जींद: बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने शहर में सीएए और एनआरसी के समर्थन में मार्च निकाला. जिले भर के बजरंग दल कार्यकर्ता जयंती देवी मंदिर में इकट्ठा हुए और मंदिर से जिला सचिवालय तक सीएए और एनआरसी के समर्थन में यात्रा निकाली. इस यात्रा के दौरान बजरंग दल के कार्यकर्ता नाचते-गाते हुए जिला लघु सचिवालय तक पहुंचे.
बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने सीएए के समर्थन में निकाला मार्च
बजरंग दल के कार्यकर्ताओं से ईटीवी भारत के संवाददाता कुलदीप ने बातचीत की. बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने बताया कि कानून बनने के बाद भी कुछ लोग सीएए का विरोध कर रहे हैं. जबकि इस कानून से किसी को कोई खतरा नहीं है. जो लोग इसका विरोध कर रहे हैं वो देश द्रोही हैं. उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए.
दो डीएसपी के साथ भारी पुलिस बल भी रहा मौजूद
बजरंग दल के इस मार्च के देखते हुए पुलिस प्रशासन भी सजग दिखा. पुलिस ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए थे. दो डीएसपी के साथ भारी पुलिस बल मार्च के दौरान मौजूद रहा. बजरंग दल के कुछ कार्यकर्ता मस्जिद रोड पर जाने की बात कर रहे थे. जिसके बाद पुलिस ने नाका लगाकर मस्जिद की सुरक्षा बढ़ा दी.
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विस्तार से जानें कि क्या है एनआरसी और सीएए जिस पर इतना बवाल हो रहा है.
- नागरिकता कानून 2019 भारत के तीन पड़ोसी देशों से धार्मिक उत्पीड़न ही वजह से भारत आने वाले अल्पसंख्यकों को सिटिजनशिप देने के लिए है.
- पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश जैसे भारत के पड़ोसी देशों में सिख, जैन, हिंदू, बौद्ध, इसाई और पारसी अल्पसंख्यक हैं. ये तीनों देश मुस्लिम राष्ट्र हैं, इस वजह से उनमें धार्मिक अल्पसंख्यक को उत्पीड़न का शिकार होना पड़ता है.
- नागरिकता संशोधन अधिनियम में प्रावधान है कि अगर इन तीन देशों के छह धर्म के लोग भारत में 31 दिसंबर 2014 तक आ चुके हैं तो उन्हें घुसपैठिया नहीं माना जाएगा. उन्हें इस कानून के तहत भारत की नागरिकता दी जाएगी.
- अगर इसे सीधे शब्दों में समझें तो एनआरसी जहां देश से अवैध घुसपैठियों को बाहर निकालने की कवायद है, वहीं नागरिकता कानून 2019 देश में आ चुके छह धर्म के लोगों को बसाने की कोशिश है.
- जिन लोगों के नाम एनआरसी में शामिल नहीं हैं, वह अवैध नागरिक कहलाए जाएंगे. एनआरसी के हिसाब से 25 मार्च 1971 से पहले असम में रह रहे लोगों को भारतीय नागरिक माना गया है.