जींद: जिले में गुरु तेग बहादुर के 400वें प्रकाश पर्व को समर्पित नगर कीर्तन का भव्य स्वागत किया गया है. बता दें कि नौंवीं पातशाही गुरु तेग बहादुर के 400वें प्रकाश पर्व को समर्पित महान नगर कीर्तन देर रात जींद शहर पहुंचा. यहां शहर की संगतों द्वारा नगर कीर्तन का भव्य स्वागत किया गया.
बता दें कि नगर कीर्तन नरवाना, गुरुद्वारा नौंवीं पातशाही खरकबूरा, उचाना, गुरुद्वारा नौंवीं पातशाही खटकड़ और टोल प्लाजा से होता हुआ जींद शहर में पहुंचा. नगर कीर्तन का नेतृत्व एसजीपीसी डबवाली सदस्य जगशीर सिंह मंगियाना कर रहे थे.
ऐतिहासिक गुरुद्वारा गुरु तेग बहादुर साहिब के मैनेजर सुखविंदर सिंह ढिल्लों ने बताया कि नगर कीर्तन के स्वागत को लेकर शहर की संगतों द्वारा जगह-जगह मिठाइयां, खाने, ठंडे पेय पदार्थों और आइसक्रीम के स्टाल लगाए गए.उन्होंने बताया कि गुरु तेग बहादुर हिंद की चादर और जो बोले सो निहाल, सत श्री अकाल के जयकारों से शहर में उत्सव का माहौल बन गया.
गुरुघर प्रवक्ता बलविंदर सिंह ने बताया कि ऐतिहासिक नगर कीर्तन का जींद शहर में प्रवेश करने पर पटियाला चौक पर सिंह सभा गुरुद्वारा रेलवे जंक्शन, गुरुद्वारा बंदा सिंह बहादुर और गुरुद्वारा गुरु नानक दरबार बिजली घर की संगत द्वारा स्वागत किया गया.
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बलविंदर सिंह ने बताया कि इसके बाद नगर कीर्तन रुपया चौक पर पहुंचा. जहां पर गुरुद्वारा सिंह सभा भारत सिनेमा रोड, पंजाबी गुरुद्वारा झांझ गेट की संगत की तरफ से, सफीदों गेट पर दड़ा पर स्थित गुरुद्वारा बंदा सिंह बहादुर और गुरद्वारा भाई सोहना सिंह की संगतों द्वारा सामूहिक तौर पर नगर कीर्तन के दर्शन किए गए. पालकी साहिब में सुशोभित श्री गुरु ग्रंथ साहिब के समक्ष मत्था टेक कर अपनी खुशी का इजहार किया गया.
बलविंदर सिंह ने बताया कि नगर कीर्तन में शामिल गुरु तेग बहादुर साहिब के समय काल की दुर्लभ वस्तुओं और शस्त्रों के दर्शन संगतों ने किए. नगर कीर्तन ऐतिहासिक गुरुद्वारा गुरु तेग बहादुर साहिब पर पहुंचा. यहां आतिशबाजी की गई. नगर कीर्तन के बुधवार को रात्रि विश्राम के बाद बृहस्पतिवार को प्रात: गुरुद्वारा गुरु तेग बहादुर साहिब से चलने पर गोहाना रोड पर पाहवा टेंट हाउस द्वारा, सफीदों बाईपास पर सुखमनी सेवा सोसायटी अर्बन एस्टेट द्वारा और बाईपास पर डॉट रथ की संगत द्वारा स्वागत किया गया.
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बलविंदर सिंह ने बताया कि नगर कीर्तन का किनाना और जुलाना की संगत द्वारा स्वागत किया गया. नगर कीर्तन यहां से रवाना होकर गुरुद्वारा नौंवीं पातशाही लाखनमाजरा, गुरुद्वारा नौंवीं पातशाही बंगला साहिब रोहतक, गुरुद्वारा नौंवीं पातशाही माई का डेरा रोहतक, सांपला, बहादुरगढ़ होते हुए दिल्ली में प्रवेश करेगा.