हिसार: खेदड़ प्लांट राख विवाद (khedar plant ash dispute) खत्म हो गया है. बुधवार को प्रशासन और ग्रामीणों की तरफ से बनाई गई कमेटी के बीच सहमति बन गई है. प्रशासन ने ग्रामीणों की सारी मांगें मान ली हैं. वीरवार को युवाओं पर दर्ज मुकदमे वापस होंगे. युवाओं की जमानत के बाद ही मृतक धर्मपाल का अंतिम संस्कार किया जाएगा. प्रशासन और ग्रामीणों में मृतक के परिवार को नौकरी और मुआवजा राशि देने पर भी सहमति बनी है. खेदड़ पावर प्लांट की राख (khedar power plant ash case) उठान मामले पर भी सहमति बन गई है.
गौशाला को राख उठान को लेकर 37 रुपये प्रति टन देना होगा. किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने ये जानकारी दी. उन्होंने कहा कि अगर गिरफ्तार युवा कल आ जाएंगे तो कल मृतक का अंतिम संस्कार होगा. अगर वो परसों बाहर आते हैं तो परसों मृतक धर्मपाल का अंतिम संस्कार होगा. उन्होंने बताया कि 15 दिन के अंदर दर्ज मुकदमे वापस लिए जाएंगे. किसान नेता गुरनाम चढूनी ने कहा कि अगर प्रशासन ने कहीं भी वादाखिलाफी की तो, फिर से धरना फिर शुरू कर दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि धर्मपाल के अंतिम संस्कार होने तक धरना जारी रहेगा. तक तक उनका शव खेदड़ गौशाला में रखा जाएगा.
इन बातों पर हुआ समझौता:
- युवाओं और किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस हों
- युवाओं की जमानत होने के बाद ही मृतक धर्मपाल का अंतिम संस्कार किया जाएगा
- मृतक परिवार को नौकरी और मुआवजा देने पर बनी सहमति
- राख उठान को लेकर 37 रुपये प्रति टन गौशाला को मिलेगा
- मृतक के अंतिम संस्कार तक धरना जारी रहेगा, खेदड़ गौशाला में रखा जाएगा धर्मपाल का शव
बुधवार को क्या हुआ? अपनी मांगों को लेकर ग्रामीणों ने बुधवार को महापंचायत की. जिसमें प्रशासन को शाम 4 बजे तक का अल्टीमेटम दिया. ग्रामीणों ने कहा कि अगर 4 बजे तक प्रशासन ने उनकी मांगें नहीं मानी तो 4 बजे के बाद मृतक धर्मपाल के शव को लेकर सड़क पर बैठा जाएगा और सड़क जाम कर प्रदर्शन किया जाएगा. महापंचायत के फैसले के बाद ही प्रशासन अलर्ट हो गया और धरना कमेटी को बातचीत के लिए बुलाया.
एक तरफ प्रशासन की कमेटी के साथ बातचीत चल रही थी तो दूसरी तरफ 4 बजते ही ग्रामीण शव को पंचायत स्थल से उठाकर सड़क ले आए और सड़क जाम कर प्रदर्शन शुरू कर दिया. करीब 2 घंटे तक ग्रामीणों ने बरवाला भूना अमरोहा रोड जाम रखा. इस बीच कमेटी और प्रशासन के भी चल रही वार्ता में दोनों पक्षों के बीच समझौता हो गया. कमेटी के सदस्यों ने धरना स्थल पर आकर समझौते के बारे में बताया और लोगों की सहमति लेकर धरने को खत्म किया.
कैसे शुरू हुआ विवाद? खेदड़ प्लांट की राख के लिए थर्मल प्रबंधन ने टेंडर निकाला था. थर्मल प्लांट में कोयला जलने के बाद बनी इसी राख के उठान को लेकर थर्मल प्रबंधन और ग्रामीणों में तनातनी चल रही थी. थर्मल प्रबंधन ने राख को बेचने के लिए जब से टेंडर निकाला था. ग्रामीण इसका विरोध कर रहे थे. ग्रामीण राख खुद देने की मांग कर रहे थे. इसी मांग को लेकर ग्रामीण पिछले 90 दिन से भी ज्यादा समय से धरना दे रहे थे. शुक्रवार को इसी मामले पर पुलिस और ग्रामीणों में भिड़ंत हो गई थी. जिसमें एक किसान की मौत हो गई थी, बेकाबू होती भीड़ पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया था. जिसमें कई लोग घायल हुए थे.
क्या है पूरा मामला? साल 2010 में खेदड़ थर्मल प्लांट शुरू हुआ था. तब प्लांट से निकलने वाली कोयले की राख उनके लिए बड़ी समस्या थी. थर्मल प्लांट से बातचीत के बाद गांव वालों ने उस राख को उठाना शुरू किया. गांव वाले धीरे-धीरे उस राख से होने वाले मुनाफे से एक गौशाला का निर्माण कर उसे चलाने लगे. आज के समय में राख का इस्तेमाल सीमेंट बनाने में इस्तेमाल होने लगा है. इसके चलते उसका दाम बढ़ गया. राख का दाम बढ़े तो खेदड़ थर्मल प्लांट ने उससे मुनाफा कमाने के लिए कंपनियों को बेचने का निर्णय लिया. ग्रामीणों ने इसी का विरोध करना शुरू किया. गांव वालों का कहना था कि जब राख फालतू थी तो हम उठा रहे थे. आज मुनाफा आया तो खुद बेचने लगे. राख बेचने के मुनाफे से बनाई गई उस गौशाला में करीब 1000 गाय हैं. गौशाला ने राख हटाने के लिए लाखों रुपए की मशीनें भी खरीदी हैं. अब थर्मल पावर प्लांट उसका टेंडर जारी कर रहा है. इसी बात को लेकर ग्रामीण थर्मल प्लांट प्रबंधकों से खफा थे.