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6 बार विधायक रहे ये नेता आदमपुर उपचुनाव में कुलदीप बिश्नोई को दे सकते हैं टक्कर

6 बार विधायक रह चुके प्रोफेसर संपत सिंह एक फिर हरियाणा कांग्रेस का हाथ थाम सकते (Haryana Congress) हैं. अगले सप्ताह कांग्रेस हाईकमान संपत सिंह के कांग्रेस में शामिल होने की कार्यक्रम घोषणा करेगा. इसी के चलते संपत सिंह ने रविवार को अपने कार्यकर्ताओं की बैठक बुलाई.

Haryana Congress
6 बार विधायक रहे ये नेता आदमपुर उपचुनाव में कुलदीप बिश्नोई को दे सकते हैं टक्कर
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Published : Aug 6, 2022, 4:59 PM IST

हिसार: हरियाणा के पूर्व मंत्री प्रोफेसर संपत सिंह ने बीजेपी पार्टी छोड़ने के बाद हरियाणा कांग्रेस में जाने की तैयारियां शुरू कर दी (Sampat Singh may join Haryana Congress) हैं. संपत सिंह पूर्व में गृह मंत्री और वित्त मंत्री रह चुके हैं कुछ साल पहले उन्होंने बीजेपी पार्टी ज्वाइन की थी लेकिन किसान आंदोलन के दौरान उन्होंने बीजेपी पार्टी छोड़ने का ऐलान किया था. संपत सिंह ने रविवार को अपने कार्यकर्ताओं की बैठक बुलाई है जिसमें भविष्य की राजनीति को लेकर कार्यकर्ताओं से चर्चा की जाएगी. अभी थोड़े टाइम पहले संपत सिंह ने दीपेंद्र हुड्डा के साथ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता केसी वेणुगोपाल से मुलाकात की थी.


2009 में भजन लाल ने दी चुनाव शिकस्त- संपत सिंह अब तक छह बार विधायक रह चुके हैं. साल 1982 में वे पहली बार जनता पार्टी की टिकट से भट्टूकलां से विधानसभा चुनाव लड़ा था. इसके बाद संपत सिंह ने साल 1982, 1987, 1991, 1998, 2000 में भी विधानसभा चुनाव लड़ा था. 1991 से 1996 तक उन्होंने नेता प्रतिपक्ष की भूमिका भी निभाई. साल 2009 में हिसार लोकसभा सीट पर उन्होंने इनेलो की टिकट से सांसद का चुनाव लड़ा था लेकिन भजनलाल से हार गए थे.

इनेलो छोड़ ज्वाइन की थी कांग्रेस - चुनाव के दौरान पार्टी का सपोर्ट ना मिलने पर उन्होंने इनेलो छोड़ दी थी. इसके बाद 2009 में उन्होंने कांग्रेस की टिकट पर नलवा हल्के से चुनाव जीता था. उस समय उन्होंने कुलदीप बिश्नोई की मां और पूर्व सीएम भजन लाल की पत्नी जसमा देवी को हराया था. उसके बाद साल 2019 में कांग्रेस की टिकट उन्हें नहीं मिली और इसके लिए संपत सिंह ने कुलदीप बिश्नोई को जिम्मेदार ठहराया था. संपत सिंह कुलदीप बिश्नोई पर आरोप लगाए थे कि उनकी मां की हार वह आज तक नहीं भूले हैं इसीलिए उनका टिकट कटवाया गया.

बीजेपी में रहते हुए किया किसान आंदोलन का समर्थन- संपत सिंह ने साल 2019 में कांग्रेस पार्टी से टिकट कटने के बाद बीजेपी ज्वाइन कर ली थी. हालांकि बीजेपी पार्टी में रहने के दौरान न तो वह किसी बड़ी रैलियों में नजर आए और ना ही उनके पास पार्टी का कोई पद रहा. उसके बाद किसान आंदोलन आया और संपत सिंह ने बीजेपी में रहते हुए किसान आंदोलन का समर्थन किया. इसके कुछ समय बाद आंदोलन के दौरान ही संपत सिंह ने बीजेपी छोड़ दी. (Sampat Singh Left BJP) दिया.

अगले हफ्ते ज्वाइन कर सकते हैं कांग्रेस- प्रोफेसर संपत सिंह ने बताया कि मैंने कुलदीप बिश्नोई के कारण पार्टी छोड़ दी थी और उसी वजह से कांग्रेस हाईकमान में ज्यादा बातचीत होने लगी थी. मैं भूपेंद्र सिंह हुड्डा के लगातार संपर्क में था और अब कुलदीप बिश्नोई के जाने से मेरी अड़चन दूर हो गई है तो तो मेरा भी मन बन रहा है. गौरतलब है कि अगले सप्ताह कांग्रेस हाईकमान संपत सिंह के कांग्रेस में शामिल होने की कार्यक्रम घोषणा करेगा. इसी के चलते संपत सिंह ने रविवार को अपने कार्यकर्ताओं की बैठक बुलाई.

आदमपुर से टिकट मिला तो होगी कांटे की टक्कर- संपत सिंह के कांग्रेस में जाने के बाद आदमपुर में होने वाले उपचुनाव को लेकर मुकाबला रोमांचक होता दिखाई दे रहा है. उपचुनाव में संपत सिंह या फिर उनके बेटे मैदान में कांग्रेस की टिकट से उतर सकते हैं. हालांकि संपत सिंह ने इस बात को सिर्फ चर्चा ही बताया है. अगर कांग्रेस पार्टी संपत सिंह या उनके बेटे को आदमपुर उपचुनाव (Adampur By Election) में टिकट देती है तो चुनाव में कांटे की टक्कर दिखाई देगी.

हिसार: हरियाणा के पूर्व मंत्री प्रोफेसर संपत सिंह ने बीजेपी पार्टी छोड़ने के बाद हरियाणा कांग्रेस में जाने की तैयारियां शुरू कर दी (Sampat Singh may join Haryana Congress) हैं. संपत सिंह पूर्व में गृह मंत्री और वित्त मंत्री रह चुके हैं कुछ साल पहले उन्होंने बीजेपी पार्टी ज्वाइन की थी लेकिन किसान आंदोलन के दौरान उन्होंने बीजेपी पार्टी छोड़ने का ऐलान किया था. संपत सिंह ने रविवार को अपने कार्यकर्ताओं की बैठक बुलाई है जिसमें भविष्य की राजनीति को लेकर कार्यकर्ताओं से चर्चा की जाएगी. अभी थोड़े टाइम पहले संपत सिंह ने दीपेंद्र हुड्डा के साथ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता केसी वेणुगोपाल से मुलाकात की थी.


2009 में भजन लाल ने दी चुनाव शिकस्त- संपत सिंह अब तक छह बार विधायक रह चुके हैं. साल 1982 में वे पहली बार जनता पार्टी की टिकट से भट्टूकलां से विधानसभा चुनाव लड़ा था. इसके बाद संपत सिंह ने साल 1982, 1987, 1991, 1998, 2000 में भी विधानसभा चुनाव लड़ा था. 1991 से 1996 तक उन्होंने नेता प्रतिपक्ष की भूमिका भी निभाई. साल 2009 में हिसार लोकसभा सीट पर उन्होंने इनेलो की टिकट से सांसद का चुनाव लड़ा था लेकिन भजनलाल से हार गए थे.

इनेलो छोड़ ज्वाइन की थी कांग्रेस - चुनाव के दौरान पार्टी का सपोर्ट ना मिलने पर उन्होंने इनेलो छोड़ दी थी. इसके बाद 2009 में उन्होंने कांग्रेस की टिकट पर नलवा हल्के से चुनाव जीता था. उस समय उन्होंने कुलदीप बिश्नोई की मां और पूर्व सीएम भजन लाल की पत्नी जसमा देवी को हराया था. उसके बाद साल 2019 में कांग्रेस की टिकट उन्हें नहीं मिली और इसके लिए संपत सिंह ने कुलदीप बिश्नोई को जिम्मेदार ठहराया था. संपत सिंह कुलदीप बिश्नोई पर आरोप लगाए थे कि उनकी मां की हार वह आज तक नहीं भूले हैं इसीलिए उनका टिकट कटवाया गया.

बीजेपी में रहते हुए किया किसान आंदोलन का समर्थन- संपत सिंह ने साल 2019 में कांग्रेस पार्टी से टिकट कटने के बाद बीजेपी ज्वाइन कर ली थी. हालांकि बीजेपी पार्टी में रहने के दौरान न तो वह किसी बड़ी रैलियों में नजर आए और ना ही उनके पास पार्टी का कोई पद रहा. उसके बाद किसान आंदोलन आया और संपत सिंह ने बीजेपी में रहते हुए किसान आंदोलन का समर्थन किया. इसके कुछ समय बाद आंदोलन के दौरान ही संपत सिंह ने बीजेपी छोड़ दी. (Sampat Singh Left BJP) दिया.

अगले हफ्ते ज्वाइन कर सकते हैं कांग्रेस- प्रोफेसर संपत सिंह ने बताया कि मैंने कुलदीप बिश्नोई के कारण पार्टी छोड़ दी थी और उसी वजह से कांग्रेस हाईकमान में ज्यादा बातचीत होने लगी थी. मैं भूपेंद्र सिंह हुड्डा के लगातार संपर्क में था और अब कुलदीप बिश्नोई के जाने से मेरी अड़चन दूर हो गई है तो तो मेरा भी मन बन रहा है. गौरतलब है कि अगले सप्ताह कांग्रेस हाईकमान संपत सिंह के कांग्रेस में शामिल होने की कार्यक्रम घोषणा करेगा. इसी के चलते संपत सिंह ने रविवार को अपने कार्यकर्ताओं की बैठक बुलाई.

आदमपुर से टिकट मिला तो होगी कांटे की टक्कर- संपत सिंह के कांग्रेस में जाने के बाद आदमपुर में होने वाले उपचुनाव को लेकर मुकाबला रोमांचक होता दिखाई दे रहा है. उपचुनाव में संपत सिंह या फिर उनके बेटे मैदान में कांग्रेस की टिकट से उतर सकते हैं. हालांकि संपत सिंह ने इस बात को सिर्फ चर्चा ही बताया है. अगर कांग्रेस पार्टी संपत सिंह या उनके बेटे को आदमपुर उपचुनाव (Adampur By Election) में टिकट देती है तो चुनाव में कांटे की टक्कर दिखाई देगी.

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