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कोरोना का असरः लेबर की कमी में ऑटोमेटिक मशीनों की तरफ बढ़ रही हैं फैक्ट्रियां

हरियाणा में अधिकतर लेबर बाहरी राज्यों की काम करती है. कोरोना की वजह से ज्यादातर लेबर पलायन कर गई है. लेबर की कमी को दूर करने के लिए फैक्ट्री मालिक ऑटोमेटिक मशीन लगा रहे हैं, जिससे रोजगार संकट गहरा सकता है.

factory established automatic machine to solve labour problem in jind
लेबर की शॉर्टेज में ऑटोमेटिक मशीनों की तरफ बढ़ रही हैं फैक्ट्रियां, रोजगार पर मंडरा सकता खतरा
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Published : Aug 26, 2020, 8:38 PM IST

Updated : Aug 26, 2020, 10:07 PM IST

जींद: कोरोना काल वैसे ही मानव जाति के लिए अभिशाप बना हुआ है. भारी संख्या में लोग बेरोजगार हो गए हैं. कोरोना का असर सिर्फ कमेरे वर्ग पर ही नहीं पड़ा. बल्कि इससे उद्योग भी अछूते नहीं रहे. कोरोना काल के शुरुआती दौर में काफी संख्या में लेबर का बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड पलायन हो गया, जिसकी वजह से छोटी-मोटी फैक्ट्रियों पर ताले लटक गए. वहीं कई फैक्ट्रियों में मुख्य तौर पर कपास मील, तेल मील, धागा मील और दाल मील समेत कई फैक्ट्रियों में लेबर न होने की वजह से प्रोडक्शन रुक गया. इस संकट से बचने के लिए फैक्ट्री मालिक ऑटोमेटिक मशीन की ओर रुख कर रहे हैं, जिससे कि कम से कम लेबर में काम चलाया जा सके.

लेबर की शॉर्टेज में ऑटोमेटिक मशीनों की तरफ बढ़ रही हैं फैक्ट्रियां, रोजगार पर मंडरा सकता है खतरा

मशीन से होगी लेबर शॉर्टेज दूर

फैक्ट्रियों को ऑटोमेटिक मशीनों की तरफ शिफ्ट कर रहे फैक्ट्री मालिकों का कहना है कि लेबर की बहुत शॉर्टेज है, जिस वजह से वो ऑटोमेटिक मशीनों की ओर शिफ्ट कर रहे हैं. अब हमें लेबर का इंतजार नहीं करना पड़ेगा और जो काम 20 लोग मिलकर करते थे. अब वही काम 5 लोग कर सकेंगे. क्योंकि सारी ऑटोमेटिक कंट्रोल मशीनें लगा रहे हैं. जिससे हमारा खर्चा भी बचेगा और लेबर की समस्या भी नहीं रहेगी.

जो मशीनें मानव के लिए सहायक हैं. अब वो ही मानव के लिए राक्षस बनती जा रही हैं. जींद जिले में जो फैक्ट्रियां 500 लोगों को रोजगार दे रही थीं, इन मशीनों के आने से उन फैक्ट्रियों में मात्र 75 से 100 लोगों को ही काम मिलेगा, लेकिन ये बात भी सच है कि अगर सभी फैक्ट्रियां पूरी तरह से ऑटोमेटिक मशीन पर शिफ्ट हो जाएंगी तो इसका लेबर वर्ग पर गहरा असर पड़ेगा.

रोजगार पर मंडरा सकता है खतरा

वहीं लोगों के जा रहे रोजगार और फैट्रियों के आधुनिकीकरण की ओर बढ़ रहे रुख पर श्रमिक नेता सतबीर खरल का कहना है कि सरकार ने कोरोना की आढ़ में लेबर के 44 कानूनों पर हमला किया है और अब फैक्ट्रियों के साथ मिलकर ऑटोमेटिक मोड पर ले जा रही है, ताकि आने वाले समय में फैक्ट्रियों को लेबर की जरूरत ना हो. देश में पहले ही 12 करोड़ लोग बेरोजगार हो चुके हैं, लेकिन सरकार के कान पर कोई जूं नहीं रैंग रही. सरकार पूंजीपतियों के साथ मिलकर इस तहर के फैसले ले रही है.

ये भी पढ़ें:-घोटालों की जांच को लेकर सरकार ने नहीं सुनी बात इसलिए किया वॉकआउट: हुड्डा

जींद जिले में रोजगार पहले से ही समस्या बना हुआ है और अब जो रोजगार बचा है उसे ऑटोमेटिक मशीन खा जाएंगी. इसके पीछे की वजह मौजूदा हालात हैं,. मौजूदा दौर में कोरोना के चलते फैक्ट्री मालिकों को लेबर नहीं मिल रही और आने वाले समय में इन मशीनों की वजह से रोजगार की समस्या पैदा होगी .

जींद: कोरोना काल वैसे ही मानव जाति के लिए अभिशाप बना हुआ है. भारी संख्या में लोग बेरोजगार हो गए हैं. कोरोना का असर सिर्फ कमेरे वर्ग पर ही नहीं पड़ा. बल्कि इससे उद्योग भी अछूते नहीं रहे. कोरोना काल के शुरुआती दौर में काफी संख्या में लेबर का बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड पलायन हो गया, जिसकी वजह से छोटी-मोटी फैक्ट्रियों पर ताले लटक गए. वहीं कई फैक्ट्रियों में मुख्य तौर पर कपास मील, तेल मील, धागा मील और दाल मील समेत कई फैक्ट्रियों में लेबर न होने की वजह से प्रोडक्शन रुक गया. इस संकट से बचने के लिए फैक्ट्री मालिक ऑटोमेटिक मशीन की ओर रुख कर रहे हैं, जिससे कि कम से कम लेबर में काम चलाया जा सके.

लेबर की शॉर्टेज में ऑटोमेटिक मशीनों की तरफ बढ़ रही हैं फैक्ट्रियां, रोजगार पर मंडरा सकता है खतरा

मशीन से होगी लेबर शॉर्टेज दूर

फैक्ट्रियों को ऑटोमेटिक मशीनों की तरफ शिफ्ट कर रहे फैक्ट्री मालिकों का कहना है कि लेबर की बहुत शॉर्टेज है, जिस वजह से वो ऑटोमेटिक मशीनों की ओर शिफ्ट कर रहे हैं. अब हमें लेबर का इंतजार नहीं करना पड़ेगा और जो काम 20 लोग मिलकर करते थे. अब वही काम 5 लोग कर सकेंगे. क्योंकि सारी ऑटोमेटिक कंट्रोल मशीनें लगा रहे हैं. जिससे हमारा खर्चा भी बचेगा और लेबर की समस्या भी नहीं रहेगी.

जो मशीनें मानव के लिए सहायक हैं. अब वो ही मानव के लिए राक्षस बनती जा रही हैं. जींद जिले में जो फैक्ट्रियां 500 लोगों को रोजगार दे रही थीं, इन मशीनों के आने से उन फैक्ट्रियों में मात्र 75 से 100 लोगों को ही काम मिलेगा, लेकिन ये बात भी सच है कि अगर सभी फैक्ट्रियां पूरी तरह से ऑटोमेटिक मशीन पर शिफ्ट हो जाएंगी तो इसका लेबर वर्ग पर गहरा असर पड़ेगा.

रोजगार पर मंडरा सकता है खतरा

वहीं लोगों के जा रहे रोजगार और फैट्रियों के आधुनिकीकरण की ओर बढ़ रहे रुख पर श्रमिक नेता सतबीर खरल का कहना है कि सरकार ने कोरोना की आढ़ में लेबर के 44 कानूनों पर हमला किया है और अब फैक्ट्रियों के साथ मिलकर ऑटोमेटिक मोड पर ले जा रही है, ताकि आने वाले समय में फैक्ट्रियों को लेबर की जरूरत ना हो. देश में पहले ही 12 करोड़ लोग बेरोजगार हो चुके हैं, लेकिन सरकार के कान पर कोई जूं नहीं रैंग रही. सरकार पूंजीपतियों के साथ मिलकर इस तहर के फैसले ले रही है.

ये भी पढ़ें:-घोटालों की जांच को लेकर सरकार ने नहीं सुनी बात इसलिए किया वॉकआउट: हुड्डा

जींद जिले में रोजगार पहले से ही समस्या बना हुआ है और अब जो रोजगार बचा है उसे ऑटोमेटिक मशीन खा जाएंगी. इसके पीछे की वजह मौजूदा हालात हैं,. मौजूदा दौर में कोरोना के चलते फैक्ट्री मालिकों को लेबर नहीं मिल रही और आने वाले समय में इन मशीनों की वजह से रोजगार की समस्या पैदा होगी .

Last Updated : Aug 26, 2020, 10:07 PM IST
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