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हरियाणा रोडवेज के जींद डिपो में बसों की भारी कमी, 6 साल में 106 बसें हुई कंडम

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Published : Feb 11, 2020, 7:56 AM IST

फरवरी महीने में जींद रोडवेज डिपो की 12 बसें कंडम हो जाएंगी. इसके बाद इन 12 रूटों पर बस सेवा प्रभावित होगी. सरकार के पास डिमांड भेजी जा चुकी है, लेकिन अभी तक सरकार ने नई बसों की जानकारी नहीं दी है.

जींद रोडवेज डिपो में बसों की भारी कमी
जींद रोडवेज डिपो में बसों की भारी कमी

जींद: बसों की पहले से ही कमी झेल रहे जींद रोडवेज प्रबंधन की अब और ज्यादा परेशानी बढ़ने वाली है. साल की शुरुआत में ही बसों की संख्या में काफी कमी आई है, क्योंकि फरवरी महीने में 12 बसें और रूटों से बाहर हो गई हैं. फिलहाल जींद जिले में 143 बसें बची हैं और जरूरत 200 से ज्यादा की है. आने वाले समय में और भी कई बसें कंडम हो जाएंगी. इससे बसों की संख्या में भारी कमी आएगी.

जींद रोडवेज डिपो के पिछले 6 साल के आंकड़े पर बात करें तो 94 बसें कंडम हो चुकी हैं. जबकि 6 साल में केवल 42 बसें ही डिपो को नई मिल पाई हैं. जींद डिपो को वर्ष 2015 में 12 नई बसें मिली थी. इसके बाद रोडवेज बेड़े में साल 2017 में 30 नई बसें शामिल हुई.

जींद रोडवेज डिपो में बसों की भारी कमी, देखें वीडियो

ये भी पढ़ें- सोनीपत में मरीज राम भरोसे ! मरीजों को हो रही है परेशानी

साल 2018 में जींद डिपो में एक भी नई बस नहीं आई. रोडवेज प्रबंधन ने कई बार निदेशालय को पत्र लिखकर नई बसें भिजवाने के लिए अवगत भी कराया था. बावजूद इसके बेड़े में नई बसें शामिल नहीं हो पाई. ऐसे में साल दर साल बसों की संख्या घटती ही जा रही हैं.

ये है रोडवेज बस को कंडम घोषित करने का नियम
नई रोडवेज बस जब बेड़े में शामिल होती हैं तो उस बस की आयु सीमा व किलोमीटर तय होते हैं. नई बस की आयु सीमा 8 वर्ष होती है. इनको 8 वर्ष तक रूटों पर दौड़ाया जाता है और 8 लाख किलोमीटर तय करने होते हैं. जब आयु व किलोमीटर पूरे हो जाते हैं तो बसों को कंडम घोषित कर दिया जाता है. इसके बाद इन बसों को रूटों पर नहीं लाया जा सकता.

हर साल रोडवेज बेड़े से कई बसें कंडम हो जाती हैं, लेकिन उन बसों के बदले सरकार कोई नई बस नहीं दे रही है. इससे रूट प्रभावित तो हो ही रहे हैं बल्कि यात्रियों को भी समय पर रोडवेज सेवा मुहैया नहीं हो पा रही है. अब इन 12 बसों के कंडम होने से रोडवेज डिपो और कमजोर हो जाएगा. इसका असर रोडवेज के साथ-साथ यात्रियों पर भी पड़ेगा.

12 मिनी और 70 नई बसों की भेजी हुई है डिमांड: जीएम
जींद रोडवेज प्रबंधन ने सरकार के पास 12 मिनी बस और 70 नई बसों की डिमांड भेजी हुई है. पिछले दिनों सरकार की ओर से बसों की जरूरत को लेकर मांगी गई थी. उसके बाद डिपो प्रबंधन ने जानकारी दे दी थी, लेकिन उसके बाद अब सरकार नई बसों को डिपो में कब भेजेगा, इसकी अभी तक कोई रिपोर्ट नहीं आई है. इसी महीने 12 बसें कंडम होने से रोडवेज डिपो पर काफी फर्क पड़ेगा.

हालांकि, सरकार निजी बसों को 26.92 रुपये प्रति किलोमीटर पर रोडवेज के बेड़े में शामिल करने की बात कह रही है, लेकिन रोडवेज कर्मचारी सरकार के इस फैसले के खिलाफ हैं. किलोमीटर स्कीम के खिलाफ रोडवेज कर्मचारी कई बार हड़ताल भी कर चुके हैं.

जींद: बसों की पहले से ही कमी झेल रहे जींद रोडवेज प्रबंधन की अब और ज्यादा परेशानी बढ़ने वाली है. साल की शुरुआत में ही बसों की संख्या में काफी कमी आई है, क्योंकि फरवरी महीने में 12 बसें और रूटों से बाहर हो गई हैं. फिलहाल जींद जिले में 143 बसें बची हैं और जरूरत 200 से ज्यादा की है. आने वाले समय में और भी कई बसें कंडम हो जाएंगी. इससे बसों की संख्या में भारी कमी आएगी.

जींद रोडवेज डिपो के पिछले 6 साल के आंकड़े पर बात करें तो 94 बसें कंडम हो चुकी हैं. जबकि 6 साल में केवल 42 बसें ही डिपो को नई मिल पाई हैं. जींद डिपो को वर्ष 2015 में 12 नई बसें मिली थी. इसके बाद रोडवेज बेड़े में साल 2017 में 30 नई बसें शामिल हुई.

जींद रोडवेज डिपो में बसों की भारी कमी, देखें वीडियो

ये भी पढ़ें- सोनीपत में मरीज राम भरोसे ! मरीजों को हो रही है परेशानी

साल 2018 में जींद डिपो में एक भी नई बस नहीं आई. रोडवेज प्रबंधन ने कई बार निदेशालय को पत्र लिखकर नई बसें भिजवाने के लिए अवगत भी कराया था. बावजूद इसके बेड़े में नई बसें शामिल नहीं हो पाई. ऐसे में साल दर साल बसों की संख्या घटती ही जा रही हैं.

ये है रोडवेज बस को कंडम घोषित करने का नियम
नई रोडवेज बस जब बेड़े में शामिल होती हैं तो उस बस की आयु सीमा व किलोमीटर तय होते हैं. नई बस की आयु सीमा 8 वर्ष होती है. इनको 8 वर्ष तक रूटों पर दौड़ाया जाता है और 8 लाख किलोमीटर तय करने होते हैं. जब आयु व किलोमीटर पूरे हो जाते हैं तो बसों को कंडम घोषित कर दिया जाता है. इसके बाद इन बसों को रूटों पर नहीं लाया जा सकता.

हर साल रोडवेज बेड़े से कई बसें कंडम हो जाती हैं, लेकिन उन बसों के बदले सरकार कोई नई बस नहीं दे रही है. इससे रूट प्रभावित तो हो ही रहे हैं बल्कि यात्रियों को भी समय पर रोडवेज सेवा मुहैया नहीं हो पा रही है. अब इन 12 बसों के कंडम होने से रोडवेज डिपो और कमजोर हो जाएगा. इसका असर रोडवेज के साथ-साथ यात्रियों पर भी पड़ेगा.

12 मिनी और 70 नई बसों की भेजी हुई है डिमांड: जीएम
जींद रोडवेज प्रबंधन ने सरकार के पास 12 मिनी बस और 70 नई बसों की डिमांड भेजी हुई है. पिछले दिनों सरकार की ओर से बसों की जरूरत को लेकर मांगी गई थी. उसके बाद डिपो प्रबंधन ने जानकारी दे दी थी, लेकिन उसके बाद अब सरकार नई बसों को डिपो में कब भेजेगा, इसकी अभी तक कोई रिपोर्ट नहीं आई है. इसी महीने 12 बसें कंडम होने से रोडवेज डिपो पर काफी फर्क पड़ेगा.

हालांकि, सरकार निजी बसों को 26.92 रुपये प्रति किलोमीटर पर रोडवेज के बेड़े में शामिल करने की बात कह रही है, लेकिन रोडवेज कर्मचारी सरकार के इस फैसले के खिलाफ हैं. किलोमीटर स्कीम के खिलाफ रोडवेज कर्मचारी कई बार हड़ताल भी कर चुके हैं.

Intro:बसों की पहले से ही कमी झेल रहे जींद रोडवेज प्रबंधन की अब और ज्यादा परेशानी बढऩे वाली है। साल की शुरुआत में ही बसों की संख्या में और ज्यादा कमी आएगी, क्योंकि फरवरी माह में 12 बसें और रूटों से बाहर हो गयी। फिलहाल जींद जिले में 143 बसें बची है और जरूरत 200 से ज्यादा की है , आने वाले समय मे और भी कई बसें कंडम हो जाएगी इससे बसों की संख्या में भारी कमी आएगी । इसके कारण लोकल व लंबे रूट प्रभावित होंगे और यात्रियों को भी अपने गंतव्य जाने के लिए बसों के लिए काफी लंबा इंतजार करना पड़ेगा। 


जींद रोडवेज डिपो के पिछले 6 साल के आंकड़े पर बात करें तो 94 बसें कंडम हो चुकी हैं। जबकि 6 साल में केवल 42 बसें ही डिपो को नई मिल पाई हैं , जींद डिपो को वर्ष 2015 में 12 नई बसें मिली थी। इसके बाद रोडवेज बेड़े में वर्ष 2017 में 30 नई बसें शामिल हुई। वर्ष 2018 में जींद डिपो में एक भी नई बस नहीं आई। रोडवेज प्रबंधन ने कई बार निदेशालय को पत्र लिखकर नई बसें भिजवाने के लिए अवगत भी कराया था। बावजूद इसके बेड़े में नई बसें शामिल नहीं हो पाई। ऐसे में साल दर साल बसों की संख्या घटती ही जा रही है।



ये है रोडवेज बस के कंडम घोषित करने का नियम 

नई रोडवेज बस जब बेड़े में शामिल होती है तो उस बस की आयु सीमा व किलोमीटर तय होते हैं। नई बस की आयु सीमा 8 वर्ष होती है। इनको 8 वर्ष तक रूटों पर दौड़ाया जाता है और 8 लाख किलोमीटर तय करने होते हैं। जब आयु व किलोमीटर पूरे हो जाते हैं तो बसों को कंडम घोषित कर दिया जाता है। इसके बाद इन बसों को रूटों पर नहीं लाया जा सकता।
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रोडवेज बेड़े में 70 नई बसें शामिल करे सरकार : कर्मचारी नेता

हर साल रोडवेज बेड़े से कई बसें कंडम हो जाती हैं, लेकिन उन बसों के बदले सरकार कोई नई बस नहीं दे रही है। इससे रूट प्रभावित तो हो ही रहे हैं बल्कि यात्रियों को भी समय पर रोडवेज सेवा मुहैया नहीं हो पा रही। अब इन 12 बसों के कंडम होने से रोडवेज डिपो और कमजोर हो जाएगा। इसका असर रोडवेज के साथ-साथ यात्रियों पर भी पड़ेगा, रोडवेज के कर्मचारी दिल से मेहनत कर काम कर रहे हैं लेकिन बसों की संख्या के आगे वह भी लाचार हैं।

बाइट - अनूप लाठर, प्रधान, रोडवेज कर्मचारी महासंघ, जींद




12 मिनी और 70 नई बसों की भेजी हुई है डिमांड : जीएम

रोडवेज प्रबंधन ने सरकार के पास 12 मिनी बस और 70 नई बसों की डिमांड भेजी हुई है। पिछले दिनों सरकार की ओर से बसों की जरूरत को लेकर मांगी गई थी। उसके बाद डिपो प्रबंधन ने जानकारी दे दी थी, लेकिन उसके बाद अब सरकार नई बसों को डिपो में कब भेजेगा, इसकी अभी तक कोई रिपोर्ट नहीं आई है। इसी माह 12 बसें कंडम होने से रोडवेज डिपो पर काफी फर्क पड़ेगा। अभी भी हम बसों को डबल यूज करके काम चला रहे है

बिजेंद्र सिंह, जीएम, रोडवेज डिपो जींद। 


Conclusion:हालांकि सरकार निजी बसों को 26.92 रुपये प्रति किलोमीटर पर रोडवेज के बेड़े में शामिल करने की बात कह रही है लेकिन रोडवेज कर्मचारी सरकार के इस फैसले के खिलाफ हैं , जिसको लेकर वह कई बार हड़ताल भी कर चुके हैं ।
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