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हिसार में बच्चों की जिंदगी के साथ खिलवाड़! बिना NOC के चल रहे कई स्कूल - स्कूल एनओसी क्या है

स्कूल का संचालन करने के लिए शिक्षा विभाग की ओर से एनओसी लेना अनिवार्य किया गया है, लेकिन हिसार में ऐसे की स्कूल हैं जो बिना एनओसी के ही चल रहे हैं. इसके अलावा ऐसे कई स्कूल भी हैं जो कागजी तौर पर तो बच्चों के लिए सुरक्षित हैं, लेकिन धरताल पर सच्चाई कुछ और ही है.

hisar school without noc
हिसार में बच्चों की जिंदगी के साथ खिलवाड़!
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Published : Feb 16, 2021, 2:30 PM IST

हिसार: स्कूल, जिसे शिक्षा का मंदिर भी कहा जाता है, लेकिन ये शिक्षा का मंदिर इन दिनों पैसा कमाने का जरिया भर बन गया है. यही वजह है कि स्कूल संचालक ज्यादा पैसा कमाने के चक्कर में बच्चों की जिंदगी से खिलवाड़ करने से भी पीछे नहीं हटते हैं. ऐसे में स्कूलों पर लगाम लगाने और स्कूलों को एक व्यवस्था से चलाने के लिए सरकार की ओर से कुछ कायदे-कानून बनाए गए हैं.

हर स्कूल चाहे वो प्राइवेट हो या फिर स्टेट बोर्ड. उसे इन नियमों का पालन करना बेहद जरूरी होता है. इन सभी कानूनों को लागू करने के लिए शिक्षा विभाग की ओर से एक प्रक्रिया बनाई गई है. जिसके तहत हर स्कूल को शिक्षा विभाग से एनओसी यानी नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट लेना बेहद जरूरी होता है.

हिसार में बच्चों की जिंदगी के साथ खिलवाड़!

क्या होती है NOC?

नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट स्कूल चलाने के लिए अनिवार्य रूप से शिक्षा विभाग से लेना होता है. इसके लिए अब स्कूलों को ऑनलाइन अप्लाई करना पड़ता है. जिसके बाद शिक्षा विभाग के अधिकारी स्कूल में जाकर वैरिफिकेशन करते हैं और सुरक्षा नियम और अन्य वातावरण से संबंधित नियमों की जांच पड़ताल करते हैं.

साथ ही स्कूल चलाने के लिए बच्चों में क्लास के हिसाब से जमीन और अन्य सुविधाओं का होना बेहद जरूरी है, जिनकी जांच पड़ताल अधिकारियों द्वारा की जाती है. उसके बाद सेफ्टी और आग से सुरक्षा संबंधित जांच पड़ताल के लिए अग्निशमन अधिकारी स्कूल में निरीक्षण के लिए आते हैं और नियमों के अनुरूप पाए जाने के बाद ही स्कूलों को शिक्षा विभाग की ओर से एनओसी दी जाती है.

hisar school without noc
ये विभाग करते हैं स्कूलों का निरीक्षण

मुख्य तौर से इन विभागों की ओर से जांच पड़ताल की रिपोर्ट सही पाए जाने पर ही शिक्षा विभाग स्कूलों को एनओसी जारी कर सकता है, जिसके बाद स्कूल को संबंधित बोर्ड से मान्यता मिलती है और बच्चों की क्लास शुरू हो पाती है.

hisar school without noc
स्कूलों के लिए NOC लेना जरूरी

मैनुअल तरीके से फाइलें जमा कर NOC लेने में लगता था समय

नियम अनुसार सीबीएसई और हरियाणा बोर्ड से एफिलिएशन लेने से पहले शिक्षा विभाग से राइट टू एजुकेशन (आरटीई) के तहत मान्यता संबंधी आवेदन कर एनओसी लेनी अनिवार्य होती है. थोड़े समय पहले तक ये प्रोसेस स्कूलों की तरफ से मैनुअल तरीके से ही फाईलें जमा करवाने और विभाग की तरफ से मैनुअल फाइलों के तहत ही आगे की कार्रवाई की जाती थी.

अब ऑनलाइन जारी होती है NOC

ये फाइल जिला शिक्षा अधिकारी से होकर जांच कमेटी और बोर्ड तक पहुंचती थी. फिर जांच कमेटी की तरफ से अपनी रिपोर्ट मैनुअल तरीके से ही तैयार करके जिला शिक्षा अधिकारी को दी जाती थी. जिसके बाद एनओसी जारी करने का प्रोसेस होता था. अगर स्कूल लेवल पर कोई सुधार और त्रुटियों को ठीक किया जाना होता था तो फाइल को वापस भेज दिया जाता था. इसे लेकर बेहद समय बर्बाद होता था और प्रक्रिया भी बेहद लंबी होती थी, लेकिन अब एनओसी लेने की प्रक्रिया को ऑनलाइन कर दिया गया है.

ये भी पढ़िए: हरियाणा में बने इस चमत्कारी कुंड में नहाने से दूर होता है चर्म रोग! दूर-दूर से आते हैं लोग

फायर सेफ्टी को लेकर जिला फायर ऑफिसर दलबीर सिंह ने कहा कि अब फायर सेफ्टी की एनओसी हर बड़ी बिल्डिंग के लिए अनिवार्य है और इसके साथ ही स्कूलों के लिए भी ये बेहद जरूरी है. एनओसी लेने के लिए अप्लाई करने की प्रक्रिया पूरी तरह से ऑनलाइन की गई है और जैसे ही हमें कोई भी आवेदन मिलता है तो तुरंत संबंधित बिल्डिंग में इंस्पेक्शन कर उन्हें नियम अनुसार एनओसी जारी की जाती है.

ये भी पढ़िए: इन वजहों से पढ़े-लिखे जोड़ों में बढ़ रहे तलाक के मामले, रिश्तों पर भारी पड़ रहे पैसे

भले ही स्कूल खोलने और चलाने के लिए एनओसी का होना बेहद जरूरी है, लेकिन हिसार में ऐसे कई स्कूल हैं. जहां अभी भी नियमों की पालना नहीं हो रही है. बात चाहे फायर सेफ्टी इक्विपमेंट्स की हो या फिर नियम अनुसार एंट्री एग्जिट प्लान की. ऐसे कई स्कूल हैं जो नियमों पर खरा नहीं उतर पाते, लेकिन ऐसे स्कूल कई सालों से चल रहे हैं और शिक्षा विभाग हाथ पर हाथ धरे उनको देखता रहता है.

ये भी पढ़िए: गली में फैली गंदगी से परेशान लड़की ने CM से ट्वीट कर पूछा, कैसे होगी मेरी शादी?

हिसार: स्कूल, जिसे शिक्षा का मंदिर भी कहा जाता है, लेकिन ये शिक्षा का मंदिर इन दिनों पैसा कमाने का जरिया भर बन गया है. यही वजह है कि स्कूल संचालक ज्यादा पैसा कमाने के चक्कर में बच्चों की जिंदगी से खिलवाड़ करने से भी पीछे नहीं हटते हैं. ऐसे में स्कूलों पर लगाम लगाने और स्कूलों को एक व्यवस्था से चलाने के लिए सरकार की ओर से कुछ कायदे-कानून बनाए गए हैं.

हर स्कूल चाहे वो प्राइवेट हो या फिर स्टेट बोर्ड. उसे इन नियमों का पालन करना बेहद जरूरी होता है. इन सभी कानूनों को लागू करने के लिए शिक्षा विभाग की ओर से एक प्रक्रिया बनाई गई है. जिसके तहत हर स्कूल को शिक्षा विभाग से एनओसी यानी नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट लेना बेहद जरूरी होता है.

हिसार में बच्चों की जिंदगी के साथ खिलवाड़!

क्या होती है NOC?

नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट स्कूल चलाने के लिए अनिवार्य रूप से शिक्षा विभाग से लेना होता है. इसके लिए अब स्कूलों को ऑनलाइन अप्लाई करना पड़ता है. जिसके बाद शिक्षा विभाग के अधिकारी स्कूल में जाकर वैरिफिकेशन करते हैं और सुरक्षा नियम और अन्य वातावरण से संबंधित नियमों की जांच पड़ताल करते हैं.

साथ ही स्कूल चलाने के लिए बच्चों में क्लास के हिसाब से जमीन और अन्य सुविधाओं का होना बेहद जरूरी है, जिनकी जांच पड़ताल अधिकारियों द्वारा की जाती है. उसके बाद सेफ्टी और आग से सुरक्षा संबंधित जांच पड़ताल के लिए अग्निशमन अधिकारी स्कूल में निरीक्षण के लिए आते हैं और नियमों के अनुरूप पाए जाने के बाद ही स्कूलों को शिक्षा विभाग की ओर से एनओसी दी जाती है.

hisar school without noc
ये विभाग करते हैं स्कूलों का निरीक्षण

मुख्य तौर से इन विभागों की ओर से जांच पड़ताल की रिपोर्ट सही पाए जाने पर ही शिक्षा विभाग स्कूलों को एनओसी जारी कर सकता है, जिसके बाद स्कूल को संबंधित बोर्ड से मान्यता मिलती है और बच्चों की क्लास शुरू हो पाती है.

hisar school without noc
स्कूलों के लिए NOC लेना जरूरी

मैनुअल तरीके से फाइलें जमा कर NOC लेने में लगता था समय

नियम अनुसार सीबीएसई और हरियाणा बोर्ड से एफिलिएशन लेने से पहले शिक्षा विभाग से राइट टू एजुकेशन (आरटीई) के तहत मान्यता संबंधी आवेदन कर एनओसी लेनी अनिवार्य होती है. थोड़े समय पहले तक ये प्रोसेस स्कूलों की तरफ से मैनुअल तरीके से ही फाईलें जमा करवाने और विभाग की तरफ से मैनुअल फाइलों के तहत ही आगे की कार्रवाई की जाती थी.

अब ऑनलाइन जारी होती है NOC

ये फाइल जिला शिक्षा अधिकारी से होकर जांच कमेटी और बोर्ड तक पहुंचती थी. फिर जांच कमेटी की तरफ से अपनी रिपोर्ट मैनुअल तरीके से ही तैयार करके जिला शिक्षा अधिकारी को दी जाती थी. जिसके बाद एनओसी जारी करने का प्रोसेस होता था. अगर स्कूल लेवल पर कोई सुधार और त्रुटियों को ठीक किया जाना होता था तो फाइल को वापस भेज दिया जाता था. इसे लेकर बेहद समय बर्बाद होता था और प्रक्रिया भी बेहद लंबी होती थी, लेकिन अब एनओसी लेने की प्रक्रिया को ऑनलाइन कर दिया गया है.

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फायर सेफ्टी को लेकर जिला फायर ऑफिसर दलबीर सिंह ने कहा कि अब फायर सेफ्टी की एनओसी हर बड़ी बिल्डिंग के लिए अनिवार्य है और इसके साथ ही स्कूलों के लिए भी ये बेहद जरूरी है. एनओसी लेने के लिए अप्लाई करने की प्रक्रिया पूरी तरह से ऑनलाइन की गई है और जैसे ही हमें कोई भी आवेदन मिलता है तो तुरंत संबंधित बिल्डिंग में इंस्पेक्शन कर उन्हें नियम अनुसार एनओसी जारी की जाती है.

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भले ही स्कूल खोलने और चलाने के लिए एनओसी का होना बेहद जरूरी है, लेकिन हिसार में ऐसे कई स्कूल हैं. जहां अभी भी नियमों की पालना नहीं हो रही है. बात चाहे फायर सेफ्टी इक्विपमेंट्स की हो या फिर नियम अनुसार एंट्री एग्जिट प्लान की. ऐसे कई स्कूल हैं जो नियमों पर खरा नहीं उतर पाते, लेकिन ऐसे स्कूल कई सालों से चल रहे हैं और शिक्षा विभाग हाथ पर हाथ धरे उनको देखता रहता है.

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