हिसार: कोरोना वायरस (coronavirus) ने पिछले एक साल में देश के हर कोने में पैर पसार लिए हैं. साल 2020 की तरह ये साल भी कोरोना पाबंदियों के साथ बीत रहा है. कोरोना में लगाई गई पाबंदियों के कारण लोग आर्थिक परेशानियों से जूझ रहे हैं. युवा बेरोजगार हो रहे हैं और व्यापार मंदी में चल रहे हैं. यही कारण है कि अब बड़े-बड़े शहर भी विरान होने लगे हैं. शहरों में रहने वाले लोगों ने गांवों की ओर पलायन शुरू कर दिया है, ऐसे में किरायेदारों (tenants) की काफी कमी है और अधिकतर मकान खाली पड़े हैं.
लोगों के मन में कोरोना वायरस का डर इतना ज्यादा है कि लोग पहले की तरह मकान देखने के लिए भी नहीं आ रहे. हालात ये हो चले हैं कि जिस मकान का किराया लॉकडाउन (lockdown) से पहले 6 हजार था, वही मकान अब 4 हजार रुपये में मिल रहा है, लेकिन फिर भी मकान खाली हैं और मकान मालिक मायूस बैठे हैं. मकान मालिकों के किराया कम करने के बाद भी किरायेदार नहीं आ रहे हैं.
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किरायेदारों के ना होने से मकान मालिकों के सामने कई तरह की दिक्कतें आ रही हैं, जैसे मकान की ईएमआई कहां से भरेंगे और घर का खर्च कैसे चलेगा? हिसार निवासी मकान मालिक सतबीर कुमार ने बताया कि लॉकडाउन में उनकी आर्थिक स्थिति बद से बदतर हो गई है. वो उम्मीद कर रहे हैं आने वाले समय में हालात सामान्य होंगे और लोग दोबारा से शहरों में रहने आएंगे.
देश कोरोना की पहली लहर से संभला ही था कि अप्रैल और मई के महीने में कोरोना की दूसरी लहर ने दस्तक दे दी, और एक बार फिर लॉकडाउन लगा दिया गया. इसके साथ ही लोगों के सामने एक बार फिर आर्थिक संकट खड़ा हो गया. हाउसिंग बिजनेस पर भी इसका बुरा असर देखने को मिला. अब हालात ये हैं कि बीते एक साल से मकान मालिक किरायेदारों की राह ताक रहे हैं.
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