हिसार: हरियाणा में कड़ाके की सर्दी का सितम जारी है. हिसार में कड़ाके की ठंड पड़ने के साथ ही पाला पढ़ना भी शुरू हो चुका है. जहां दिन में तेज धूप निकलती है. तो वहीं रात में हाड कंपा देने वाला पाला पड़ता है. मौसम वैज्ञानिकों की मानें तो हिसार में 12 सालों का रिकॉर्ड टूट चूका है. जनवरी महीने में माइनस में तापमान कभी नहीं पहुंचा है. लेकिन 2023 की जनवरी में ऐसा हुआ है. हिसार के बालसमंद का रात्रि तापमान -0.2°C तक गिर गया. बर्फीली हवाएं और पाला पड़ने के कारण फसलों पर जमने वाली बर्फ से किसानों को सरसों के नुकसान का डर सताने लगा है.
पश्चिमी शीत हवाओं के चलने से हरियाणा राज्य के ज्यादातर क्षेत्रों में रात्रि तापमान में गिरावट दर्ज की गई है. पिछले तीन दिनों से तेज ठंडी हवाएं चल रही है. जिससे राज्य के उत्तर पश्चिम तथा दक्षिण क्षेत्र के कुछ जिलों में पाला भी पड़ा. पाले ने फसलों को सफेद बर्फ सी चादर सा ढक दिया है. भारत मौसम विज्ञान विभाग के आंकड़े अनुसार राज्य में सब से कम रात्रि तापमान -0.4 डिग्री सेल्सियस महेंद्रगढ़ का रहा. वहीं रात के समय बालसमंद जिला हिसार का तापमान-0.2 डिग्री सेल्सियस रहा जबकि चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्विद्यालय की कृषि मौसम वेधशाला में न्यूनतम रात्रि तापमान 1.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया.
हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के मौसम वैज्ञानिक मदनलाल ने बताया कि राज्य में मौसम आमतौर पर 18 जनवरी तक खुश्क रहने तथा उत्तरी व उत्तरपश्चिमी शीत हवाएं चलने की संभावना है. जिससे रात्रि तापमान में और गिरावट दर्ज होने की संभावना है. इस दौरान उत्तरपश्चिमी तथा दक्षिण क्षेत्र के जिलों हिसार, सिरसा, फतेहाबाद, भिवानी, महेंद्रगढ़, रेवाड़ी, गुरुग्राम,मेवात आदि जिलों में कहीं-कहीं पाला पड़ने की संभावना बनी हुई है. इस दौरान दिन के तापमान में हल्की बढ़ोतरी दर्ज होने की संभावना है.
फसलों को पाले से बचाएं: पाले का हानिकारक प्रभाव अगेती सरसों, सब्जियों की फसल आलू, मिर्च, टमाटर, बैंगन, नर्सरी तथा छोटे फलदार पौधों पर पड़ सकता है. इससे बचाव के लिए यदि पानी उपलब्ध हो तो विशेषकर उपरलिखित फसलो, सब्जियों व फलदार पौधो में सिंचाई करें ताकि जमीन का तापमान बढ़ सके. किसान खेत के किनारे पर तथा 15 से 20 फ़ीट की दूरी के अंतराल पर जिस और से हवा आ रही है.
रात्रि के समय कूड़ा कचरा सुखी घास आदि एकत्रित कर धुआं करना चाहिए ताकि वातावरण का तापमान बढ़ सके जिससे पाले का हानिकारक प्रभाव न पड़े. सीमित क्षेत्र में लगी हुई फल व सब्जियों की नर्सरी को टाट, पॉलीथिन व भूसे से ढके. इन उपरलिखित उपायों से फसलो, सब्जियों व फलदार पौधों को पाले से होने वाले नुकसान से बचाया जा सकता है.
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ऐसे जमता है पाला: सर्द मौसम में जब तापमान हिमांक पर या इससे नीचे चला जाता है तब वायु में उपस्तिथ जलवाष्प बिना द्रव रूप में परिवर्तित न होकर सीधे ही सूक्ष्म हिमकणों में परिवर्तित हो जाते हैं. इसे ही पाला पड़ना या बर्फ जमना कहा जाता है. दोपहर बाद हवा के न चलने तथा रात में आसमान साफ रहने पर पाला पड़ने की संभावना ज्यादा रहती है. राज्य में पाला आमतौर पर दिसम्बर से फरवरी के महीने में ही पड़ने की संभावना बनी रहती है.
पाले के कारण फसलो, सब्जियों व छोटे फलदार पौधों व नर्सरी पर इसका हानिकारक प्रभाव पड़ता है. फसलो व सब्जियो व छोटे फलदार तनों , फूलो, फलों में उपस्तिथ द्रव बर्फ के रुप में जम जाता है तथा ये पौधों की कोशिकाओं को नष्ठ कर देते हैं और पत्तियों को झुलसा देता है.
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