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75 साल बाद अपने वतन आयेंगी झज्जर के इस शहीद की अस्थियां, पूरा देश कर रहा सलाम

जिस कब्रिस्तान में वो दफनाए गए थे, इटली सरकार ने वहीं की मिट्टी उनके परिवार वालों को जल्द सौंपने को कहा है.

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Published : May 29, 2019, 11:08 AM IST

Updated : May 29, 2019, 3:48 PM IST

डिजाइन फोटो

झज्जर: लगभग 75 साल पहले दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान इटली में हरियाणा के 2 जवान शहीद हो गए थे. अब उनको अपने वतन की मिट्टी नसीब होने जा रही है. झज्जर के नौगांव गांव के सिपाही हरि सिंह की अस्थियां 31 मई को उनके पैतृक गांव लाई जाएंगी.

बता दें कि दोनों सिपाही ब्रिटिश इंडियन आर्मी की ‘फ्रंटियर फोर्स राइफल’ के सिपाही थे. दोनों की अस्थियां 31 मई को भारत लाई जाएंगी. दोनों साल 1944 में इटली में द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान शहीद हुए थे, लेकिन उनके पार्थिव शरीर नहीं मिले थे. दोनों को 13 सितंबर, 1944 को गुमशुदा घोषित कर दिया गया था.
इसके बाद 1996 में इटली में मानव कंकाल के अवशेष मिले और डीएनए जांच के बाद 2012 में खुलासा हुआ कि ये कंकाल करीब 20 से 22 साल के युवकों के हैं, जो यूरोपीय नस्ल से मेल नहीं खाते.
बाद में कॉमनवेल्थ ग्रेव कमिशन से मिले डाटा के आधार पर पता चला कि ये कंकाल ब्रिटिश इंडियन आर्मी की फ्रंटियर फोर्स राइफल के 2 सिपाहियों के हैं. इटली सरकार ने पिछले साल अक्तूबर में उनकी शहादत की पुष्टि की थी. इसके बाद दोनों का संस्कार इटली में ही कर दिया गया और अब उनकी मिट्टी भारत लाई जा रही है.

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शहीद हरि सिंह का मेडल दिखाती उनकी पोती
बहुत दिनों तक दोनों जवानों का कोई पता ना मिलने के कारण परिवार वालों ने मान लिया था कि या तो वो मारे जा चुके हैं या कहीं विदेश में बस गए हैं. दोनों के बारे में जानकारी भी नहीं मिलती यदि इटली के फ्लोरेंस के समीप पोगियो अल्टो में 1996 में मानव हड्डियां ना पाई जातीं. दोनों 13वें फ्रंटियर राइफल्स की चौथे बटालियन के जवान थे. उनको जर्मन इंफेंट्री डिविजन के खिलाफ 1944 में द्वितीय विश्व युद्ध में पोगियो अल्टो की लड़ाई में लगाया गया था. लंबे अंतराल के बाद भारतीय सेना के अधिकारियों ने उनके घर पहुंचकर बताया था कि हरिसिंह और पलू राम मित्र राष्ट्रों की तरफ से जर्मनी के खिलाफ लड़ते हुए इटली में शहीद हुए थे. जिस कब्रिस्तान में वे दफनाए गए थे, वहीं की मिट्टी उनके परिवार वालों को इटली सरकार ने जल्द सौंपने को कहा था.रोहतक का नौगांवा गांव अब झज्जर जिले में आता है. जब हरिसिंह की शहादत के बारे में पता चला था तो वहां रहने वाले उदय सिंह के बेटे रणबीर सिंह बताया था कि उनके पिता सेना में थे. उन्होंने बताया था कि छोटे भाई हरिसिंह भी सेना में थे, लेकिन द्वितीय विश्व युद्ध के बाद उनका पता नहीं चला. बाद में चाचा को वार मेडल तो मिला, लेकिन उनके बारे में कोई जानकारी नहीं मिली. हरिसिंह के नाम वाला ये मेडल आज भी उनके पास घर में मौजूद है, लेकिन उसके चाचा हरिसिंह गायब हुए या शहीद हुए, इसका कोई प्रमाण नहीं था.
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शहीद हरि सिंह की एकमात्र निशानी है ये मेडल
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शहीद हरि सिंह की एकमात्र निशानी है ये मेडल
अधिकारियों ने आश्वासन दिया है कि इटली में जहां हरिसिंह को कब्र में दफनाया गया है, वहां की मिट्टी उन्हें सौंपी जाएगी. रणबीर सिंह ने कहा कि उन्हें गर्व है कि चाचा गायब नहीं हुए थे बल्कि जर्मन सेना से लोहा लेते हुए वीरगति को प्राप्त हुए थे. गांव के ही एक अन्य फौजी 87 वर्षीय होशियार सिंह ने बताया कि हरिसिंह उनसे पांच-छह साल बड़े थे. सेना में भर्ती होने के बाद केवल एक बार घर आए थे, इसके बाद वापस नहीं लौटे.

झज्जर: लगभग 75 साल पहले दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान इटली में हरियाणा के 2 जवान शहीद हो गए थे. अब उनको अपने वतन की मिट्टी नसीब होने जा रही है. झज्जर के नौगांव गांव के सिपाही हरि सिंह की अस्थियां 31 मई को उनके पैतृक गांव लाई जाएंगी.

बता दें कि दोनों सिपाही ब्रिटिश इंडियन आर्मी की ‘फ्रंटियर फोर्स राइफल’ के सिपाही थे. दोनों की अस्थियां 31 मई को भारत लाई जाएंगी. दोनों साल 1944 में इटली में द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान शहीद हुए थे, लेकिन उनके पार्थिव शरीर नहीं मिले थे. दोनों को 13 सितंबर, 1944 को गुमशुदा घोषित कर दिया गया था.
इसके बाद 1996 में इटली में मानव कंकाल के अवशेष मिले और डीएनए जांच के बाद 2012 में खुलासा हुआ कि ये कंकाल करीब 20 से 22 साल के युवकों के हैं, जो यूरोपीय नस्ल से मेल नहीं खाते.
बाद में कॉमनवेल्थ ग्रेव कमिशन से मिले डाटा के आधार पर पता चला कि ये कंकाल ब्रिटिश इंडियन आर्मी की फ्रंटियर फोर्स राइफल के 2 सिपाहियों के हैं. इटली सरकार ने पिछले साल अक्तूबर में उनकी शहादत की पुष्टि की थी. इसके बाद दोनों का संस्कार इटली में ही कर दिया गया और अब उनकी मिट्टी भारत लाई जा रही है.

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शहीद हरि सिंह का मेडल दिखाती उनकी पोती
बहुत दिनों तक दोनों जवानों का कोई पता ना मिलने के कारण परिवार वालों ने मान लिया था कि या तो वो मारे जा चुके हैं या कहीं विदेश में बस गए हैं. दोनों के बारे में जानकारी भी नहीं मिलती यदि इटली के फ्लोरेंस के समीप पोगियो अल्टो में 1996 में मानव हड्डियां ना पाई जातीं. दोनों 13वें फ्रंटियर राइफल्स की चौथे बटालियन के जवान थे. उनको जर्मन इंफेंट्री डिविजन के खिलाफ 1944 में द्वितीय विश्व युद्ध में पोगियो अल्टो की लड़ाई में लगाया गया था. लंबे अंतराल के बाद भारतीय सेना के अधिकारियों ने उनके घर पहुंचकर बताया था कि हरिसिंह और पलू राम मित्र राष्ट्रों की तरफ से जर्मनी के खिलाफ लड़ते हुए इटली में शहीद हुए थे. जिस कब्रिस्तान में वे दफनाए गए थे, वहीं की मिट्टी उनके परिवार वालों को इटली सरकार ने जल्द सौंपने को कहा था.रोहतक का नौगांवा गांव अब झज्जर जिले में आता है. जब हरिसिंह की शहादत के बारे में पता चला था तो वहां रहने वाले उदय सिंह के बेटे रणबीर सिंह बताया था कि उनके पिता सेना में थे. उन्होंने बताया था कि छोटे भाई हरिसिंह भी सेना में थे, लेकिन द्वितीय विश्व युद्ध के बाद उनका पता नहीं चला. बाद में चाचा को वार मेडल तो मिला, लेकिन उनके बारे में कोई जानकारी नहीं मिली. हरिसिंह के नाम वाला ये मेडल आज भी उनके पास घर में मौजूद है, लेकिन उसके चाचा हरिसिंह गायब हुए या शहीद हुए, इसका कोई प्रमाण नहीं था.
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शहीद हरि सिंह की एकमात्र निशानी है ये मेडल
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शहीद हरि सिंह की एकमात्र निशानी है ये मेडल
अधिकारियों ने आश्वासन दिया है कि इटली में जहां हरिसिंह को कब्र में दफनाया गया है, वहां की मिट्टी उन्हें सौंपी जाएगी. रणबीर सिंह ने कहा कि उन्हें गर्व है कि चाचा गायब नहीं हुए थे बल्कि जर्मन सेना से लोहा लेते हुए वीरगति को प्राप्त हुए थे. गांव के ही एक अन्य फौजी 87 वर्षीय होशियार सिंह ने बताया कि हरिसिंह उनसे पांच-छह साल बड़े थे. सेना में भर्ती होने के बाद केवल एक बार घर आए थे, इसके बाद वापस नहीं लौटे.
शहादत के 75 साल बाद आएगीं नौगांवा के हरिसिंह की अस्थियां
: परिजन बोले शहादत पर गर्व,श्रद्धाजंलि के लिए अस्थियां आने का इंतजार
: द्वितीय विश्वयुद्ध में शहीद हुए हरियाणा के दो जवान
: सेना की सूचना के बाद परिवार वाले कर रहे है अस्थियां आने का इंतजार
एंकर 
करीब 75 साल पहले द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान इटली में शहीद हुए ब्रिटिश इंडियन आर्मी की फ्रंटियर फोर्स राइफल के सिपाही झज्जर के गांव नौगांवा के हरिसिंह की अस्थियां आने का गांव वाले व परिजन
बड़ी ही बेशब्री से इंतजार कर रहे है। जिला सैनिक बोर्ड द्वारा अस्थियां अगले तीन रोज के भीतर आने की बात कही गई है। हरि सिंह की शहादत की पुष्टि इटली सरकार ने अक्टूबर माह में की थी। मामले के अनुसार द्वितीय
विश्वयुद्ध के दौरान झज्जर के गांव नौगांवा के हरि सिंह और हिसार के नंगथला गांव निवासी पालुराम ब्रिटिश इंडियन आर्मी की फ्रंटियर फोर्स राइफल में सिपाही के तौर पर कार्यरत थे। वर्ष 1947 के बंटवारे के दौरान
यह राइफल पाकिस्तान को सौंप दी गई थी। इस राइफल ने द्वितीय विश्व युद्ध (वर्ष 1939 से 1945) के दौरान इटली में जाकर युद्ध लड़ा था। दोनों सिपाही वर्ष 1944 में इटली में शहीद हो गए थे लेकिन इनके शव नहीं मिले थे। दोनों को 13 सितंबर, 1944 को गुमशुदा घोषित कर दिया गया था। इसके बाद वर्ष 1996 को इटली में मानव कंकाल के कुछ अवशेष मिले और डीएनए जांच के दौरान वर्ष 2012 में खुलासा हुआ कि ये कंकाल करीब 20 से 22 वर्ष के युवकों के है और यूरोपीय नस्ल से मेल नहीं खाते। बाद में कॉमनवेल्थ ग्रेव कमिशन से मिले डाटा की जांच से खुलासा हुआ कि ये कंकाल ब्रिटिश इंडियन आर्मी की फ्रंटियर फोर्स राइफल के दो सिपाही के हैं और जांच के बाद इसकी पुष्टि हो गई। बताया जाता है कि दोनों का संस्कार इटली में कर दिया गया है और उनकी मिट्टी अब भारत आएगी।
पोती बोली दादा की शहादत पर गर्व,श्रद्धाजंलि देने का इंतजार: इटली में शहीद हुए गांव नौगांवा के हरि सिंह बेशक अविवाहित थे,लेकिन उनकी दूसरी पीढ़ी के लोग उनकी शहादत को गांव के लिए गर्व की बात मानते है। हरि सिंह के बड़े भाई की पोती सोनिया का कहना है कि जब से सेना द्वारा उन्हें उनके दादा की अस्थियां आने की सूचना दी गई है उसके बाद से परिवार के सभी लोग उन्हें अपनी श्रद्धाजंलि देने का इंतजार कर रहे। यह सम्भव उनकी अस्थियां आने के बाद ही होगा। शहीद हरिसिंह के सेना द्वारा दिए गए मैडल को भी उन्होंने मीडिया को दिखाया।
बाइट- पोती सोनिया 

बेशक हमने अपने चचिया स्वसुर को नहीं देखा। लेकिन परिवार वालों से उनके बारे मेें हमेशा ही चर्चाएं सुनते थे कि वह सेना द्वारा लगाए गए एक मेले के दौरान उनके चचिया स्वसुर भर्ती हुए थे। अब वह उनकी अस्थितयां आने का इंतजार कर रही है। उनके चचिया स्वसुर की शहादत पर पूरे गांव को गर्व है।
बाईट: दूसरी पीढ़ी में लगने वाली बहू राकेश व मुकेश:  
बाईट:- बहू मुकेश व राकेश

वह उस समय काफी छोटे थे,जब गांव वालों को हरि सिंह जी के गुमशुदा होने की सूचना मिली थी। यह तो पता था कि वह सेना में भर्ती हुए है और दूसरे विश्वयुद्ध में सेना की लड़ाई में शामिल है। लेकिन यह खबर नहीं थी कि वह शहीद हुए है। कुछ साल पहले ही यह पता चला था कि हरि सिंह जी दूसरे विश्वयुद्ध में शहीद हुए है। लेकिन उनकी अस्थियां आने की सूचना गांव वालों को अभी मिली है। अस्थियां आने पर उन्हें श्रद्धाजंलि देने के लिए
क्या कार्यक्रम रखा जाएगा इस पर विचार किया जा रहा है। गांव में उनकी मूर्ति भी लगवाए जाने की योजना गांव वाले बना रहे है।
बाईट:- कैप्टन रतन ङ्क्षसह जाखड़,नौगांवा

सेना से जो पत्र जिला सैनिक बोर्ड को मिला है उसके अनुसार शहीद हरि सिंह जी की अस्थियां वतन की मिट्टी पर लाने के लिए एक टीम का गठन किया गया है। प्रारम्भिक तौर पर सूचना यहीं है कि अगले तीन रोज में यह अस्थियां यहां झज्जर आ सकती है। इस बारे में हरि सिंह के परिवार वालों को सूचना दे दी गई है।
बाईट:- रणबीर सिंह,प्रवक्ता जिला सैनिक बोर्ड झज्जर
प्रदीप धनखड़
झज्जर।

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Last Updated : May 29, 2019, 3:48 PM IST
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