झज्जर: कृषि कानूनों को रद्द करवाने की मांग को लेकर चल रहे आंदोलन के बीच सोमवार को किसान महिला दिवस मनाया गया. पूरा आंदोलन महिलाओं को समर्पित रहा. टीकरी बॉर्डर पर सभा में तो महिलाएं बड़ी तादाद में थी ही. मंच भी पूरी तरह महिलाओं ने संभाला और 20 महिलाएं 24 घंटे के लिए क्रमिक भूख हड़ताल पर बैठी. पूरा दिन बॉर्डर से महिलाएं दहाड़ती रही.
इससे पहले सुबह से ही पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और दूसरे राज्यों से महिलाओं का टीकरी बॉर्डर पर पहुंचने का दौर शुरू हो गया था. दोपहर तक महिलाओं के जत्थे यहां पहुंचते रहे. पूरे आंदोलन स्थल पर महिलाओं की बड़ी संख्या में मौजूदगी और बुलंद आवाज ने 55 दिनों से आंदोलन कर रहे किसानों में जोश भरा.
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आंदोलन के बीच सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर, राष्ट्रपति से सम्मानित संतोष दहिया के अलावा कई सामाजिक संगठनों से जुड़ी महिलाएं पहुंची. सभा में दिल्ली से कई राजनीतिक दलों की नेत्रियां मौजूद रही. मंच से कई महिला वक्ताओं ने आंदोलन के बीच से महिलाओं को घर भेजने की सलाह को लेकर कहा कि महिलाएं आज हर क्षेत्र में पुरुषों के बराबर खड़ी हैं, तो आंदोलन में क्यों नहीं.
सभी महिला वक्ताओं ने कृषि कानूनों को वापस लेने की आवाज बुलंद की. महिलाओं ने कहा कि ये आंदोलन इसी तरह शांतिपूर्ण ढंग से जारी रहेगा. जब तक सरकार कृषि कानूनों को वापस नहीं लेती तब तक हम भी पीछे नहीं हटेंगे.