हिसार: आसमान से बरसते शोलों के बीच हरियाणा के तमाम जिलों का तापमान लगातार बढ़ता जा रहा (Tempreature In Haryana) है. आम जनजीवन गर्मी और गर्म हवाओं के चलते बुरी तरह प्रभावित हो रहा है. ऐसे में पशुओं की जिंदगी पर भी बुरा असर अब पड़ने लगा है. हरियाणा पंजाब व आस-पास के कई राज्यों में पशुधन संवर्धन एवं संरक्षण पर विशेष जोर है. ऐसे में भीषण गर्मी से भैंसों व अन्य दुधारू पशुओं को गर्मी से बहुत खतरा है. गर्मी से इन पशुओं पर हानिकारक प्रभाव पड़ते है.
बढ़ती गर्मी से पशुओं को बचाने के लिए क्या-क्या उपाय किए जा सकते हैं. इसको लेकर हमने लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एव पशु विज्ञान विश्विद्यालय के वैज्ञानिकों से बातचीत की. दरअसल हरियाणा और बाकी के प्रदेशों में खासतौर पर दुग्ध उत्पादन के लिए भैंसों को पाला जाता है. भैंस का रंग काला होने की वजह से उन्हें और ज्यादा गर्मी लगती है. झुलसती गर्मी में भैंसों को हीट स्ट्रेस होने का खतरा रहता है. इतनी गर्मी की वजह से दूध उत्पादन में भी कमी आ जाती है. वहीं गर्भवती भैंसों को गर्मी की वजह से और भी ज्यादा परेशानी झेलनी पड़ती है.
हीट स्ट्रोक की वजह से जा सकती है पशुओं की जान- लुवास के वैज्ञानिक डॉ. नीलेश सिंधु ने बताया कि हीट स्ट्रोक से प्रभावित से पशु रोजाना आ रहे (Risk Of Heat Stroke Increased in Milch Animals In Haryana) हैं. मार्च महीने से इनकी संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही. रोजाना 7 से 8 केस आ रहे है. पशुओं को यहां लाते समय बीमारी कोई और होती है लेकिन तेज धूप में लोहे की गाड़ी बेहद गर्म हो जाते है जिससे वह यहां आते आते ही हीट स्ट्रोक के भी शिकार हो जाते हैं. इससे पशुओं के शरीर का तापमान 108 से 109 तक पहुंच जाता है. इस वजह से उसकी जान बचाना मुश्किल हो जाता है. इसलिए हमारी राय है कि दिन के समय पशुओं को ट्रांसपोर्ट से कही ना ले जाएं क्योंकि उनको नुकसान होता है.
तापमान बढ़ने से पशुओं को होती है हीट स्ट्रेश की समस्या- पशु चिकित्सा वैज्ञानिक डॉ. तरुण ने बताया अक्सर गर्मियों के मौसम में तापमान बढ़ने पर दुधारू पशुओं को हीट स्ट्रेस की समस्या हो जाती है. इसी वजह से दुधारू पशुओं में दूध देने की क्षमता में कमी आ जाती है. धीरे धीरे पशु खाना छोड़ देता है. अगर 24 घंटे पानी उपलब्ध न हो तो उसके शरीर मे पानी की कमी या डिहाइड्रेशन हो जाता है. गर्मी के कारण पशुओं को हाइपरथर्मिया व हीट स्ट्रोक हो जाता है. पशुओं को हीट स्ट्रेस से बचाने के लिए उन्हें खुले और हवादार कमरे में रखा जाना चाहिए. इसके साथ ही संभव हो तो शेड के अतिरिक्त पंखे व कूलर भी लगाएं ताकि पशु ठंडे रहें.
डॉ. तरुण ने बताया कि अगर पशु बीमार होता है और या किसी स्थिति में उसे किसी दूसरे स्थान पर ट्रांसपोर्ट करना होता है तो उसे जल्दी सुबह या फिर देर शाम को ले जाना चाहिए. हमारे यहां हॉस्पिटल में भी दूर-दूर से लोग आते हैं अगर वह दोपहर के समय आते हैं तो इतने समय तेज धूप में और लोहे की गाड़ियों में और अधिक बीमार हो जाता है. वह हाइपर थर्मिया और हीट स्ट्रोक का शिकार हो जाता है जिससे वह मर भी सकता है.
गर्मी के इस मौसम में पशुओं को गर्मी से बचाने के साथ-साथ अन्य कई बातों का भी ध्यान रखना जरूरी है.
इन बातों का रखें ध्यान
- गर्मी के मौसम में पशु को समय-समय पर पानी पिलाना चाहिए
- पशुओं के पीने के लिए पानी छायादार जगह पर रखना चाहिए ताकि वह ठंडा रहे
- धूप में पानी ज्यादा गर्म हो जाता है जिसे पशु नहीं पीते और उनमें पानी की कमी हो जाती है.
- पशुओं को खाने के लिए ज्यादा से ज्यादा पौष्टिक चीजें जैसे चूनी, दलिया, सरसों, खल वगैरह खिलानी चाहिए.
- गर्मी के इस मौसम में हमें पशुओं को ज्यादा से ज्यादा हरा चारा व पोषक तत्व देना चाहिए.
पशुओं को ना खिलाएं नई तूड़ी- गर्मियों के मौसम में एक विशेष बात ध्यान देने योग्य यह है कि इस समय नई तूड़ी आती है तो किसानों को वह नई तूड़ी पशुओं नहीं खिलानी चाहिए. नई तूड़ी में कुछ ऐसे रसायनिक तत्व होते हैं जो फसलों को नुकसान करते हैं इसकी वजह से पशुओं का पाचन तंत्र खराब हो जाता है. ऐसे में तूड़ी को कम से कम एक दो महीने स्टॉक करके फिर खिलाना चाहिए. पशुओं के लिए एक दो महीने तक पुरानी तूड़ी बचाकर रखने चाहिए. अगर किसी कारणवश नहीं तूड़ी खिलानी पड़े तो उसे भिगोकर फिर खिलाना चाहिए.
कैसे पहचान करें पशुओं में हीट स्ट्रेस की समस्या- पशु चिकित्सकों के अनुसार बढ़ती गर्मी से दुधारू पशु हाफना शुरू कर देता है. इसके अलावा शरीर का तापमान भी बढ़ जाता है. इसके साथ-साथ डिहाइड्रेशन से पशु की खाल भी झुर्रीदार हो जाती है. पानी की कमी के चलते भी आंखें भी अंदर की ओर धंस जाती हैं. दूध देने की क्षमता भी बीस प्रतिशत तक घट जाती है. पशुओं में सांस लेने की दर 35 स्वांस प्रति मिनट या इससे अधिक हो जाती है. हीट स्ट्रेस का शिकार होने पर पशु सुस्त नजर आने लगता है. अगर ऐसे कोई लक्षण दिखाई दे तो तुरंत अपने नजदीकी पशु चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए.
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