जींदः दिल्ली-एनसीआर की आबोहवा एक बार फिर जहरीली हो चुकी है. हरियाणा के जींद जिले का हाल तो बेहाल हो गया है. जींद का AQI (एयर क्वालिटी इंडेक्स) 290 तक पहुंच गया है. वहीं अगर शहर के अन्य इलाकों की बात करें तो वहां की स्थिति और भी गंभीर है. खस्ताहाल सड़कें और सड़कों पर दिनभर उड़ती धूल के कारण आस-पास के दुकानदार ही नहीं आम लोग भी काफी परेशान हैं.
स्थानीय लोगों का आरोप है कि प्रशासन द्वारा ना तो यहां कोई पानी का छिड़काव करवाया जा रहा है और ना ही सड़क बनवाई जा रही है. स्थानीय निवासी मनीष सिंगला बताते हैं कि
सड़क का निर्माण कार्य नहीं होने के चलते यहां भारी मात्रा में धूल उड़ती रहती है. हालात ये हैं कि यहां पर रहने वाले लोगों में आए दिन बीमारियां बढ़ रही हैं. यही नहीं लोगों की दुकानें भी खाली पड़ी रहती है. प्रदूषण के कारण लोग खरीददारी के लिए यहां कोई नहीं आता. मनीष सिंगला बताते हैं कि बार-बार प्रशासनिक अधिकारियों से शिकायत की गई है, लेकिन उसके बावजूद उनकी कोई सुनवाई नहीं होती.
जींद शहर, दिल्ली के कई मुख्य इलाकों से भी ज्यादा प्रदूषित हो चुका है. जींद का पीएम यानी हवा में धूल के कण का स्तर भी इस सप्ताह 220 तक पहुंच गया था, जो 17 अक्टूबर को 191 मापा गया. शहर में लगातार बढ़ता प्रदूषण का स्तर लोगों की गंभीर बीमारियों का सबब बना हुआ है. जनरल फिजिशियन डॉ डीपी जैन बताते हैं कि
जब मिट्टी और धूल के कण हमारे शरीर के अंदर जाते हैं तो इससे सांस संबंधित बीमारियां बढ़ जाती है. अस्थमा के मरीजों के लिए ये प्रदूषण और भी घातक साबित हो रहा है. डॉक्टर कहते हैं कि अगर अस्थमा मरीज ज्यादा प्रदूषण की चपेट में आता है तो दम घुटने से उसकी मौत भी हो सकती है.
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अक्टूबर में जींद शहर का प्रदूषण स्तर
तारीख | एक्यूआई (AQI) |
11 अक्टूबर | 235 |
12 अक्टूबर | 250 |
13 अक्टूबर | 274 |
14 अक्टूबर | 290 |
15 अक्टूबर | 290 |
16 अक्टूबर | 235 |
17 अक्टूबर | 241 |
18 अक्टूबर | 260 |
19 अक्टूबर | 250 |
20 अक्टूबर | 272 |
रोहतक रोड़ पर ठेकेदारों की लापरवाही की मार आम जनता भुगत रही है. आलम ये है कि बार-बार शिकायत करने के बावजूद प्रशासन का इस ओर कोई ध्यान नहीं है. जींद वासियों की परेशानी और सड़कों पर उड़ती इस धूल को लेकर ईटीवी भारत ने जींद उपायुक्त डॉ. आदित्य दहिया से भी बातचीत की है. डॉ. आदित्य दहिया बताते हैं कि
लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों के खिलाफ लिखित में शिकायत दी है. साथ ही ठेकेदार को सड़क निर्माण के लिए एक महीने का समय दिया गया है, ताकि वहां उड़ती धूल मिट्टी से लोगों को निजात मिल सके.
लॉकडाउन के दौरान शहर का एयर क्वालिटी इंडेक्स 20 तक पहुंच गया था. हवा में प्रदूषण की मात्रा न के बराबर थी. अब जैसे-जैसे अनलॉक के चरण बढ़ते गए वैसे-वैसे AQI भी बढ़ता गया. जैसे जून तक शहर का AQI 70 के आसपास रहा.
वहीं जुलाई में प्रदूषण का स्तर 80 से 90 के बीच रहा. अगस्त महीने में भी प्रदूषण स्तर 100 से नीचे ही रहा, जो सेहत के लिए किसी भी तरह से नुक्सानदायक नहीं है. सितंबर महीने के अंत में प्रदूषण का स्तर खतरे के निशान यानी 200 की तरफ बढ़ने लगा. लेकिन अक्टूबर महीने में धान की कटाई के बाद प्रदूषण स्तर खतरनाक स्तर तक चला गया.