झज्जर: चोरी की वारदातें सीसीटीवी में कैद होती तो आपने बहुत देखी होंगी, लेकिन आज हम आपको मीडिया के कैमरे में कैद चोरों को सीधा दिखाने जा रहे हैं. चोरी कहां हो रही है ये भी बताएंगे, लेकिन उससे पहले ये जान लीजिए कि चोरी दिनदहाड़े होती है और ऑटो में डालकर चोरी का सामान कबाड़ी को बेचा जाता है. मामला बहादुरगढ़ का है. हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के 696 फ्लैटों में ये चोरी हर रोज हो रही है. चोर बड़े-बड़े हथौड़े लेकर आते हैं और फ्लैटों की ग्रिल, जंगले, चौखट और दरवाजे उतार कर ले जाते हैं.
दरअसल, जवाहरलाल नेहरू शहरी मिशन कार्यक्रम के तहत हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण ने 25 करोड़ की लागत से ये फ्लैट तैयार करवाए थे जो अब खंडहर बन गए हैं और फ्लैटों का ज्यादातर सामान चोरी हो गया है, जो बचा है वो हर रोज चोरी हो रहा है. लापरवाह सरकार कहें या लापरवाह प्रशासन कहें, लापरवाही ऐसी कि हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण की करोड़ों की प्रापर्टी खंडहर हो गई है.
फ्लैट तैयार होने के पांच साल बाद भी इन्हें अलॉट नहीं किया गया, जिसका फायदा चोरों ने उठाया. विभाग की अनदेखी के चलते फ्लैटों के पास बड़ी बड़ी झाडि़यां उग गई हैं. इसी का फायदा उठाकर चोरों ने चोरी शुरू की और लगभग साल भर में ही इन फ्लैटों के दरवाजे, खिड़की, जंगले, चौखट और लोहे की ग्रिल तोड़कर चुरा ली और आसपास के ही कबाड़ियों को बेच भी दी.
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चोरों ने आवासीय कॉलोनी में लगे ट्रांसफार्मर, टायॅलेट सीट और बिजली की स्विच तक को तोड़ दिया या फिर बेच दिया है. जवाहरलाल नेहरू शहरी मिशन बाद में राजीव गांधी आवास योजना और अब प्रधानमंत्री आवास योजना में बदल चुका है. दिनदहाड़े हो रही चोरी की सूचना पुलिस और हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के अधिकारियों को भी है. आसपास के लोगों का कहना है कि हर रोज चोरी हो रही है. कई बार चोरों को रोकने की कोशिश की तो रोकने वालों को चोरों ने डरा दिया और अब चोरों के डर से कोई उन्हें रोकता और टोकता नहीं है.
इस मामले में जब हरियाणा शहरी विकास के प्राधिकरण एक्सईएन संदीप सिंह से बात की गई तो उन्होंने बताया कि इन फ्लैटों पर निर्माण का टेंडर हुडा विभाग द्वारा किया गया था और अब तक विभाग ने इन फ्लैटों का ठेकेदार से हैंडओवर नहीं लिया है. अभी तक प्रशासन की तरफ से लाभार्थियों की लिस्ट भी नहीं प्राप्त हुई है. अभी इनकी रखरखाव की जिम्मेदारी ठेकेदार के पास ही है.
सरकार, विभाग और ठेकेदारों की लापरवाही से बने करोड़ों की लागत से बने फ्लैटों से करोड़ों का सामान चोरी हो चुका है. ऐसे में जब इनके अलॉटमेंट की बारी आएगी तो दोबारा से इनको रिपेयर करवाया जाएगा. जिनमें दोबारा से करोड़ों रुपये खर्च किए जाएंगे, और वे करोड़ों रुपये भी सरकार के खाते से ही निकलेंगे.
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