हिसार: खेदड़ थर्मल प्लांट हिसार की राख (hisar khedar thermal plant ash case) को लेकर प्रशासन और ग्रामीणों के बीच तनाव कम होने का नाम नहीं ले रहा. सरकार द्वारा बनाई गई 3 अधिकारियों की कमेटी और धरना दे रहे ग्रामीणों की कमेटी की देर रात बैठक हुई. कई घंटे चली इस बैठक में कोई सहमति नहीं बनी. अभी तक पुलिस ने मृतक धर्मपाल का शव भी परिजनों को नहीं सौंपा है. शनिवार शाम को धर्मपाल का अग्रोहा मेडिकल कॉलेज में बोर्ड ने पोस्टमार्टम किया. शव देने के लिए प्रशासन ने शर्त रखी कि धरने पर ले जाने के बजाय सीधे श्मशान घाट में अंतिम संस्कार किया जाए.
जिससे खफा होकर ग्रामीण बिना शव लिए वापस धरने (villagers protest in hisar) पर लौट आए. इसके बाद खेदड़ थर्मल प्लांट के गेस्ट हाउस में सरकारी कमेटी और ग्रामीणों की कमेटी की बातचीत शुरू हुई. कुछ मांगों पर सहमति बनी, लेकिन ग्रामीण सारी मांगे मानने पर अड़े रहे और वार्ता विफल रही. घटना के तीसरे दिन भी अभी तक मृतक धर्मपाल का अंतिम संस्कार नहीं हो पाया है. प्रशासन और कमेटी की दूसरी वार्ता के बाद ही इसको लेकर कोई निर्णय लिया जाएगा. वहीं दूसरी तरफ पुलिस द्वारा 10 लोगों पर हत्या के प्रयास व विभिन्न धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है. जिसको लेकर भी ग्रामीणों में रोष है.
खेदड़ थर्मल प्लांट राख मामला: खेदड़ थर्मल प्लांट में कोयला जलने के बाद बनी राख के उठान को लेकर थर्मल प्रबंधन और ग्रामीणों में तनातनी चल रही है. थर्मल प्रबंधन ने राख को बेचने के टेंडर निकाला है. ग्रामीण इसका विरोध कर रहे हैं. ग्रामीणों की मांग है थर्मल प्लांट की राख उन्हें दी जाए. इसी मांग को लेकर ग्रामीण करीब तीन महीने से प्रदर्शन कर रहे हैं. शुक्रवार को इसी मामले को लेकर ग्रामीणों ने प्रदर्शन किया. ग्रामीमों के प्रदर्शन को देखते हुए भारी पुलिस बल मौके पर मौजूद रहा. जिसके बाद स्थिति तनावपूर्ण हो गई. ग्रामीणों ने ट्रैक्टर की मदद से पुलिस द्वारा लगाए गए बैरिकेड्स को तोड़ा.
बेकाबू होते ग्रामीणों पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया. इस पूरी घटना में एक किसान की मौत हो गई थी. जिसको लेकर अब ग्रामीण और प्रशासन भी आमने-सामने हो गए हैं. इससे पहले 31 मई को पुलिस और गांव वालों में टकराव हो चुका है. इस दिन भी पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर वाटर कैनन का इस्तेमाल किया था. जिसमें कई गांव वाले घायल हो हुऐ थे.
खेदड़ राख का मामला क्या है? साल 2010 में जब खेदड़ थर्मल प्लांट शुरू हुआ था. तब प्लांट से निकलने वाली कोयले की राख उनके लिए बड़ी समस्या थी. थर्मल प्लांट से बातचीत के बाद गांव वालों ने उस राख को उठाना शुरू किया. गांव वाले धीरे-धीरे उस राख से होने वाले मुनाफे से एक गौशाला का निर्माण कर उसे चलाने लगे. आज के समय में राख का इस्तेमाल सीमेंट बनाने में होने लगा है. इसके चलते राख का दाम बढ़ गया है. राख के दाम बढ़े तो खेदड़ थर्मल प्लांट ने उससे मुनाफा कमाने के लिए कंपनियों को बेचने का निर्णय लिया. ग्रामीण इसी का विरोध कर रहे हैं और कह रहे हैं कि जब राख फालतू थी तो हम उठा रहे थे. आज मुनाफा आया तो खुद बेचने लगे. ग्रामीणों ने कहा कि राख बेचने से हमें जो मुनाफा हुआ है उससे गौशाला बनाई है. जिसमें करीब 1000 गाय हैं.