चंडीगढ़: प्राइवेट सेक्टर में नौकरियों में 75 प्रतिशत आरक्षण कानून पर रोक (stay on 75 percent reservation law) का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. हाईकोर्ट ने इस कानून पर रोक लगा दी है. जिसके बाद हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार की अपील को स्वीकार कर लिया है. सोमवार यानी 7 फरवरी को मामले पर सुनवाई होगी.
वहीं हरियाणा के उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला 75 प्रतिशत कानून के समर्थन में उद्योग जगत के प्रतिनिधियों से संवाद (dushyant will meet haryana industrialists) करेंगे. शनिवार को दुष्यंत चौटाला पानीपत में हैंडलूम इंडस्ट्री, 13 फरवरी को गुरुग्राम में ओटो मोबाइल इंडस्ट्री और 18 फरवरी को बहादुरगढ़ में फुटवीयर इंडस्ट्री के व्यापारियों के साथ बैठक करेंगे. दुष्यंत चौटाला ने इसके पीछे राजनीतिक ताकत के हाथ होने की आशंका जताई है.
कानून के खिलाफ दी गई दलील: बता दें कि इसके लिए गुरुग्राम इंडस्ट्रियल एसोसिएशन ने पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. जिसके बाद बुधवार को हाई कोर्ट ने निजी क्षेत्र की नौकरी में स्थानीय युवाओं को 75 प्रतिशत आरक्षण देने वाले कानून 'हरियाणा स्टेट एंप्लॉयमेंट ऑफ लोकल कैंडिडेट एक्ट 2020' पर रोक लगा दी थी. इंडस्ट्रियल एसोसिएशन ने हाईकोर्ट में कहा था कि निजी क्षेत्र में योग्यता और कौशल के अनुसार लोगों का चयन किया जाता है.
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गुरुग्राम इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के मुताबिक अगर नियोक्ताओं से कर्मचारी को चुनने का अधिकार ले लिया जाएगा तो उद्योग कैसे आगे बढ़ सकेंगे. याचिका में कहा था कि हरियाणा सरकार का 75 प्रतिशत आरक्षण का फैसला योग्य लोगों के साथ अन्याय है. यह कानून उन युवाओं के सांविधानिक अधिकारों का हनन है जो अपनी शिक्षा और योग्यता के आधार पर भारत के किसी भी हिस्से में नौकरी करने को स्वतंत्र हैं.
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