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दिवाली पर देश के महानगरों को रौशन करते हैं हरियाणा के दीये, इस साल घटी डिमांड

झज्जर के दीयों से हर साल दिल्ली, मुंबई और कोलकाता जैसे बड़े महानगर रौशन होते हैं. सालों से कुम्हार परिवार इसी व्यवसाय से अपनी रोजी-रोटी चलाते आए हैं. इन स्पेशल दीयों के लिए झज्जर के कुम्हार मशहूर हैं. झज्जर की सुराही के अलावा दीयों की भी काफी डिमांड है.

demand of jhajjar clay lamps in various states of india
देश के महानगरों को रौशन करते झज्जर के 'चिराग', हर साल ढाई करोड़ दीये होते हैं सप्लाई
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Published : Oct 28, 2020, 5:49 PM IST

Updated : Oct 28, 2020, 6:16 PM IST

झज्जर: झज्जर जिले की गिनती बेशक पिछडे़ क्षेत्रों में होती हो, लेकिन झज्जर में तैयार किए गए मिट्टी के दीये राजस्थान की गुलाबी नगरी और देश की आर्थिक राजधानी मुंबई सहित पंजाब, महाराष्ट्र और दिल्ली को रौशन करते हैं.

हर साल दिवाली के मौके पर झज्जर की मिट्टी से तैयार करीब ढाई करोड़ दीये इन महानगरों में भेजे जाते हैं. झज्जर में ऐसे कई कुम्हार परिवार हैं, जो पीढ़ी दर पीढ़ी दीये बनाने का काम करते आ रहे हैं. ऐसे में ईटीवी भारत कुम्हार परिवार के बीच पहुंचा और ये जाना कि आखिर किस तरीके से ये खास दीपक तैयार किए जाते हैं.

दिवाली पर देश के महानगरों को रौशन करते हैं हरियाणा के दिये, इस साल घटी डिमांड

'मायानगरी' को रौशन करते झज्जर के दीये

झज्जर के कुम्हार परिवार ने बताया कि उनके दिये महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात, दिल्ली, पंजाब के अलावा अन्य बड़े शहरों में भेजे जाते हैं. साथ ही दिवाली के मौके पर दीयों की मांग बढ़ जाती है.

हर साल ढाई करोड़ से ज्यादा दिये अन्य प्रदेशों में सप्लाई किए जाते हैं. करीब 70 हजार से ज्यादा रंग-बिरंगे दीये भी भेजे जाते हैं. हालांकि उनका कहना है कि इस बार कोरोना महामारी की वजह से डिमांड में कुछ कमी आई है.

हर साल ढाई करोड़ दीये होते हैं सप्लाई

कुम्हार परिवार ने बताया कि वो अलग-अलग रंग और साइज के दीये बनाते हैं. उनके पास छोटे दीये से लेकर बड़े दीये तक हैं, जिनकी कीमत एक रूपये से लेकर 25 से 30 रुपये तक है. उन्होंने बताया कि रंग वाले दीये ज्यादा अच्छे दाम पर बिकते हैं. वरना बिना रंग वाले दीये सिर्फ 10 से 20 पैसे या फिर 1 रुपये तक के ही बेचे जाते हैं.

ये भी पढ़िए: चंडीगढ़ में महीनों से तैयार खड़े हैं 10 रेलवे आइसोलेशन कोच, आपातकाल की है तैयारी

उन्होंने बताया कि पहले 30 से ज्यादा दियों से भरी गाड़ियां दूसरे प्रदेशों में भेजी जाती थी, लेकिन अब की बार सिर्फ 12 गाड़ियों का ही उन्हें ऑर्डर मिला है. उन्होंने सरकार से मांग करते हुए कहा कि कुम्हार परिवारों के लिए मिट्टी की व्यवस्था कम दामों में की जाए, ताकि वो मिट्टी की इस कला को बरकरार रख सकें.

झज्जर: झज्जर जिले की गिनती बेशक पिछडे़ क्षेत्रों में होती हो, लेकिन झज्जर में तैयार किए गए मिट्टी के दीये राजस्थान की गुलाबी नगरी और देश की आर्थिक राजधानी मुंबई सहित पंजाब, महाराष्ट्र और दिल्ली को रौशन करते हैं.

हर साल दिवाली के मौके पर झज्जर की मिट्टी से तैयार करीब ढाई करोड़ दीये इन महानगरों में भेजे जाते हैं. झज्जर में ऐसे कई कुम्हार परिवार हैं, जो पीढ़ी दर पीढ़ी दीये बनाने का काम करते आ रहे हैं. ऐसे में ईटीवी भारत कुम्हार परिवार के बीच पहुंचा और ये जाना कि आखिर किस तरीके से ये खास दीपक तैयार किए जाते हैं.

दिवाली पर देश के महानगरों को रौशन करते हैं हरियाणा के दिये, इस साल घटी डिमांड

'मायानगरी' को रौशन करते झज्जर के दीये

झज्जर के कुम्हार परिवार ने बताया कि उनके दिये महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात, दिल्ली, पंजाब के अलावा अन्य बड़े शहरों में भेजे जाते हैं. साथ ही दिवाली के मौके पर दीयों की मांग बढ़ जाती है.

हर साल ढाई करोड़ से ज्यादा दिये अन्य प्रदेशों में सप्लाई किए जाते हैं. करीब 70 हजार से ज्यादा रंग-बिरंगे दीये भी भेजे जाते हैं. हालांकि उनका कहना है कि इस बार कोरोना महामारी की वजह से डिमांड में कुछ कमी आई है.

हर साल ढाई करोड़ दीये होते हैं सप्लाई

कुम्हार परिवार ने बताया कि वो अलग-अलग रंग और साइज के दीये बनाते हैं. उनके पास छोटे दीये से लेकर बड़े दीये तक हैं, जिनकी कीमत एक रूपये से लेकर 25 से 30 रुपये तक है. उन्होंने बताया कि रंग वाले दीये ज्यादा अच्छे दाम पर बिकते हैं. वरना बिना रंग वाले दीये सिर्फ 10 से 20 पैसे या फिर 1 रुपये तक के ही बेचे जाते हैं.

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उन्होंने बताया कि पहले 30 से ज्यादा दियों से भरी गाड़ियां दूसरे प्रदेशों में भेजी जाती थी, लेकिन अब की बार सिर्फ 12 गाड़ियों का ही उन्हें ऑर्डर मिला है. उन्होंने सरकार से मांग करते हुए कहा कि कुम्हार परिवारों के लिए मिट्टी की व्यवस्था कम दामों में की जाए, ताकि वो मिट्टी की इस कला को बरकरार रख सकें.

Last Updated : Oct 28, 2020, 6:16 PM IST
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