हिसार: जिले में अश्व अनुसंधान संस्थान को एक प्रोजेक्ट मिला है. करीब साढ़े तीन करोड़ रुपये के इस प्रोजेक्ट के तहत देश के विभिन्न अनुसंधान केंद्र मिलकर काम करेंगे. यह प्रोजेक्ट नेशनल एग्रीकल्चर साइंस फंड की तरफ से स्वीकृत किया गया है.
केंद्रीय अश्व अनुसंधान संस्थान में वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. बलदेव गुलाटी ने बताया कि इस प्रोजेक्ट के तहत देश के अलग-अलग हिस्सों जैसे करनाल, बरेली, भोपाल आदि में स्थित अनुसंधान केंद्रों में अलग-अलग पशुओं पर काम किया जाएगा. इस प्रोजेक्ट के तहत सर्वे होगा कि कौन से पशु में कौन-कौन से कोविड वायरस होते हैं.
इन वायरस की संरचना इंसानों में होने वाले वायरस से कैसे भिन्न है. डॉ. बलदेव गुलाटी ने बताया कि प्रोजेक्ट में गाय, भैंस, घोड़े, सूअर, जंगली जानवर आदि को शामिल किया जाएगा. डॉ. बलदेव गुलाटी ने बताया कि इस प्रोजक्ट में पक्षी शामिल नहीं होंगे.
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केंद्रीय अश्व अनुसंधान संस्थान में वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. बलदेव गुलाटी ने बताया कि ऐसा माना जाता है कि कोविड 19 वायरस चमगादड़ से अन्य पशुओं में आया होगा. उन्होंने बताया कि लगातार चली प्रक्रिया में वायरस में परिवर्तन होते गए और फिर यह मनुष्य में आ गया.
ऐसे में यह अनुसंधान का विषय है कि कोविड 19 की उत्पत्ति कहां से हुई. इसी को लेकर दुनिया भर में शोध हो रहे हैं. इसी कड़ी में हमें भी पशुओं में कोविड वायरस पर अध्ययन करने के लिए प्रोजेक्ट मिला है.
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