हिसार: वेस्टर्न डिस्टर्बेंस के कारण हरियाणा के मौसम ने पलटी मार ली है. शुक्रवार रात को हिसार व इसके आसपास के एरिया में मौसम में काफी बदलाव देखा गया. रातभर हल्की-हल्की बारिश का सिलसिला जारी (Rain in Hisar) रहा. इसके अलावा दक्षिण-पूर्वी हवाओं ने मौसम में ठंडक बढ़ा दी है. हवा की रफ्तार तेज होने के कारण कोहरा जम नहीं पाया है जिस वजह से विजिबिलीटी साफ रही
अब अगले 2 दिन तक प्रदेश के अधिकतर जिलों में बदलवाई ही रहने की संभावना है. इससे दिन के तापमान हल्की गिरावट और रात्रि तापमान में बढ़ोतरी होगी. शुक्रवार को हिसार जिले में 16.4 अधिकतम तापमान रहा, जो सामान्य से 5 डिग्री कम था. वहीं न्यूनतम तापमान 6.4 डिग्री रहा, जो सामान्य से 1 डिग्री कम रहा. वहीं बारिश के बाद प्रदेश में अधिकतम औसत तापमान 12 डिग्री सेल्सियस लगभग पहुंचने की संभावना है. मौसम विभाग ने उत्तर हरियाणा यानी पंचकूला, अंबाला यमुनानगर कुरुक्षेत्र कैथल, करनाल में ऑरेंज अलर्ट जारी किया है.
मौसम विभाग की मानें तो यहां भारी बारिश और ओलावृष्टि के साथ -साथ 30 से 40 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से तेज हवाएं चलने की संभावना है. इसके अलावा दक्षिण और दक्षिण पूर्व हरियाणा में पड़ने वाले जिले महेंद्रगढ़, रेवाड़ी, गुरूग्राम, झज्जर, फरीदाबाद, रोहतक, नूंह, पलवल, सोनीपत, पानीपत, भारी बारिश के साथ तेज हवाएं चल सकती हैं. वहीं पश्चिम और दक्षिण पश्चिम हरियाणा- येलो अलर्ट जारी किया गया है. मौसम विभाग की तरफ से सिरसा, फतेहाबाद, हिसार, जींद भिवानी, चरखी दादरी में भी ओलावृष्टि और बारिश की संभावनाएं हैं.
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हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि मौसम विभाग के अध्यक्ष डॉ. मदन लाल खीचड़ ने बताया कि पश्चिमी विक्षोभ के आंशिक प्रभाव से प्रदेश के ज्यादातर क्षेत्रों में 22 जनवरी को हवाओं के साथ तेज बारिश होने की संभावना है. 23 जनवरी को पूर्वी हरियाणा के जिलों और एनसीआर दिल्ली पर प्रभाव ज्यादा रहेगा. 24 जनवरी से इस मौसमी प्रणाली का प्रभाव सूबे से हटाना शुरू हो जाएगा. सोमवार तक मौसम साफ होने की संभावनाएं हैं.मौसम विज्ञान विभाग ने शनिवार और रविवार को हिसार व आस-पास के एरिया में 6 एमएम तक बारिश होने की संभावना जताई है.
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हिसार में करीब दो लाख से ज्यादा हेक्टेयर क्षेत्र में किसानों की सरसों की फसल तैयार है. हवा की रफ्तार तेज होने व नमी के कारण सरसों की जड़ें उखड़ सकती हैं. इसके अलावा फूल व फलियां भी टूटकर गिर सकती हैं, जिससे पैदावार पर असर पड़ेगा. ओलावृष्टि की संभावना ने भी किसानों के चेहरे पर चिंता की लकीरें बढ़ा दी है. अगर ओलावृष्टि या अगर तेज हवाओं के साथ बरसात होती है तो अगेती सरसों के साथ गेहूं की फसल भी खराब हो सकती है.
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