओर से जींद में लगाया गया था, लेकिन सुस्त सिस्टम की वजह से ये वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम पूरी तरह से बैठ गया.
सफेद हाथी बने रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम
दरअसल, जींद शहर में जल शक्ति अभियान के तहत 38 रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम शहर के मुख्य भागों में स्थापित किए गए थे. इन को लगाने के लिए करीब एक पार्क में 2 से 3 लाख रुपये के बीच खर्च किया गया था. कुल मिलाकर पूरे शहर में इन सिस्टम के लिए 1 करोड़ रुपये से भी ज्यादा पैसा खर्च किया गया, लेकिन किसी ने इस सिस्टम के लगाने के बाद सुध नहीं ली और इनमें से ज्यादातर अब खराब हो चुके हैं. इनकी दीवारें और साइड से मिट्टी धंस चुकी है. कुल मिलाकर ये कहा जा सकता है कि शहर के ज्यादातर वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम सफेद हाथी बन चुके हैं, जो सिर्फ प्रशासन के रिकॉर्ड के अनुसार तो जल संरक्षण के लिए काम कर रहे हैं, लेकिन धरातल पर नजारा कुछ और ही है.
स्थानीय लोगों की मानें तो ये सिस्टम लगाने के बाद इनकी देखभाल करने कोई नहीं पहुंचा. बिना देखभाल और तकनीकी खामियों के चलते इन सिस्टम के बाहर की मिट्टी धंस गई और दीवारें बैठ गई. सिस्टम के अंदर मिट्टी चले जाने की वजह से ये पाइप ब्लॉक हो गए और अब जब बारिश आती है तो पार्कों में पानी भर जाता है.
वॉटर सिस्टम लगाकर भूले अधिकारी!
देश में लगातार जल संकट गहराता जा रहा है. आंकड़ों के मुताबिक हरियाणा के 19 जिलों के 81 खंड और 52 नगर परिषद क्षेत्र पानी की किल्लत से जूझ रहे हैं. इस समस्या से निपटने के लिए ही केंद्र सरकार की हिदायत के बाद प्रदेश में जल शक्ति अभियान के तहत जींद शहर के पार्कों में 38 रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम नगर परिषद की ओर से लगाए गए थे. सरकार ने रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम पर पैसा तो बहाया, लेकिन फिर भी बारिश के पानी को बहने से नहीं रोका जा सका.
हरियाणा में पानी की कहानी
- प्रदेश में भू-जल स्तर औसतन 21 मीटर तक नीचे जा चुका है.
- पिछले एक दशक में लगभग दो गुना जल संकट बढ़ा है.
- जून 1974 में प्रदेश का भू-जल स्तर 10.44 मीटर था, जो पिछले 24 साल में 1995 से 2019 तक 8.97 मीटर तक नीचे गया है.
- प्रदेश में 36 ब्लॉक ऐसे हैं, जहां 12 सालों में भू-जल स्तर में पानी की गिरावट दोगुनी हुई है.
- इनमें रतिया, सीवान, गुहला, पीपली, शाहबाद, बबैन, ईस्माइलाबाद और सिरसा शामिल हैं.
- 40 मीटर से ज्यादा गहराई वाले प्रदेश में 19 ब्लॉक हैं.
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हर साल मानसून की बारिश में लाखों लीटर पानी शहर में सीवरों में व्यर्थ बह जाता है. भूमिगत पानी रिचार्ज नहीं होने से जल स्तर लगातार गिर रहा है. जो पानी जमीन से ट्यूबवेल और सबमर्सिबलों के जरिए से निकाल रहे हैं, उसमें टीडीएस की मात्रा ज्यादा होने से पीने लायक नहीं है. जिससे लगातार जल संकट बढ़ रहा है. मजबूरी में लोगों ने घरों में कैंपर रखवाने शुरू कर दिए हैं या फिर आरओ सिस्टम लगवा रखे हैं. रेन वॉटर हार्वेस्टिग सिस्टम अगर सही से काम करते रहें और समय पर देखभाल हो तो लाखों लीटर पानी का संरक्षण किया जा सकता है, जिससे भूमिगत पानी में भी सुधार होगा.