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झज्जर: आंखो में आसुओं के साथ बोले कश्मीरी पंडित, 'अब हमें मिलेगी इज्जत'

झज्जर में रहने वाले कश्मीरी पंडितों ने अनुच्छेद 370 हटाए जाने का स्वागत किया है और पीएम मोदी के फैसले को ऐतिहासिक बताया है.

दास्तान-ए-कश्मीर
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Published : Aug 8, 2019, 3:31 PM IST

झज्जर: जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने का कश्मीर से बाहर रह रहे कश्मीरी पंडितों ने स्वागत किया है. ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कश्मीरी पंडितों ने बताया कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया जाना उनके लिए कश्मीर में वापसी का पहला कदम है. 1990 में कश्मीरी पंडितों को कश्मीर में अपने घर छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया गया था, तब से लेकर अब तक लाखों कश्मीरी पंडित अपने घरों से दूर रह रहे हैं.

क्लिक कर देखें वीडियो

अब कश्मीर में भी मिलेगी इज्जत
झज्जर में रहने वाले कश्मीरी पंडितों का कहना है कि लंबे समय के बाद उनकी मांग पूरी हुई है और उनके लिए कश्मीर वापसी की एक उम्मीद जगी है, उन्होंने बताया कि धारा 370 हटाया जाना कश्मीर में उनकी वापसी की तरफ पहला कदम है. लोगों का कहना है कि अब उन्हें कश्मीर में वैसी ही इज्जत मिलेगी जैसी यहां मिलती है.

माता-पिता ने डर की वजह से कभी नहीं भेजा कश्मीर
अपना घर छोड़कर आए कश्मीरी पंडितों के बच्चों का कहना है कि उनके माता-पिता ने उन्हें कभी डर की वजह से कश्मीर नहीं जाने दिया, पर अब वो वहां जा सकते हैं और स्वर्ग देख सकते हैं.

सरकार को देनी होगी गारंटी
अन्य कश्मीरियों का कहना था कि आज उन्हें मोदी सरकार के फैसले पर गर्व है, लेकिन सरकार से ये उम्मीद भी है कि अगर सरकार चाहती है कि हम वापस अपने घर लौटें तो उन्हें सुरक्षा और रोजगार की गारंटी देनी होगी.

झज्जर: जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने का कश्मीर से बाहर रह रहे कश्मीरी पंडितों ने स्वागत किया है. ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कश्मीरी पंडितों ने बताया कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया जाना उनके लिए कश्मीर में वापसी का पहला कदम है. 1990 में कश्मीरी पंडितों को कश्मीर में अपने घर छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया गया था, तब से लेकर अब तक लाखों कश्मीरी पंडित अपने घरों से दूर रह रहे हैं.

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अब कश्मीर में भी मिलेगी इज्जत
झज्जर में रहने वाले कश्मीरी पंडितों का कहना है कि लंबे समय के बाद उनकी मांग पूरी हुई है और उनके लिए कश्मीर वापसी की एक उम्मीद जगी है, उन्होंने बताया कि धारा 370 हटाया जाना कश्मीर में उनकी वापसी की तरफ पहला कदम है. लोगों का कहना है कि अब उन्हें कश्मीर में वैसी ही इज्जत मिलेगी जैसी यहां मिलती है.

माता-पिता ने डर की वजह से कभी नहीं भेजा कश्मीर
अपना घर छोड़कर आए कश्मीरी पंडितों के बच्चों का कहना है कि उनके माता-पिता ने उन्हें कभी डर की वजह से कश्मीर नहीं जाने दिया, पर अब वो वहां जा सकते हैं और स्वर्ग देख सकते हैं.

सरकार को देनी होगी गारंटी
अन्य कश्मीरियों का कहना था कि आज उन्हें मोदी सरकार के फैसले पर गर्व है, लेकिन सरकार से ये उम्मीद भी है कि अगर सरकार चाहती है कि हम वापस अपने घर लौटें तो उन्हें सुरक्षा और रोजगार की गारंटी देनी होगी.

Intro:दर्द भरी कहानी,कश्मीरियों की जुबानी
: धारा 370 खत्म होने की किया स्वागत, लेकिन जख्म भी हुए ताजा
: नम आंखों से बहादुरगढ़ के कश्मीरियों ने बताई व्यथा
कहा: महिलाएं बोली बन्दूक की नोक पर मुंह ढांपने के लिए किया जाता था मजबूर
: विशेष समुदाय के लिए घरों में करवाई जाती थी साफ-सफाई
: तन पर कपड़ा व पैरों में चप्पल पहनकर निकले थे कश्मीर से
: कश्मीरी बोले,सरकार ले सुरक्षा की जिम्मेवारी तो फिर लौट सकते है कश्मीरBody:केन्द्र सरकार द्वारा राष्ट्रपति की मंजूरी लिए जाने व राज्यसभा और लोकसभा में धारा 370 हटाए जाने के फैसले पर लगी मुहर के बाद कुछ राजनीतिक पार्टियों व कुछ लोगों को छोडक़र पूरा देश इस फैसले
पर खुशी जता रहा है। खुशी जताने वालों में हरियाणाा के शहर बहादुरगढ़ की कश्मीरी कालोनी में रहने वाले वह परिवार भी शामिल है,जिनके चेहरे पर धारा 370 के हटने की वह खुशी देखी जा रही है जिसके लिए वह काफी लंबे समय से इंतजार में थे। इन्होंने इस फैसले पर खुशी जताते हुए केन्द्र सरकार व खासकर प्रधानमंत्री और $गृहमंत्री अमित शाह का विशेष रूप से दिल की गहराईयों से आभार जताया। इस दौरान इन कश्मीरियों के चेहरों पर मीडिया के रूबरू होने के दौरान उनके उन जख्मों को भी ताजा होते देखा गया जोकि कश्मीरी से विस्थापित होने के दौरान दुखों के रूप में झेले गए थे। नम आंखों से कश्मीरियों में जिनमें महिलाएं भी शामिल थी ने नम आंखों से अपने उन दुख के पलों को सांझा किया जिसके लिए उन्होंने अनेक पीडि़ाएं झेली थी। नम आंखें करते हुए इन महिलाओं का कहना था कि वह उन पलों को कैसे भूल सकती है जब साल 1990 में कश्मीर से विस्थापित होने के दौरान बंदूक की नोक पर न सिर्फ उनसे उनका मुंह ढकवाया जाता था,बल्कि एक विशेष समुदाय द्वारा अपने घरों में झाडू-पौचा लगवाने के लिए उन्हें मजबूर किया जाता था। महिलाओं व
अन्य कश्मीरियों का कहना था कि आज उन्हें मोदी सरकार के फैसले पर गर्व है,लेकिन सरकार से उम्मीद भी है कि यदि सरकार उन्हें उनके कश्मीर जिसको धरती का स्वर्ग कहा जाता है में दोबारा से स्थापित करना चाहती है और सरकार चाहती है कि वह अपने कश्मीर में वापिस लौट जाए तो सरकार को इसके लिए उनकी सुरक्षा,रोजगार, की गारन्टी देनी होगा। अभी तो उन्हें यह ही नहीं पता कि जो अपने मकान व जमीन वहां पर छोडक़र आए थे वह कहा पर है कि उन्हें पूरी तरह से तहस-नहस कर जला दिया गया था।
बाइट- कश्मीरी महिला
बाइट- कश्मीरी बच्चे
बाइट- ML कॉल कश्मीरी
बाइट- कश्मीरी रवि कुमार
प्रदीप धनखड़
बहादुरगढ़।
Conclusion:इन कश्मीरियों के चेहरों पर मीडिया के रूबरू होने के दौरान उनके उन जख्मों को भी ताजा होते देखा गया जोकि कश्मीरी से विस्थापित होने के दौरान दुखों के रूप में झेले गए थे। नम आंखों से कश्मीरियों में जिनमें महिलाएं भी शामिल थी ने नम आंखों से अपने उन दुख के पलों को सांझा किया जिसके लिए उन्होंने अनेक पीडि़ाएं झेली थी। नम आंखें करते हुए इन महिलाओं का कहना था कि वह उन पलों को कैसे भूल सकती है जब साल 1990 में कश्मीर से विस्थापित होने के दौरान बंदूक की नोक पर न सिर्फ उनसे उनका मुंह ढकवाया जाता था,बल्कि एक विशेष समुदाय द्वारा अपने घरों में झाडू-पौचा लगवाने के लिए उन्हें मजबूर किया जाता था।
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