हिसार: सिर्फ इंसानों में ही नहीं बल्कि पशुओं में भी हार्ट अटैक के मामले बढ़ रहे हैं. गाय, भैंस जैसे बड़े पशु की हार्ट अटैक से मौत हो रही है. हिसार में स्थित लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं विज्ञान विश्वविद्यालय में चल रहे शोध (research on heart attack in animals in hisar) में ये बात सामने आई है. विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक डॉक्टर तरुण ने बताया कि अक्सर कुत्तों और बिल्लियों में तो इंसानों जैसी सामान्य बीमारियां पाई जाती थी, लेकिन अब हमने शोध में ये पता लगाया है कि गाय और भैंस जैसे फालतू बड़े पशुओं में भी दिल की बीमारियां बढ़ने लगी हैं.
ये बीमारियां पहले भी होती रही हैं, लेकिन पहले ध्यान नहीं दिया जाता था. जैसे इंसानों में ईसीजी या इकोकार्डियोग्राफी की जाती है. वैसी मशीन पशुओं के लिए भी हिसार में स्थित लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं विज्ञान विश्वविद्यालय (lala lajpat rai university hisar) में लगाई गई है. जिसकी मदद से पशुओं की इकोकार्डियोग्राफी की जाती है. इसी के जरिए पता चलता है कि हृदय रोग कितना ज्यादा बढ़ गया है और उसका क्या इलाज किया जा सकता है.
पशुओं में बढ़ रहे हैं हार्ट अटैक के मामले: पशु चिकित्सक डॉक्टर तरुण ने बताया कि ये एक बड़ा कदम है. जिसमें हम पशुओं में होने वाले दिल के रोगों को लेकर रिसर्च कर रहे हैं, ताकि हम बड़े पशुओं को भी बचा सकें. उन्होंने कहा कि छोटे पशुओं पर हमारी रिसर्च (research on heart attack in animals in hisar) चल रही है. हमारे कई छात्र बड़े पशुओं में हृदय रोग पर रिसर्च कर रहे हैं, हमने इकोकार्डियोग्राफी के जरिए ही इनमें फाइनल डायग्नोसिस दिया है.
पिछले एक-दो साल में हमने जो रिसर्च की है. उसमें दिल से जुड़े काफी ज्यादा मामले सामने आए हैं. ब्लड बायो कैमिस्ट्री, कार्डियो बायो मार्कर के जरिए भी हम डायग्नोसिस कर रहे हैं. जिसमें पता लगता है कि हृदय रोग की वजह से पशु बीमार है या नहीं. इससे पहले सिर्फ ये देखा जाता था कि कोई नुकीली चीज हृदय में सुराख कर गई है कि नहीं, लेकिन अब रिसर्च में अन्य कारण भी सामने आने लगे. हम पिछले 3 से 4 साल से इस विषय पर काम कर रहे हैं और जल्द ही रिसर्च पेपर पब्लिश करेंगे. -डॉक्टर तरुण, पशु वैज्ञानिक
क्या होती है इकोकार्डियोग्राफी? ईसीजी एक ऐसा टेस्ट है जो दिल की फंक्शनिंग को इलेक्ट्रिक गतिविधियों में दर्ज करता है. हृदय की प्रत्येक धड़कन एक विद्युत आवेग की वजह से होती है. इकोकार्डियोग्राम के जरिए दिल की विद्युत गतिविधि की एक तस्वीर को रिकॉर्ड किया जाता है. इस ग्राफ में इलेक्ट्रिक एक्टिविटी एसएससी पेपर पर ऊपर नीचे लहरों के रूप में दिखती हैं. जिन्हें देख कर डॉक्टर दिल की फंक्शनिंग को टेस्ट करते हैं. हृदय रोग का पता लगाने के लिए डॉक्टर सबसे पहले यही टेस्ट करते हैं. अब पशुओं में भी हृदय रोग पता लगाने के लिए इस तरह की तकनीक का बड़े स्तर पर हिसार पशु एवं चिकित्सा विश्वविद्यालय में प्रयोग किया जा रहा है.
हिसार के लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं विज्ञान विश्वविद्यालय में चल रहे शोद में ये सामने आए हैं कि पिछले कई सालों से पशुओं में हार्ट अटैक की बीमारी या बढ़ी है. इसकी वजह से अचानक पशु की मौत हो जाती है. इन मामलों के ज्यादातर आंकड़े रिकॉर्ड में दर्ज नहीं होते, क्योंकि ग्रामीण क्षेत्र में पशुओं को बेहद कम अस्पतालों तक ले जाया जाता है. अधिकतर मामलों में पशुओं में कोई दिक्कत होने पर ही घर जाकर झोलाछाप डॉक्टर इलाज करते हैं. पशुओं की मौत होने पर उन्हें दफना दिया जाता है. जिसकी वजह से उनकी बीमारियों का पता नहीं चल पाता.
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