हिसार: चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय स्थित एग्री बिजनेस इनक्यूबेशन सेंटर (एबिक) के एग्री स्टार्टअप्स के लिए भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की ओर से 1 करोड़ 2 लाख रुपये की राशि स्वीकृत की गई है. ये जानकारी देते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर समर सिंह ने बताया कि ये सेंटर विश्वविद्यालय में नाबार्ड व राष्ट्रीय कृषि विकास योजना-रफ्तार की सहायता से पिछले साल स्थापित किया गया था. ये केंद्र उत्तर भारत का पहला केंद्र है जिसका मुख्य उद्देश्य कृषि व संबंधित क्षेत्र में नए-नए स्टार्टअप को बढ़ावा देना है. इनक्यूबेशन सेंटर अब तक 40 से अधिक कृषि स्टार्टअप्स की पहचान कर उन्हें अपना व्यवसाय बढ़ाने में सहायता कर रहा है.
समर सिंह ने बताया कि एबिक सेंटर के 11 स्टार्टअप्स के लिए एक करोड़ 2 लाख की राशि स्वीकृत की गई है. जो जल्द ही इन्हें नियम व शर्तों अनुसार स्टार्टअप्स को आवंटित की जाएगी. प्रोफेसर समर सिंह ने बताया कि वर्ष 2019 में आर.के.वी.वाई.-रफ्तार स्कीम के तहत जिन स्टार्टअप्स ने 2 महीने का नि:शुल्क प्रशिक्षण लिया था. उन 11 स्टार्टअप्स की अंतिम प्रस्तुति कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार की गठित कमेटी के सामने हुई थी. उन सभी को अनुदान राशि प्रदान करने के लिए चुन लिया गया है. यह एग्री बिजनेस इनक्यूबेशन सेंटर के लिए बहुत ही गर्व की बात है.
इस वर्ष भी मांगे गए हैं आवेदन
एबिक सेंटर की नोडल अधिकारी डॉ. सीमा रानी व प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर डॉ. आर.के. झोरड़ ने बताया कि हरियाणा व नजदीकी राज्यों के प्रोग्रेसिव किसानों, विद्यार्थियों, उद्यमियों, कृषि के क्षेत्र में नवाचार पर काम करने वाली कंपनियों व अपना नया व्यवसाय शुरू करने वाले युवाओं के लिए आर.के.वी.वाई. रफ्तार स्कीम के तहत पहल-2020 व सफल-2020 नामक कार्यक्रमों के माध्यम से आवेदन मांगे हैं. उन्होंने बताया कि इसके लिए ऑनलाइन व ऑफलाइन आवेदन की अंतिम तिथि 14 अगस्त है. इस संबंध में अधिक जानकारी विश्वविद्यालय की वेबसाइट www.hau.ac.in व www.rkvy.abichauhisar.com पर उपलब्ध है.
उन्होंने बताया कि कृषि व कृषि संबंधित एग्री बिजनेस स्टार्टअप्स के लिए पहल-2020 प्रोग्राम उन आवेदकों के लिए है जिनका स्टार्टअप्स अभी आइडिया स्टेज पर है. इस कार्यक्रम के तहत 5 लाख तक की राशि चयनित आवेदक को नियमानुसार अनुदान के रूप में दी जाती है. इसी प्रकार सफल-2020 कार्यक्रम के तहत जिन आवेदकों ने अपना प्रोडक्ट बना रखा है और उसे बड़े स्तर पर ब्रांड के रूप में पहचान दिलाना चाहते हैं. तो उनके लिए 25 लाख रुपये तक की सहायता राशि निर्धारित नियमानुसार दी जाती है. खास बात यह है कि कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार से चयनित होने के उपरांत यह राशि वापस नहीं करनी पड़ती, बल्कि इससे अपना व्यवसाय स्थापित करना होता है.
इनको मिलेगी अनुदान राशि
सहायक प्रिंसीपल इंवेस्टीगेटर डॉ. राजेश गेरा ने बताया कि एबिक सेंटर के तहत 11 स्टार्टअप्स को पूरे भारतवर्ष से 40 से अधिक मेंटर्स द्वारा 2 महीने का प्रशिक्षण दिया गया था. जिसके परिणामस्वरूप वे अपने व्यवसाय को धरातल पर लाकर एक ब्रांड के रूप स्थापित कर पाए. उन्होंने बताया जिनको अनुदान राशि मिलनी है. उनमें अनुज हुड्डा की वैलनेस एग्री इंडिया प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को 12 लाख रुपये, ओमपाल सिंह की नाईटो एग्रीटेक प्राइवेट लिमिटेड को 25 लाख रुपये, प्रिंस कुमार की धर्मवीर फूड टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड को 25 लाख रुपये, अंकित कुमार की ओराप्लेनेट फूड प्राइवेट लिमिटेड को 5 लाख रुपये, जयकरण राणा की ओमे एग्रीकल्चर सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड को 5 लाख, डिंपल कथूरिया की मिलसर एग्रो फूड प्राइवेट लिमिटेड को 5 लाख रुपये, नरेश शर्मा की गौपेथी स्वदेशी उद्योग को 5 लाख, विपिन सरीन की मैफिक फूड्स प्राइवेट लिमिटेड को 5 लाख रुपये, विशाल भंडारी की नारायणा ग्लोबल एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड को 5 लाख रुपये, विवेक कुमार की रविक इंटरप्राइसेस प्राइवेट लिमिटेड 5 लाख रुपये व सात्विक कुमार की हेक्सहॉम प्राइवेट लिमिटेड को 5 लाख रुपये की राशि शामिल है.
ये भी पढ़ें: राजनाथ सिंह का बड़ा एलान- 101 रक्षा उपकरणों के आयात पर रोक