जींद: चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय भाषण श्रृंखला कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस दौरान गुरुग्राम विश्वविद्यालय के वीसी डॉक्टर मारकण्डेय अहुजा ने मुख्य अतिथि के तौर पर शिरकत की. कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर राजबीर सिंह सोलकी ने की.
भागवत गीता के महत्व पर जोर
गुरुग्राम विश्वविद्यालय के कुलपति ने भागवत गीता का वर्तमान समय में प्रसंगीता विषय पर विस्तार व्याख्यान दिया. उन्होंने बताया कि आज के समय में भगवत गीता ना केवल एक धार्मिक ग्रंथ है बल्कि जीवन जीने की कला को समझाने का स्त्रोत है. ये तनाव के साथ-साथ मानसिकता को स्वस्थ करने में भी सहायक है.
महाविद्यालय में भाषण प्रतियोगिता
उन्होंने कहा कि आज के समय में स्कूल, महाविद्यालय और विश्वविद्यालय में विधार्थियों को जीविका का साधान या ज्ञान तो प्रदान करवा सकते हैं. लेकिन उनसे सही मायने में जीवन किस प्रकार जीना चाहिए ये सीखाने में असक्षम हैं. जिसके कारण लोगों का मानसिक विकास तो हो रहा है, लेकिन व्यक्ति के अन्दर वनात्मकता धीरे-धीरे समाप्त होती जा रही है.
'भागवत गीता कला को समझाने का स्त्रोत'
उन्होंने महाभारत का उदाहरण देते हुए, बताया कि जिस प्रकार अर्जुन हर प्रकार से युद्ध के लिए कुशल होते हुए भी सकुंचित हो रहा था. क्योंकि उसे अपने बन्धुओं पर शस्त्र चलाना था. भगवान कृष्ण के उपदेशानुसार अर्जुन ने अपने बन्धुओं के विरूद्ध शस्त्र उठाएं.
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इस मौके पर चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर राजवीर सोलंकी ने कहा कि क्लास रूम में हमें सिलेबस के साथ-साथ कुछ इस तरह की चीजें भी पढ़ानी चाहिए. जो जीवन में समग्रता भरे, महाभारत एक ऐसा ग्रंथ है जो जीवन को पूर्ण कर सकता है.