हिसार: खेदड़ गांव में थर्मल प्लांट की राख को लेकर गांव वालों और पुलिस के बीच हुई झड़प को लेकर एक बार फिर महापंचायत बुलाई गई है. ये महापंचायत खेदड़ के शहीद रामेहर सिंह स्टेडियम में हो रही (Shaheed Ramehar Singh Stadium of Khedar) है. इस महापंचायत में किसान नेता राकेश टिकैत, गुरुनाम चढूनी समेत तमाम नेता भी पहुंचे हैं.
श्रद्धांजलि देने के लिए मृतक धर्मपाल का शव भी पंचायत में रखा गया है. मृतक धर्मपाल के शव का अभी तक दाह संस्कार भी नहीं किया गया है. ग्रामीणों का कहना है कि जब तक उनकी मांगों को नहीं माना जाता, तब तक उनका धरना जारी रहेगा. इस पूरे मसले को लेकर कमेटी और सरकारी अधिकारियों के बीच कई बार बात हो चुकी है, लेकिन अभी तक कोई सहमति नहीं बनी है. ग्रामीणों की तरफ से प्रशासन को 72 घंटे का अल्टीमेटम दिया गया था जो कि आज खत्म हो गया. लिहाजा 13 जुलाई को खेदड़ धरना स्थल पर प्रदेश स्तरीय महापंचायत बुलाई गई है.
माना जा रहा है कि महापंचायत में मृतक धर्मपाल के अंतिम संस्कार और धरने की आगामी रणनीति को लेकर (mahapanchayat in hisar) फैसला लिया जाएगा. खबर है कि इस महापंचायत में रेलवे ट्रैक रोकने का फैसला लिया जा सकता है. अगर ऐसा होता तो एक बार फिर से पुलिस और ग्रामीण आमने-सामने होंगे. बता दें कि खेदड़ थर्मल प्लांट से पूरे हरियाणा में बिजली दी जाती है. इस विवाद की वजह से बिजली उत्पादन रुक सकता है. अगर ऐसा होता है तो पूरे हरियाणा में बिजली की किल्लत पैदा हो सकती है.
खेदड़ थर्मल प्लांट राख मामला: खेदड़ प्लांट की राख के लिए थर्मल प्रबंधन ने टेंडर निकाला हुआ है. थर्मल प्लांट में कोयला जलने के बाद बनी इसी राख के उठान को लेकर थर्मल प्रबंधन और ग्रामीणों में तनातनी चल रही है. थर्मल प्रबंधन ने राख को बेचने के लिए जब से टेंडर निकाला है. ग्रामीण इसका विरोध कर रहे हैं. ग्रामीण राख उन्हें देने की मांग कर रहे हैं. इसी मांग को लेकर ग्रामीण पिछले 88 दिन से भी ज्यादा समय से धरना दे रहे हैं. शुक्रवार को इसी मामले पर पुलिस और ग्रामीणों में भिड़ंत हो गई थी. इससे पहले 31 मई को भी पुलिस और गांव वालों में टकराव हो चुका है. इस दिन भी पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर वाटर कैनन का इस्तेमाल किया था. जिसमें कई गांव वाले घायल हो हुऐ थे.
क्या है पूरा मामला? साल 2010 में खेदड़ थर्मल प्लांट शुरू हुआ था. तब प्लांट से निकलने वाली कोयले की राख उनके लिए बड़ी समस्या थी. थर्मल प्लांट से बातचीत के बाद गांव वालों ने उस राख को उठाना शुरू किया. गांव वाले धीरे-धीरे उस राख से होने वाले मुनाफे से एक गौशाला का निर्माण कर उसे चलाने लगे. आज के समय में राख का इस्तेमाल सीमेंट बनाने में इस्तेमाल होने लगा है. इसके चलते उसका दाम बढ़ गया. राख का दाम बढ़े तो खेदड़ थर्मल प्लांट ने उससे मुनाफा कमाने के लिए कंपनियों को बेचने का निर्णय लिया. ग्रामीण इसी का विरोध कर रहे हैं. गांव वालों का कहना है कि जब राख फालतू थी तो हम उठा रहे थे. आज मुनाफा आया तो खुद बेचने लगे. राख बेचने के मुनाफे से बनाई गई उस गौशाला में करीब 1000 गाय हैं. गौशाला ने राख हटाने के लिए लाखों रुपए की मशीनें भी खरीदी हैं. अब थर्मल पावर प्लांट उसका टेंडर जारी कर रहा है.