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बहादुरगढ़ में सड़क बनाने वाला महकमा आया सड़क पर, जानिए क्यों ?

बहादुरगढ़ में जिस जमीन पर पीडब्ल्यूडी विभाग का दफ्तर बना है, उस जमीन को लेकर विवाद चल रहा था. जिसको लेकर कोर्ट ने फैसला कांग्रेस विधायक राजेंद्र जून को पुत्रों के पक्ष में सुना दिया है और कोर्ट ने ही जमीन पर असली मालिकों को कब्जा भी दिलाया.

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Published : Jan 13, 2020, 7:06 PM IST

झज्जरः बहादुरगढ़ में सड़क बनाने वाला महकमा खुद सड़क पर आ गया है. ना कोई दफ्तर रहा और ना ही कोई निवास रहा. दफ्तर और निवास अब कांग्रेस विधायक राजेन्द्र जून के पुत्र विक्रम जून और भाई अशोक जून को मिल गया है.

कोर्ट ने जून ब्रदर्स को दिलाया कब्जा
बहादुरगढ़ में रोहतक-दिल्ली रोड पर लोक निर्माण विभाग का सालों पुराना दफ्तर है. दफ्तर के ठीक सामने दिल्ली रोड पर विभाग के कार्यकारी अभियंता का निवास स्थान भी है. फिलहाल निवास स्थान में कार्यकारी अभियंता के एस पठानिया रह रहे थे. दफ्तर में सुबह पूरा स्टाफ भी था, लेकिन जैसे की कोर्ट बैलिफ के साथ विधायक राजेन्द्र जून के पुत्र विक्रम जून कोर्ट के आदेशों की पालना कराने पहुंचे तो एक-एक करके सारे अधिकारी भी वहां से चलते बने. कोर्ट बैलिफ ने पुलिस की मौजूदगी में निवास स्थान से कार्यकारी अभियंता का सामान बाहर निकलवाया और एक किनारे बने शैड में रखवा दिया. बाद में कार्यकारी अभियंता के निवास के बाहर विक्रम जून की नेम प्लेट भी लगा दी. ताला लगाकर चाबी भी विक्रम जून को दे दी गई. उसके बाद दफ्तर को भी खाली करवा लिया गया. पूरी कार्यवाही के दौरान विधायक राजेन्द्र जून के समर्थक भी मौजूद रहे. कोर्ट बैलिफ के कहने पर उन्होंने ही निवास स्थान से सामान बाहर निकालकर खाली शैड के नीचे रखवाने में मदद की.

बहादुरगढ़ में सड़क बनाने वाला महकमा आया सड़क पर, क्लिक कर देखें वीडियो.

लंबे समय से चल रहा था जमीन को लेकर विवाद
लोक निर्माण विभाग और जमीन मालिकों के बीच करीब 2600 गज जमीन का विवाद 33 साल से भी ज्यादा समय से चला आ रहा था. 2 मई 1986 को लोवर कोर्ट ने जमीन मालिकों के हक में फैसला सुनाया था. उसके बाद सरकार ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, लेकिन वहां भी जीत जमीन मालिकों की ही हुई. हाईकोर्ट के आदेशों की पालना करवाने के लिये डिग्री धारकों ने एसीजे कोर्ट में याचिका लगाई. जिस पर फैसला करते हुए एसीजे कोर्ट ने 3 जनवरी को डिग्री के क्रियान्वन के आदेश जारी कर दिए. कोर्ट बैलिफ को आदेशों की पालना करवा कर 6 फरवरी तक कोर्ट में रिपोर्ट पेश करनी है. अमीलाल वर्सेज स्टेट ऑफ हरियाणा केस में फैसला दिया गया है.

कोर्ट के आदेश पर हुई कार्रवाई
विधायक राजेन्द्र जून के पुत्र विक्रम जून का कहना है कि सारी कार्यवाही कोर्ट के आदेशों के तहत की जा रही है. निचली अदालत ने साल 1986 में उनके हक में आदेश किया. हाईकोर्ट ने भी सरकार के खिलाफ उनके हक में फैसला दिया था. उसके बाद ही उन्होंने एडिशनल सिविल जज की अदालत में 1986 के फैसले को लागू करवाने की याचिका दायर की थी. 33 साल बाद उन्हें उनका हक मिला है.

सड़क पर आया पीडब्ल्यूडी विभाग
कोर्ट के आदेश पर हुई कार्रवाई के बाद पीडब्ल्यूडी विभाग के पास बहादुरगढ़ में ना है तो अब कार्यालय बचा है और ना ही विभाग के एक्सईएन का निवास स्थान. ऐसे में अब अधिकारी कहां बैठेंगे और लोगों की समस्याओं का समाधान कैसे किया जाएगा, इस पर भी असमंजस बना हुआ है. कुल मिलाकर बहादुरगढ़ में सड़के बनाने वाला पीडब्ल्यूडी विभाग खुद सड़क पर आ गया है.

ये भी पढ़ेंः- खरगोश पालन से आय को दें रफ्तार, छोटे निवेश और कम जगह में शुरू करें व्यवसाय

झज्जरः बहादुरगढ़ में सड़क बनाने वाला महकमा खुद सड़क पर आ गया है. ना कोई दफ्तर रहा और ना ही कोई निवास रहा. दफ्तर और निवास अब कांग्रेस विधायक राजेन्द्र जून के पुत्र विक्रम जून और भाई अशोक जून को मिल गया है.

कोर्ट ने जून ब्रदर्स को दिलाया कब्जा
बहादुरगढ़ में रोहतक-दिल्ली रोड पर लोक निर्माण विभाग का सालों पुराना दफ्तर है. दफ्तर के ठीक सामने दिल्ली रोड पर विभाग के कार्यकारी अभियंता का निवास स्थान भी है. फिलहाल निवास स्थान में कार्यकारी अभियंता के एस पठानिया रह रहे थे. दफ्तर में सुबह पूरा स्टाफ भी था, लेकिन जैसे की कोर्ट बैलिफ के साथ विधायक राजेन्द्र जून के पुत्र विक्रम जून कोर्ट के आदेशों की पालना कराने पहुंचे तो एक-एक करके सारे अधिकारी भी वहां से चलते बने. कोर्ट बैलिफ ने पुलिस की मौजूदगी में निवास स्थान से कार्यकारी अभियंता का सामान बाहर निकलवाया और एक किनारे बने शैड में रखवा दिया. बाद में कार्यकारी अभियंता के निवास के बाहर विक्रम जून की नेम प्लेट भी लगा दी. ताला लगाकर चाबी भी विक्रम जून को दे दी गई. उसके बाद दफ्तर को भी खाली करवा लिया गया. पूरी कार्यवाही के दौरान विधायक राजेन्द्र जून के समर्थक भी मौजूद रहे. कोर्ट बैलिफ के कहने पर उन्होंने ही निवास स्थान से सामान बाहर निकालकर खाली शैड के नीचे रखवाने में मदद की.

बहादुरगढ़ में सड़क बनाने वाला महकमा आया सड़क पर, क्लिक कर देखें वीडियो.

लंबे समय से चल रहा था जमीन को लेकर विवाद
लोक निर्माण विभाग और जमीन मालिकों के बीच करीब 2600 गज जमीन का विवाद 33 साल से भी ज्यादा समय से चला आ रहा था. 2 मई 1986 को लोवर कोर्ट ने जमीन मालिकों के हक में फैसला सुनाया था. उसके बाद सरकार ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, लेकिन वहां भी जीत जमीन मालिकों की ही हुई. हाईकोर्ट के आदेशों की पालना करवाने के लिये डिग्री धारकों ने एसीजे कोर्ट में याचिका लगाई. जिस पर फैसला करते हुए एसीजे कोर्ट ने 3 जनवरी को डिग्री के क्रियान्वन के आदेश जारी कर दिए. कोर्ट बैलिफ को आदेशों की पालना करवा कर 6 फरवरी तक कोर्ट में रिपोर्ट पेश करनी है. अमीलाल वर्सेज स्टेट ऑफ हरियाणा केस में फैसला दिया गया है.

कोर्ट के आदेश पर हुई कार्रवाई
विधायक राजेन्द्र जून के पुत्र विक्रम जून का कहना है कि सारी कार्यवाही कोर्ट के आदेशों के तहत की जा रही है. निचली अदालत ने साल 1986 में उनके हक में आदेश किया. हाईकोर्ट ने भी सरकार के खिलाफ उनके हक में फैसला दिया था. उसके बाद ही उन्होंने एडिशनल सिविल जज की अदालत में 1986 के फैसले को लागू करवाने की याचिका दायर की थी. 33 साल बाद उन्हें उनका हक मिला है.

सड़क पर आया पीडब्ल्यूडी विभाग
कोर्ट के आदेश पर हुई कार्रवाई के बाद पीडब्ल्यूडी विभाग के पास बहादुरगढ़ में ना है तो अब कार्यालय बचा है और ना ही विभाग के एक्सईएन का निवास स्थान. ऐसे में अब अधिकारी कहां बैठेंगे और लोगों की समस्याओं का समाधान कैसे किया जाएगा, इस पर भी असमंजस बना हुआ है. कुल मिलाकर बहादुरगढ़ में सड़के बनाने वाला पीडब्ल्यूडी विभाग खुद सड़क पर आ गया है.

ये भी पढ़ेंः- खरगोश पालन से आय को दें रफ्तार, छोटे निवेश और कम जगह में शुरू करें व्यवसाय

Intro:सड़क बनाने वाला महकमा खुद सड़क पर आ गया है। ना कोई दफ्तर रहा और ना ही कोई निवास रहा। दफ्तर और निवास अब कांग्रेस विधायक राजेन्द्र जून के पुत्र विक्रम जून और भाई अशोक जून को मिल गया है। करीब 2600 गज में स्थित दफ्तर और निवास पर एसीजे कोर्ट के आदेशों की पालन कोर्ट बैलिफ ने करवाई है। चाबियां मालिकान को सौंप दी गई है।Body:रोहतक दिल्ली रोड़ पर लोकनिर्माण विभाग का सालों पुराना दफ्तर है। दफ्तर के ठीक सामने दिल्ली रोड़ पर विभाग के कार्यकारी अभियंता का निवास स्थान भी है। फिलहाल निवास स्थान में कार्यकारी अभियंता के एस पठानिया रह रहे थे। दफ्तर में सुबह पूरा स्टाफ भी था लेकिन जैसे की कोर्ट बैलिफ के साथ विधायक राजेन्द्र जून के पुत्र विक्रम जून कोर्ट के आदेशों की पालना कराने पहुंचे तो एक एक करके सारे अधिकारी भी वहां से चलते बने। कोर्ट बैलिफ ने पुलिस की मौजूदगी में निवास स्थान से कार्यकारी अभियंता का सामान बाहर निकलवाया और एक किनारे बने शैड में रखवा दिया। बाद में कार्यकारी अभियंता के निवास के बाहर विक्रम जून की नेम प्लेट भी लगा दी। ताला लगाकर चाबी भी विक्रम जून को दे दी गई। उसके बाद दफ्तर को भी खाली करवा लिया गया। पूरी कार्यवाही के दौरान विधायक राजेन्द्र जून के समर्थक भी मौजूद रहे। कोर्ट बैलिफ के कहने पर उन्होंने ही निवास स्थान से सामान बाहर निकालकर खाली शैड के नीचे रखवाने में मदद की । अमीलाल वर्सेज स्टेट ऑफ हरियाणा केस में फैसला दिया गया है।

हम आपको बता दें कि लोक निर्माण विभाग और जमीन मालिकों के बीच करीब 2600 गज का विवाद 33 साल से भी ज्यादा समय से चला आ रहा है। 2 मई 1986 को लोवर कोर्ट ने जमीन मालिकों के हक में फैसला सुनाया था। उसके बाद सरकार ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया लेकिन वहां भी जीत जमीन मालिकों की ही हुई। हाईकोर्ट के आदेशों की पालना करवाने के लिये डिक्री धारकों ने एसीजे कोर्ट में याचिका लगाई। जिस पर फैसला करते हुये एसीजे कोर्ट ने 3 जनवरी को डिक्री के क्रियान्वन के आदेश जारी कर दिये। कोर्ट बैलिफ को आदेशों की पालना करवा कर 6 फरवरी तक कोर्ट में रिपोर्ट पेश करनी है। अमीलाल वर्सेज स्टेट ऑफ हरियाणा केस में फैसला दिया गया है।
बाइट:- एडवोकेट मालिक

विधायक राजेन्द्र जून के पुत्र विक्रम जून का कहना है कि सारी कार्यवाही कोर्ट के आदेशों के तहत की जा रही है। निचली अदालत नेे साल 1986 में उनके हक में डिक्री का आदेश किया । हाईकोर्ट ने भी सरकार के खिलाफ उनके हक में फैसला दिया था । उसके बाद ही उन्होंने एडिशनल सिविल जज की अदालत में 1986 के फैसले को लागू करवाने की याचिका दायर की थी । 33 साल बाद उन्हे उनका हक मिला है।
बाइट:- विक्रम जून विधायक राजेन्द जून के पुत्र।Conclusion:कोर्ट के आदेश पर हुई कार्रवाई के बाद पीडब्ल्यूडी विभाग के पास बहादुरगढ़ में ना है तो अब कार्यालय बचा है और ना ही विभाग के एक्स ई एन का निवास स्थान ऐसे में अब अधिकारी कहां बैठेंगे और लोगों की समस्याओं का समाधान भी कैसे किया जाएगा इस पर भी असमंजस बना हुआ कुल मिलाकर बहादुरगढ़ में सड़के बनाने वाला पीडब्ल्यूडी विभाग खुद सड़क पर आ गया है।
प्रदीप धनखड़
बहादुरगढ़
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