जींद: बहुचर्चित पेगां पैक्स घोटाले का शिकार हुए संडील गांव के किसानों ने अर्धनग्न होकर प्रदर्शन किया. डीसी कार्यालय के बाहर किसान अर्धनग्न होकर संडील गांव के किसान धरने पर बैठ गए. जिस वक्त किसान वहां पहुंचे डीसी नहीं थे. उनकी जगह किसानों से ज्ञापन लेने के लिए नगराधीश पहुंचे, लेकिन किसानों ने नगराधीश को ज्ञापन देने से इंकार कर दिया और डीसी से ही मिलने पर अड़े रहे.
इस दौरान उचाना डीएसपी जितेंद्र भी किसानों से बात करने पहुंचे. जब डीसी के बाहर होने की बात कही गई, तो किसानों ने कोऑपरेटिव बैंक के जीएम और सहकारी समितियों के सहायक रजिस्ट्रार को भी बुलाने की मांग की. जिन्हें मौके पर बुलाया गया. इस मामले में अधिकारियों की काफी देर तक किसानों के साथ बात हुई. किसानों ने अधिकारियों के आगे हाथ जोड़ कर न्याय की गुहार लगाते हुए कहा कि बगैर कर्ज लिए पैक्स ने उन्हें डिफॉल्टर बना दिया, जिसके कारण उन्हें एनओसी नहीं मिल रही.
किसानों का कहना है कि बगैर एनओसी के ना तो बैंक कर्ज देते और दूसरे कामों में भी एनओसी की जरूरत पड़ती है वो भी नहीं होते. किसानों को पैक्स से खाद भी नहीं मिल रहा. किसानों ने मामले की जांच कर अलेवा थाना प्रभारी भी सही ढंग से जांच ना करने और आरोपितों को बचाने के आरोप लगाते हुए उनके तबादले की मांग की.
डीएसपी जितेंद्र ने जांच अधिकारी बदलने और खुद की निगरानी में दूसरे अधिकारी से जांच कराने की बात कही. जिससे किसान कुछ शांत होते दिखे, लेकिन सहायक रजिस्ट्रार ने जब कहा कि किसी कर्मचारी ने गड़बड़ी करने की बात लिखित में स्वीकार नहीं की है और ना ही इस तरह का कोई एफिडेविट उनके पास है. जिस पर किसान भड़क गए और सहायक रजिस्ट्रार पर ढंग से जांच नहीं करने के आरोप लगाते हुए किसान बगैर ज्ञापन दिए ही लघु सचिवालय से आ गए और गृह मंत्री से मिल कर जांच कराने की बात कही.
किसान बलजीत ने कहा कि सहायक रजिस्ट्रार के समक्ष आरोपित कर्मचारी लिखित में गड़बड़ी करने की बात स्वीकार चुके हैं. जिसकी कॉपी उनके पास है. किसानों के डीसी कार्यालय के नीचे धरने पर बैठने की सूचना मिलने पर अलेवा थाना प्रभारी मौके पर पहुंचे. किसानों के साथ उनकी बहस भी हुई. थाना प्रभारी पर किसान भड़क गए और उन्हें काफी खरी-खौटी सुनाते हुए आरोपित पेगां पैक्स के पूर्व प्रबंधक रोशनलाल को बचाने के आरोप लगाए. किसानों ने कहा कि एक आरोपित कर्मचारी को कई माह तक गिरफ्तार नहीं किया और अब कह रहे हैं कि उसे हाई कोर्ट से जमानत मिल गई.
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ये है मामला
पिछले साल संडील गांव में काफी किसानों के यहां पेगां पैक्स की तरफ से नोटिस आए थे. जिन्हें उन्हें पेगां पैक्स का डिफाल्टर बताते हुए बकाया ऋण की रिकवरी जमा कराने के लिए कहा गया था. नोटिस मिलते ही किसानों के होश उड़ गए. क्योंकि काफी किसान ऐसे थे, जिन्होंने पेगां पैक्स से कोई लेनदेन ही नहीं किया था. जिसके बाद जांच हुई, तो काफी खुलासे हुए और पैक्स के कर्मचारियों की भूमिका पर सवाल उठे. जिला परिवेदना समिति की मीटिंग में किसानों मंत्री अनूप धानक को इस मामले की शिकायत दी थी. अनूप धानक के निर्देश पर पुलिस ने एसआइटी गठित कर जांच शुरू की थी. इस मामले में कुछ कर्मचारियों को निलंबित भी किया जा चुका है. ग्रामीणों का आरोप है कि पुलिस भी इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं कर रही है. उन्हें जांच के नाम पर गुमराह किया जा रहा है.