सिरसा/झज्जरः प्रदेश का जाट समुदाय डायरेक्टर आशुतोष गोवारिकर की फिल्म पानीपत के विरोध में उतर आया है. जाट समुदाय के लोग फिल्म में भरतपुर के तत्कालीन जाट राजा सूरजमल के चरित्र से छेड़छाड़ करने का आरोप लगा रहे हैं.
सिरसा और झज्जर में रोका गया फिल्म का शो
जिसके चलते प्रदेश के सिरसा, झज्जर समेत प्रदेश में कई जगहों पर फिल्म का शो रोक दिया गया है. झज्जर में एक मल्टीप्लेक्स में फिल्म लगी थी, जिसके एक शो के बाद फिल्म हटा दी गई. वहीं मल्टीप्लेक्स के बाहर सुरक्षा व्यवस्था के लिए पुलिस को भी तैनात करना पड़ा.
फिल्म की किस बात को लेकर भड़का जाट समुदाय ?
फिल्म में राजा सूरजमल को मराठाओं से आगरे का किला मांगते हुए दिखाया गया है और ये दिखाया गया है कि जब मराठों ने किला देने का वादा नहीं किया तो सूरजमल ने मराठों का साथ छोड़ दिया. जिसकी वजह से मराठे लड़ाई हार गए.
क्या कहना है इतिहासकार का ?
लेकिन इतिहासकार रामवीर सिंह वर्मा ने बताया कि महाराजा सूरजमल द्वारा सदाशिव राव भाऊ से आगरा का किला मांगना तो दूर बल्कि भाऊ को उनकी सेना का वेतन देने के लिए 5 लाख रुपए देने तक की पेशकश की थी, लेकिन वो नहीं माने.
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राजा सूरजमल ने मराठों को दी सलाह - इतिहासकार
इतिहासकार रामवीर सिंह वर्मा ने बताया कि भाऊ को महाराज सूरजमल ने युद्ध से संबंधित कई सलाह दी थी, लेकिन उन्होंने एक भी नहीं मानी. साथ ही सदाशिव भाऊ के पास अपनी सेना का वेतन देने के लिए पैसे नहीं थे. ऐसे में भाऊ ने दीवान-ए-खास को तुड़वाने की बात कही, जिसका विरोध करते हुए महाराजा सूरजमल ने कहा था कि यह हिंदुस्तान की धरोहर है और इसको ना तुड़वाईये, लेकिन भाऊ नहीं माने और दीवान-ए-खास को तुड़वा दिया.उसके बाद भी भाऊ के पास सेना को देने के लिए सिर्फ 3 लाख रुपए ही जुट पाए.
राजा सूरजमल ने क्यों छोड़ा मराठों का साथ ?
जब भाऊ ने महाराजा सूरजमल की कोई सलाह नहीं मानी तो उन्होंने पानीपत के युद्ध में साथ चलने से मना कर दिया. इस पर भाऊ ने महाराजा सूरजमल को भी धमकी दे डाली थी.इतिहासकार रामवीर सिंह वर्मा ने बताया कि भरतपुर के महाराजा सूरजमल बहुत ही दानशील व्यक्ति थे, इसलिए मूवी में उनका व्यक्तित्व एक स्वार्थी की तरह दिखाना सरासर गलत है. उन्होंने बताया कि पानीपत का युद्ध भाऊ की हठधर्मिता की वजह से हारा गया. यदि भाऊ ने महाराजा सूरजमल की सलाह मानी होती तो हालात कुछ और होते.
राजा सूरजमल ने की थी मराठों की मदद
इतिहासकार रामवीर सिंह वर्मा कि सदाशिव भाऊ ने महाराजा सूरजमल के साथ गलत व्यवहार किया. उसके बावजूद महाराजा सूरजमल ने सारी कटुता भुलाकर हारे हुए मराठों को भरतपुर के किले में 6 माह तक शरण दी, जो कि उनके अच्छे व्यक्तित्व का ही एक उदाहरण था. इतिहासकार रामवीर सिंह वर्मा ने फिल्म में दिखाए गए राजा सूरजमल के गलत चित्रण का विरोध करते हुए फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगाने का पुरजोर समर्थन किया.
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