जींदः हरियाणा में आज भी बाल विवाह जैसी कई सामाजिक बुराइयां पनप रही हैं, जो ना केवल प्रदेश के विकास को रोक रही है बल्की देश के भविष्य पर भी खतरा है. हरियाणा में बाल विवाह के मामले रुकने का नाम नहीं ले रहे. ये जानते हुए भी कि निर्धारित उम्र से पहले लड़के और लड़की की शादी कराना गैरकानूनी है, लोग बेखौफ बाल विवाह जैसी कुरीतियों का मान रहे हैं.
जींद में सामने आए इतने मामले
अकेले जींद जिले में साल 2019 से अप्रैल साल 2020 तक 14 मामले सामने आ चुके हैं. वहीं साल 2020 की अप्रैल से अबतक 22 बाल विवाह पुलिस ने रुकवाए हैं. ताजा मामला जींद के सूदकैन गांव से सामने आया है. जहां पुलिस ने 17 साल और 16 साल की दो बच्चियों की जिंदगियां बर्बाद होने से बचा ली.
क्या है विवाह के नियम ?
बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 के मुताबिक, पुरुषों की शादी की न्यूनतम उम्र 21 साल और महिलाओं की 18 साल होनी चाहिए. जिसका बाल विवाह हुआ है, वो बालिग होने के दो साल बाद तक अपना विवाह निरस्त करा सकता है. बता दें बाल विवाह एक गैर जमानती अपराध है.
क्या है सजा का प्रावधान?
महिला सुरक्षा अधिकारी सुनीता शर्मा बताती हैं कि बाल विवाह करवाते पकड़े जाने पर 2 साल तक की कैद या 1 लाख रुपये तक जुर्माना हो सकता है. इसके साथ ही पोक्सो एक्ट के तहत भी मुकदमा दर्ज किया जा सकता है. बाल विवाह को लेकर कंट्रोल रूम नंबर 100, महिला हेल्पलाइन नंबर 1091 पर फोन करके सूचना दी जा सकती है.
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आखिर क्यों होते हैं बाल विवाह?
आज शिक्षा और जागरुकता के अभाव में हम बाल विवाह जैसी कुरीतियों को अपने साथ लेकर चल रहे हैं. आज अगर शहरों के साथ-साथ गांव के लोगों का भी मानसिक विकास किया जाए तो ऐसी कुप्रथा अपने आप ही समाप्त हो जाएगी. हालांकि शहर और गांवों के बीच में सोच की इतनी बड़ी खाई को भर पाना इतना भी आसान नजर नहीं आता.