जींद: सुप्रीम कोर्ट से हटाए जाने के आदेशों के बाद हरियाणा के 1983 पीटीआई टीचर को अब पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट से भी बड़ा झटका लगा. इन शिक्षकों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद शिक्षा विभाग के आदेश को चुनौती दी थी, उन्हें आस थी कि शायद हाई कोर्ट से उन्हें राहत मिल जाए, लेकिन हाईकोर्ट ने टीचर्स के केस को डिसमिस कर दिया है. ऐसे में आगे की लड़ाई को लेकर सभी पीटीआई शिक्षक जींद के एकलव्य स्टेडियम में इक्कठा हुए और आगे की रणनीति पर बैठक की.
बैठक के दौरान ईटीवी भारत की टीम ने इन शिक्षकों से बातचीत की. हरियाणा शारीरिक शिक्षा अध्यापक संघ प्रधान गुरदेव सिंह ने बताया कि हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का हवाला देते हुए केस वापस लेने के लिए कहा है. अब वह सरकार के रिलीविंग आर्डर के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जाएंगे.
'हम दोबारा सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे'
शिक्षकों का कहना है कि कोर्ट ने पीटीआई को केस वापस लेने के आदेश दिए. अब वो दोबारा पीटीआई सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे. सुप्रीम कोर्ट में रिलीविंग के खिलाफ याचिका दायर की जाएगी. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में पीटीआई ने रिव्यू के लिए भी याचिका दायर की थी.
महिला शिक्षिकाओं में भी दिखा रोष
इस दौरान महिलाएं शिक्षिकाओं ने कैमरे के सामने अपना दर्द बयां किया. सिरसा में नौकरी बचाने के लिए मुंडन करवाने वाली शिक्षिका कविता ने कहां की सरकार ने हमारे परिवारों को उजाड़ दिया है. अब हम बच्चों को लेकर कहां जाएं. हम नौकरी के सहारे अपना परिवार चला रहे थे, लेकिन अब हम सड़क पर आ गए हैं और सरकार हमारी सुन नहीं रही है. उनका कहना है कि सरकार बहाने बना रही है. किसी भी कैंडिडेट में कोई कमी नहीं है. कमी चयन प्रक्रिया में है उनको सजा मिलनी चाहिए.
सरकार पर लगाए भेदभाव के आरोप
एक महिला शिक्षिका ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार इस मामले में राजनीति कर रही है. उनका सवाल है कि इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट के बहुत से आदेश आ चुके हैं. क्या सरकार ने सबको माना है? गेस्ट टीचर के मामले में भी पोस्ट के आदेश आए थे. एसवाईएल पर फैसला भी कोर्ट दे चुकी है. क्या सरकार उसे मान रही है, तो फिर हमारे साथ भेदभाव क्यों?
क्या है पूरा मामला
हरियाणा स्टाफ सेलेक्शन कमीशन ने अप्रैल 2010 में 1983 पीटीआई को प्रदेशभर में भर्ती किया था. इस दौरान नियुक्तियों में असफल रहे अभ्यर्थियों में संजीव कुमार, जिले राम और एक अन्य ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर नियुक्ति में गड़बड़ी का आरोप लगा चुनौती दी थी. याचिका लगाने वालों में से दो की मौत हो चुकी है जबकि एक कर्मचारी 30 अप्रैल को ही रिटायर हुआ है.
याचिका में उन्होंने कहा था कि ऐसे उम्मीदवारों को भी नियुक्ति दी थी, जिनके शैक्षणिक दस्तावेज फर्जी है. हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने याचिका पर सुनवाई कर पीटीआई की भर्ती को रद्द कर दिया था. उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी फैसला बरकरार रखा.
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