हिसार: देश की सभी ट्रेड यूनियनों के आह्वान पर बुधवार को केन्द्र सरकार द्वारा लाए गये मजदूर, किसान व कर्मचारी विरोधी बिल के खिलाफ हिसार में सीटू ने प्रदर्शन किया. प्रदर्शन के बाद सीटू के पदाधिकारियों ने राष्ट्रपति के नाम उपायुक्त को ज्ञापन सौंपा.
सीटू के राज्य उपाध्यक्ष कामरेड सुरेश कुमार ने कहा कि केंद्र की बीजेपी सरकार ने देश के मजदूरों व किसानों के खिलाफ हमलावर रूख अपनाया हुआ है. कोरोना काल में बिना किसी तैयारी के किए गए लॉकडाउन ने करोड़ों रोजगार खत्म कर दिए.
देश में मार्च महीने से पहले ही बेरोजगारी अपने सबसे उच्च स्तर पर थी. ऐसे में संकट में फंसी जनता के विभिन्न तबकों को राहत देने की बजाय केंद्र सरकार मजदूरों व किसानों के अधिकारों को खत्म करने पर आमदा है. सरकार ने बेरोजगारी को दूर करने के लिए कोई गंभीर कदम उठाने की बजाय सरकारी विभागों में नौकरियों में नई भर्ती पर ही रोक लगा दी है.
ये हैं ट्रेड यूनियन की मुख्य मांगें
- मजदूरों के हितों में बने कानूनों को कमजोर व निरस्त करने के निर्णय वापस लिए जाएं.
- कृषि अध्यादेशों को वापस लिया जाए.
- बेरोजगारों को स्थाई व सम्मानजनक रोजगार मिले.
- उद्योगों में जबरन छंटनी, वेतन कटौती व काम के घंटों में बढ़ोतरी की शिकायतों को दूर किया जाए. वहीं इसको लेकर केंद्र सरकार की जवाबदेही तय की जाए.
- श्रम कल्याण बोर्डों के तहत मजदूरों के पंजीकरण व सुविधाओं पर लगाए गए अघोषित प्रतिबंध को खत्म किया जाए व तमाम श्रमिक कल्याण कोष को राज्य के क्षेत्राधिकार में रखा जाए.
- कोरोना की आड़ में लोकतांत्रिक व नागरिक अधिकारों पर हमले बंद हों.
- समान काम-समान वेतन लागू किया जाए.
- पुरानी पेंशन स्कीम को बहाल किया जाए.
- केंद्र सरकार द्वारा 55 वर्ष या 30 वर्ष की सेवा के बाद सरकारी नौकरियों से जबरन रिटायरमेंट जैसे कदमों को वापस लिया जाए.
- कोरोना काल जैसे संकट के समय सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं के बुनियादी ढांचे के विस्तार के लिए अधिक निवेश हो और प्राइवेट अस्पतालों को सरकार अपने नियंत्रण में ले जिससे कोरोना का इलाज फ्री में हो.
उन्होंने कहा कि यदि केन्द्र सरकार ने इन जनविरोधी कानूनों को रद्द नहीं किया. तो ट्रेड यूनियनें पूरे देश मे राष्ट्रव्यापी आंदोलन करने के लिए मजबूर होंगी. जिसकी जिम्मेदारी केंद्र सरकार की होगी.
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