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विश्व विकलांगता दिवस पर झज्जर में दिव्यांगों ने किया प्रदर्शन

झज्जर में विश्व विकलांगता दिवस (World Disability Day) के मौके पर दिव्यागों को अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन करने के लिए मजबूर होना पड़ा. दिव्यांग जनों ने लघु सचिवालय में रोष प्रदर्शन करने के बाद लघु सचिवालय में उपायुक्त के माध्यम से मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन भी सौंपा.

jhajjar divyang protest
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Published : Dec 3, 2021, 3:56 PM IST

Updated : Dec 3, 2021, 4:59 PM IST

झज्जर: विश्व विकलांगता दिवस (World Disability Day) के मौके पर झज्जर के विकलांगों ने अपनी मांगों को लेकर लघु सचिवालय में रोष प्रदर्शन. रोष जताने के बाद उन्होंने लघु सचिवालय में उपायुक्त के माध्यम से मुख्यमंत्री के नाम (jhajjar divyang protest) ज्ञापन भी सौंपा. विकलांगों ने आंखों पर काली पट्टी बांधकर रोष प्रदर्शन किया जिसका उद्देश्य 'सरकार को नहीं बनने देंगे धृतराष्ट्र' था. इस दौरान नवजीवन विकलांग समिति के प्रधान पवन जांगड़ा ने कहा कि सरकार न्यू मॉडल विकलांगों की तरफ ध्यान दे. हमें किसी चीज की जरूरत नहीं बस सरकार 2016 के एक्ट को लागू कर दे.

उन्होंने कहा कि विकलांगों के लिए बनने वाली सभी योजनाएं आइसक्रीम की तरह हैं. केवल बनती हैं, लेकिन हमारे पास पहुंचने तक पिघल जाती हैं. किसी भी दिव्यांग का आयुष्मान कार्ड नहीं है. जहां भी हमें ऑफिसों के चक्कर लगाने पड़ते हैं वहां पर आने जाने के लिए रैंप की सुविधा मुहैया नहीं कराई जाती. साथ ही जब हम लोग सरकारी या गैर सरकारी ऑफिसों में जाते हैं तो हमारे लिए अलग से टॉयलेट की सुविधा होती तो है, लेकिन उन पर ताला जड़ा दिखाई देता है.

ये भी पढ़ें- हरियाणा: प्रदूषण की वजह से एनसीआर के 4 जिलों में स्कूल फिर बंद, निर्माण कार्यों पर भी रोक

पवन जांगड़ा ने कहा कि विकलांगों को बुढ़ापा और विधवा पेंशन के बराबर पेंशन दी जाए और उसे बढ़ाया भी जाना चाहिए. साथ ही विकलांगों को घर पर ही पेंशन मुहैया करानी चाहिए क्योंकि वह लाइनों में लगने के लिए असमर्थ होता है. अगर सरकार हमें सुविधा नहीं देना चाहती तो हमें हमारी योग्यता के अनुसार नौकरी भी दे दे. नौकरी मिलने के बाद हमें पेंशन की कोई जरूरत नहीं है. हम उससे ही अपना गुजर-बसर कर लेंगे.

गौरतलब है कि हर साल 3 दिसंबर को पूरी दुनिया में 'विश्व विकलांग दिवस' मनाया जाता है. इस दिन को मनाने का मुख्य मकसद है, दिव्यागों के प्रति लोगों के व्यवहार में बदलाव लाना और उन्हें उनके अधिकारों के प्रति जागरुक करना. हर साल इस दिन दिव्यांगों के विकास, उनके कल्याण के लिए योजनाओं, समाज में उन्हें बराबरी के अवसर मुहैया करने पर गहन विचार विमर्श किया जाता है. हर वर्ष दुनिया के तमाम देशों में 3 दिसंबर को दिव्यांगों के उत्थान, उनके स्वास्थ्य व सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार लाने के उद्देश्य से कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. वहीं झज्जर में दिव्यागों को इस दिन अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन करने के लिए मजबूर होना पड़ा.

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झज्जर: विश्व विकलांगता दिवस (World Disability Day) के मौके पर झज्जर के विकलांगों ने अपनी मांगों को लेकर लघु सचिवालय में रोष प्रदर्शन. रोष जताने के बाद उन्होंने लघु सचिवालय में उपायुक्त के माध्यम से मुख्यमंत्री के नाम (jhajjar divyang protest) ज्ञापन भी सौंपा. विकलांगों ने आंखों पर काली पट्टी बांधकर रोष प्रदर्शन किया जिसका उद्देश्य 'सरकार को नहीं बनने देंगे धृतराष्ट्र' था. इस दौरान नवजीवन विकलांग समिति के प्रधान पवन जांगड़ा ने कहा कि सरकार न्यू मॉडल विकलांगों की तरफ ध्यान दे. हमें किसी चीज की जरूरत नहीं बस सरकार 2016 के एक्ट को लागू कर दे.

उन्होंने कहा कि विकलांगों के लिए बनने वाली सभी योजनाएं आइसक्रीम की तरह हैं. केवल बनती हैं, लेकिन हमारे पास पहुंचने तक पिघल जाती हैं. किसी भी दिव्यांग का आयुष्मान कार्ड नहीं है. जहां भी हमें ऑफिसों के चक्कर लगाने पड़ते हैं वहां पर आने जाने के लिए रैंप की सुविधा मुहैया नहीं कराई जाती. साथ ही जब हम लोग सरकारी या गैर सरकारी ऑफिसों में जाते हैं तो हमारे लिए अलग से टॉयलेट की सुविधा होती तो है, लेकिन उन पर ताला जड़ा दिखाई देता है.

ये भी पढ़ें- हरियाणा: प्रदूषण की वजह से एनसीआर के 4 जिलों में स्कूल फिर बंद, निर्माण कार्यों पर भी रोक

पवन जांगड़ा ने कहा कि विकलांगों को बुढ़ापा और विधवा पेंशन के बराबर पेंशन दी जाए और उसे बढ़ाया भी जाना चाहिए. साथ ही विकलांगों को घर पर ही पेंशन मुहैया करानी चाहिए क्योंकि वह लाइनों में लगने के लिए असमर्थ होता है. अगर सरकार हमें सुविधा नहीं देना चाहती तो हमें हमारी योग्यता के अनुसार नौकरी भी दे दे. नौकरी मिलने के बाद हमें पेंशन की कोई जरूरत नहीं है. हम उससे ही अपना गुजर-बसर कर लेंगे.

गौरतलब है कि हर साल 3 दिसंबर को पूरी दुनिया में 'विश्व विकलांग दिवस' मनाया जाता है. इस दिन को मनाने का मुख्य मकसद है, दिव्यागों के प्रति लोगों के व्यवहार में बदलाव लाना और उन्हें उनके अधिकारों के प्रति जागरुक करना. हर साल इस दिन दिव्यांगों के विकास, उनके कल्याण के लिए योजनाओं, समाज में उन्हें बराबरी के अवसर मुहैया करने पर गहन विचार विमर्श किया जाता है. हर वर्ष दुनिया के तमाम देशों में 3 दिसंबर को दिव्यांगों के उत्थान, उनके स्वास्थ्य व सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार लाने के उद्देश्य से कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. वहीं झज्जर में दिव्यागों को इस दिन अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन करने के लिए मजबूर होना पड़ा.

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Last Updated : Dec 3, 2021, 4:59 PM IST
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