हिसार: बाजार से खरीदी जाने वाली लगभग हर चीज पर उत्पादन और एक्सपायरी डेट लिखी होती है. साथ ही कई निर्देश भी उस प्रोडक्ट पर लिखे होते हैं. ये इसलिए जरूरी होता है ताकि आपको ये जानकारी मिल सके कि आप वो प्रोडक्ट कब तक और कैसे इस्तेमाल कर सकते हैं?
प्रोडक्ट बनाने वाली कंपनियों के लिए कई तरह के नियम भी बनाए गए हैं. जिसकी पालना करना जिला खाद्य सुरक्षा अधिकारी की ड्यूटी होती है. इसके लिए बकायदा हरियाणा राज्य में सीएम फ्लाइंग को भी अधिकृत किया है. वो खाद्य सुरक्षा अधिकारी को साथ लेकर किसी भी जगह पर छापेमारी कर सकती है.
लापरवाही पर कंपनी पर जुर्माने का प्रावधान
बता दें कि, हर जिले में फूड एक्ट के लिए मजिस्ट्रेट अतिरिक्त उपायुक्त होते हैं. अगर किसी तरह की फूड में मिस ब्रांडिंग या फिर अन्य खामियां पाई जाती हैं तो अतिरिक्त उपायुक्त की कोर्ट में ही मुकदमा चलता है. हिसार जिले में भी सीएम फ्लाइंग और जिला खाद्य सुरक्षा अधिकारी की ओर से समय-समय पर छापेमारी कर सैंपल लैब में जांच के लिए भेजे जाते हैं. जांच रिपोर्ट में खामी पाए जाने पर मामले को अतिरिक्त उपायुक्त कोर्ट में भेजा जाता है. जहां 3 से 5 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जाता है. जिले में कई मामलों में जुर्माना भी हो चुका है.
मिस ब्रांडिंग क्या होती है?
खाद्य सुरक्षा अधिकारी की ओर से की गई छापेमारी में अधिकतर मामले मिस ब्रांडिंग के सामने आते हैं. जिस उत्पाद पर नियम अनुसार एक्सपायरी डेट या मेन्युफेक्चरिंग डेट इत्यादि सही तरीके से नहीं लिखी होती या फिर पाई ही नहीं जाती या फिर उस उत्पाद पर एफएएसएसआई से पंजीकृत होने का लोगो भी नहीं होता. ऐसे मामलों को मिस ब्रांडिंग कहा जाता है. इस तरह के बहुत से मामले आमतौर पर सामने आते हैं.
दुकानों पर घूमने से सामने आया कि शहर में कई छोटे-बड़े दुकानदार विभिन्न प्रकार की अमानक खाद्य सामग्री बेच रहे हैं. इन खाद्य सामग्री की पैकिंग पर एक्सपायरी डेट और कंपनी का नाम तक नहीं होता है, जबकि अधिकांश बच्चे इन पैक खाद्य पदार्थों को बड़े ही रोचक तरीके से खाते हैं. स्नैक्स बनाने वाले लोकल व्यापारी पैक बंद उत्पाद खासकर बच्चों के लिए तैयार कर रहे हैं और ऐसे अमानक उत्पादों को धड़ल्ले से बाजार में बेचा जा रहा है. इस हाल में बिना नियम कानून के बेची जा रही खाद्य सामग्री न केवल बच्चों की सेहत बिगाड़ सकती है, बल्कि जानलेवा भी हो सकती है.
घोर लापरवाही पर हो सकती है सजा और जुर्माना
अगर किसी खाद्य सामग्री के पैकेट पर एक्सपायरी डेट नहीं है. इसके अलावा पैकिंग का तरीका असुरक्षित है और बैज नंबर और पता भी उल्लेखित नहीं है तो इसे न केवल घोर लापरवाही माना जाएगा, बल्कि नियमों का पालन नहीं करने वाले दुकानदार और कंपनी के खिलाफ 3 से 5 लाख रुपये तक जुर्माना करने का प्रावधान है.
फूड पैकेजिंग एक्सपर्ट गुरु जंभेश्वर विश्वविद्यालय के फूड पैकेजिंग टेक्नोलॉजी विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर नेहा यादव का कहना है कि लोग पैकेट प्रोडक्ट को बहुत बार ऑफर देख कर खरीद लेते हैं. ये नहीं देखते कि उनकी एक्सपायरी डेट कितनी है. ज्यादातर ऑफर एक के साथ एक फ्री का होता है और उनकी एक्सपायरी डेट बहुत नजदीक होती है.
ये भी पढ़िए: कितना सुरक्षित है बोतल और कैंपर वाला मिनरल वॉटर? ये रिपोर्ट खोल देगी आंखें
फूड पैकेजिंग एक्सपर्ट ने कहा कि पैक्ड फूड खरीदने से पहले ये जरूर चेक करना चाहिए कि क्या आप एक्सपायरी डेट से पहले उस सारे प्रोडक्ट को यूज कर सकते हैं? बहुत बार प्रोडक्ट घर में रखे-रखे एक्सपायर हो जाते हैं, जिससे पैसे का भी नुकसान होता है और हेल्थ को भी नुकसान होता है. एफएसएसएआई (फूड सेफ्टी स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया) का लोगो देखकर ही प्रोडक्ट खरीदें.
आउटडेटेड फूड की पहचान ऐसे करें
आउटडेटेड फूड मार्केट में बेचने के सवाल पर नेहा यादव ने कहा कि अगर प्रोडक्ट को रीपैक किया गया है तो बाहरी रैपर देखकर आसानी से अंदाजा नहीं लगाया जा सकता, लेकिन अंदर से फूड की स्मेल या उसके पैकेट के अंदर हवा का ना होना और पैकेट खुला हुआ होना जैसे लक्षण से ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि वो फूड सही है या नहीं. कई बार प्रोडक्ट धूप में रखे रहने से भी खराब हो जाते हैं और खास तौर पर ऐसा देखा जाता है कि दुकानों के बाहर चिप्स और अन्य प्रोडक्ट के पैकेट बाहर धूप में ही लगे रहते हैं, जिससे उनकी गुणवत्ता पर असर पड़ता है.
ये भी पढ़िए: हरियाणा में स्कूल खुलने के बाद भी नहीं आ रहे बच्चे, पैरेंट्स बोले- वैक्सीन मिलने के बाद ही भेजेंगे
उन्होंने कहा कि फ्राइड फूड लंबे समय तक रखा रहने से उसके ऑयल पार्टिकल टूट जाते हैं और तेल प्रोडक्ट से अलग हो जाता है. उससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि ये सही तरीके से नहीं रखा गया और अब प्रयोग करने योग्य नहीं बचा है.