हिसार: हरियाणा में प्रदेशभर के सरपंच ई टेंडरिंग और राइट टू रिकॉल का विरोध लगातार कर रहे हैं. ई टेंडरिंग और राइट टू रिकॉल के विरोध में पिछले 15 दिनों से ज्यादा से धरना दे रहे सरपंचों ने अब नये तरीके से विरोध करना शुरू किया है. हिसार के सरपंचों ने पंचायत मंत्री देवेंद्र बबली और मुख्यमंत्री मनोहर लाल का पोस्टर सामने रख कर सद्बुद्धि यज्ञ करवाया. 3 फरवरी को नरवाना में सीएम मनोहर लाल की रैली का विरोध भी किया जाएगा. सरपंचों ने कहा कि अगर इसके बाद भी सरकार कोई सकारात्मक प्रक्रिया नहीं देती तो चंडीगढ़ कूच किया जाएगा. इसके लिये प्रदेश सरकार जिम्मेदार होगी. हिसार में मैय्यड़ टोल को भी बीते कल बंद रखा गया था.
दरअसल, सोमवार को हिसार में सरपंचों ने सरकार का विरोध जताने के लिये बीडीपीओ कार्यालय के सामने मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और पंचायत मंत्री देवेंद्र बबली की सद्बुद्धि के लिए हवन यज्ञ करवाया. हवन करने वाले पंडित ने बताया कि यूं तो महामृत्युंजय मंत्र किसी की लंबी आयु के लिए किया जाता है, लेकिन इस बार महामृत्युंजय मंत्र सद्बुद्धि के लिए किया गया है. वहीं, सरपंचों ने मिलकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी भी की.
डोबी गांव के सरपंच हिंदुस्तानी ने बताया कि तीन फरवरी को नरवाना में सीएम मनोहर लाल की रैली का भी विरोध किया जाएगा. बता दें कि, इससे पहले पंचायत मंत्री देवेंद्र बबली के कार्यक्रम और गोहाना में अमित शाह की रैली का विरोध सरपंच कर चुके हैं. अगर सरकार ने मांगों को लेकर कोई सकारात्मक प्रक्रिया नहीं दी तो फिर चंडीगढ़ कूच किया जाएगा, जिसकी जिम्मेदार प्रदेश सरकार होगी.
राइट टू रिकॉल व ई-टेंडरिंग के विरोध में तथा पंचायतों को पूरे अधिकार दिए जाने की मांग पर हरियाणा प्रदेश सरपंच एसोसिएशन के आह्वान पर जिले के राष्ट्रीय राजमार्ग को जाम करके मैम्यड़ टोल को फ्री करवाया गया था. इस प्रदर्शन में जिले के पांच ब्लॉक के सरपंचों ने हिस्सा लिया. लगभग एक घंटे तक मय्यड़ टोल के पास लगे जाम के बाद कमेटी के निर्णय अनुसार टोल फ्री करवा दिया गया. चक्का जाम व टोल फ्री कार्यक्रम की अध्यक्षता सरपंच एसोसिएशन के जिला प्रधान नरसिंह, कोषाध्यक्ष आजाद सिंह हिन्दुस्तानी व गंगवा सरपंच भगवान दास ने की. सभी ने सरपंचों की मांगों का समर्थन किया और कहा कि सरकार इस मामले में अपनी मनमानी कर रही है.
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सरपंचों ने कहा कि सरकार पंचायतों को पावरलेस बनाना चाहती है, जिससे प्रदेशभर के सरंपचों में रोष है. उन्होंने कहा कि पंचायती राज अधिनियम 1994 के तहत मिले अधिकारों में कटौती करके सरकार पंचायतों के अधिकार छीनना चाहती है. अपनी मांगों को लेकर सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करते रहेंगे, और तब तक करेंगे जब तक सरकार हमारी मांगें नहीं मानती. अब सरपंच पीछे हटने वाले नहीं है.
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