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जींद: धरने पर बैठे किसानों ने गर्मी से बचने के लिए अपनाई ये देसी तकनीक - टकड़ टोल प्लाजा बाजरा अवशेष शेड

किसानों ने कहा कि उनका ये धरना मांगें पूरी होने तक जारी रहेगा. ऐसे में हर रोज प्लाजा पर किसानों की संख्या बढ़ रही है, जिसे देखते हुए धरनास्थल पर ज्वार और बाजरे के अवशेषों से शेड बनाए गए हैं.

Khatkar Toll Plaza farmers protest
जींद में गर्मी से बचने के लिए किसानों ने अपनाई देसी तकनीक
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Published : Mar 3, 2021, 3:13 PM IST

जींद: जिले के खटकड़ टोल प्लाजा पर किसानों का धरना 67 दिनों से जारी है. ऐसे में किसानों से गर्मी से बचने के लिए देसी तकनीक अपनानी शुरू कर दी है. किसानों से गर्मी से बचने के लिए शेड लगाना शुरू कर दिया है. खास बात ये है कि किसानों से शेड लगाने के लिए बाजरे और ज्वार के अवशेष इस्तेमाल किया है.

धरने पर बैठे किसानों ने कहा कि उनका ये धरना मांगें पूरी होने तक जारी रहेगा. ऐसे में हर रोज प्लाजा पर किसानों की संख्या बढ़ रही है, जिसे देखते हुए धरनास्थल पर ज्वार और बाजरे के अवशेषों से शेड बनाए गए हैं. किसानों ने बताया कि बाजरे और ज्वार के ये अवशेष कूलर और ऐसी की तरह ही काम करते हैं और वो अपने खेतों में भी इसी का इस्तेमाल करते आए हैं.

धरने पर बैठे किसानों ने गर्मी से बचने के लिए अपनाई ये देसी तकनीक

ये भी पढ़िए: हरियाणा बजट 2021 पर एक्सपर्ट की राय, कृषि क्षेत्र में MSP की तस्वीर साफ करे सरकार

किसान नेता आजाद पालवा ने बताया कि गर्मी से बचने के लिए हमने जो बाजरे और ज्वार के अवशेष लगाए हैं ये कूलर और एसी का काम करेंगे. खेत मे भी तो किसान इन्हीं से झोपड़ी बनाकर काम चलाते हैं. वहीं किसान नेता सतबीर पहलवान ने बताया कि किसान इतना अमीर तो है नहीं कि धरनास्थल पर टेंट लगाया जाए, इसलिए किसानों ने देसी जुगाड़ लगाया है.

जींद: जिले के खटकड़ टोल प्लाजा पर किसानों का धरना 67 दिनों से जारी है. ऐसे में किसानों से गर्मी से बचने के लिए देसी तकनीक अपनानी शुरू कर दी है. किसानों से गर्मी से बचने के लिए शेड लगाना शुरू कर दिया है. खास बात ये है कि किसानों से शेड लगाने के लिए बाजरे और ज्वार के अवशेष इस्तेमाल किया है.

धरने पर बैठे किसानों ने कहा कि उनका ये धरना मांगें पूरी होने तक जारी रहेगा. ऐसे में हर रोज प्लाजा पर किसानों की संख्या बढ़ रही है, जिसे देखते हुए धरनास्थल पर ज्वार और बाजरे के अवशेषों से शेड बनाए गए हैं. किसानों ने बताया कि बाजरे और ज्वार के ये अवशेष कूलर और ऐसी की तरह ही काम करते हैं और वो अपने खेतों में भी इसी का इस्तेमाल करते आए हैं.

धरने पर बैठे किसानों ने गर्मी से बचने के लिए अपनाई ये देसी तकनीक

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किसान नेता आजाद पालवा ने बताया कि गर्मी से बचने के लिए हमने जो बाजरे और ज्वार के अवशेष लगाए हैं ये कूलर और एसी का काम करेंगे. खेत मे भी तो किसान इन्हीं से झोपड़ी बनाकर काम चलाते हैं. वहीं किसान नेता सतबीर पहलवान ने बताया कि किसान इतना अमीर तो है नहीं कि धरनास्थल पर टेंट लगाया जाए, इसलिए किसानों ने देसी जुगाड़ लगाया है.

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