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हरियाणा में अगले 5 दिनों तक नहीं होगा मानसून सक्रिय, जानें मौसम वैज्ञानिकों ने किसानों को क्या दी सलाह

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Published : Jun 21, 2021, 10:59 PM IST

हरियाणा में मानसून को लेकर मौसम वैज्ञानिकों ने जानकारी देते हुए बताया है कि अगले कुछ दिनों तक आंशिक बादल छाए रहने की संभावना है जिससे तापमान में थोड़ा इजाफा होगा और अभी बारिश नहीं होगी, वहीं किसानों के लिए भी कृषि मौसम विज्ञान विभाग ने कुछ अहम जानकारी दी है.

Haryana Monsoon update
हरियाणा में अगले 5 दिनों तक नहीं होगा मानसून सक्रिय, जानें मौसम वैज्ञानिकों ने किसानों को क्या दी सलाह

हिसार: चौधरी चरणसिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि मौसम विज्ञान विभाग द्वारा मॉनसून की स्थिति को लेकर डॉ. एम एल खीचड़ ने बताया कि पश्चिमीविक्षोभ के प्रभाव से ज्यादा ऊंचाई वाली पाश्चिमी हवायों के चलने से बंगाल की तरफ से नमी वाली पुरवाई मॉनसूनी हवाएं की सक्रियता कम हो जाने से मॉनसून की उत्तरी सीमा बाड़मेर, भीलवाड़ा, धौलपुर, अलीगढ़, मेरठ, अम्बाला, अमृतसर तक बढ़ी है. उन्होंने बताया कि 9 से 21 जून के बीच हरियाणा राज्य के उत्तर पाश्चिमी और दक्षिण के कुछ एक क्षेत्रों में छिटपुट बूंदाबांदी और हल्की बारिश दर्ज हुईं.

डॉ. एम एल खीचड़ ने बताया कि मॉनसूनी हवायों के हरियाणा की तरफ आगे बढ़ने के लिए अनुकूल मौसमी परिस्थितियां न बनने और मॉनसून टर्फ उत्तर में ऊपर हिमालय की तरफ बढ़ने की संभावना से मॉनसूनी हवायों की सक्रियता अगले चार से पांच दिनों तक न होने की संभावना है. जिससे हरियाणा में मौसम आमतौर पर 25 जून तक परिवर्तनशील और खुश्क लेकिन बीच-बीच में आंशिक बादल छाए रहने की संभावना है. इस दौरान दक्षिण पश्चिमी हवाएं चलने के कारण तापमान में भी हल्की बढ़ोतरी होने की संभावना है. वहीं मौसम विभाग द्वारा किसानों को भी कुछ सलाह दी गई है जिससे उन्हें इस मौसम में खेती करने में काफी आसानी होगी.

ये भी पढ़ें: मानसून से पहले चंडीगढ़ तैयार, अंडरग्राउंड ड्रेनेज सिस्टम नहीं होने देगा जलभराव

मौसम आधारित कृषि सलाह

  • मौसम में नमी की अधिकता और बादलवाई लगातार रहने के कारण अगेती नरमा/कपास और सब्जियों की फसल में कीटों और रोगों का प्रकोप होने की संभावना को देखते हुए किसान फसलों की लगातार निगरानी रखें. यदि प्रकोप दिखाई दे तो दवाइयों का स्प्रे करें.
  • सब्जियों के खेतों में आवश्यकता अनुसार निराई, गुड़ाई कर नमी संचित करें और आवश्यकता अनुसार सिंचाई करें.
  • ग्वार, बाजरा और अन्य खरीफ फसलों के लिए खेत तैयार कर उत्तम किस्मों के बीजों का प्रबंध कर बिजाई शुरू करें. बिजाई से पहले बीजोपचार अवश्य करें.
  • धान की नर्सरी में आवश्यता अनुसार सिंचाई और खाद प्रबन्धन अवश्य करें.
  • यदि नर्सरी में पीलापन आये तो 0.5% जिंकसल्फेट, 0.5% फेरससल्फेट और 2.5% यूरिया का घोल बनाकर छिड़काव करें. ये छिड़काव आवश्यकता अनुसार 4-5 दिनों के अन्तराल पर दोहरायें.
  • धान में बकानी रोग से बचाव के लिए पनीरी को उखाड़ने से 7 दिन पहले 250 ग्राम कार्बेंडाजिम प्रति आधा कनाल नर्सरी क्षेत्र में रेत में मिलाकर पनीरी में एक सार बिखेर दें, पनीरी को खड़े पानी में ही उखाड़ें.
  • धान लगाने के लिए अच्छी तरह से खेत तैयार कर नमी संचित करें, यदि पानी उपलब्ध हो तो धान लगाना शुरू करें.

हिसार: चौधरी चरणसिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि मौसम विज्ञान विभाग द्वारा मॉनसून की स्थिति को लेकर डॉ. एम एल खीचड़ ने बताया कि पश्चिमीविक्षोभ के प्रभाव से ज्यादा ऊंचाई वाली पाश्चिमी हवायों के चलने से बंगाल की तरफ से नमी वाली पुरवाई मॉनसूनी हवाएं की सक्रियता कम हो जाने से मॉनसून की उत्तरी सीमा बाड़मेर, भीलवाड़ा, धौलपुर, अलीगढ़, मेरठ, अम्बाला, अमृतसर तक बढ़ी है. उन्होंने बताया कि 9 से 21 जून के बीच हरियाणा राज्य के उत्तर पाश्चिमी और दक्षिण के कुछ एक क्षेत्रों में छिटपुट बूंदाबांदी और हल्की बारिश दर्ज हुईं.

डॉ. एम एल खीचड़ ने बताया कि मॉनसूनी हवायों के हरियाणा की तरफ आगे बढ़ने के लिए अनुकूल मौसमी परिस्थितियां न बनने और मॉनसून टर्फ उत्तर में ऊपर हिमालय की तरफ बढ़ने की संभावना से मॉनसूनी हवायों की सक्रियता अगले चार से पांच दिनों तक न होने की संभावना है. जिससे हरियाणा में मौसम आमतौर पर 25 जून तक परिवर्तनशील और खुश्क लेकिन बीच-बीच में आंशिक बादल छाए रहने की संभावना है. इस दौरान दक्षिण पश्चिमी हवाएं चलने के कारण तापमान में भी हल्की बढ़ोतरी होने की संभावना है. वहीं मौसम विभाग द्वारा किसानों को भी कुछ सलाह दी गई है जिससे उन्हें इस मौसम में खेती करने में काफी आसानी होगी.

ये भी पढ़ें: मानसून से पहले चंडीगढ़ तैयार, अंडरग्राउंड ड्रेनेज सिस्टम नहीं होने देगा जलभराव

मौसम आधारित कृषि सलाह

  • मौसम में नमी की अधिकता और बादलवाई लगातार रहने के कारण अगेती नरमा/कपास और सब्जियों की फसल में कीटों और रोगों का प्रकोप होने की संभावना को देखते हुए किसान फसलों की लगातार निगरानी रखें. यदि प्रकोप दिखाई दे तो दवाइयों का स्प्रे करें.
  • सब्जियों के खेतों में आवश्यकता अनुसार निराई, गुड़ाई कर नमी संचित करें और आवश्यकता अनुसार सिंचाई करें.
  • ग्वार, बाजरा और अन्य खरीफ फसलों के लिए खेत तैयार कर उत्तम किस्मों के बीजों का प्रबंध कर बिजाई शुरू करें. बिजाई से पहले बीजोपचार अवश्य करें.
  • धान की नर्सरी में आवश्यता अनुसार सिंचाई और खाद प्रबन्धन अवश्य करें.
  • यदि नर्सरी में पीलापन आये तो 0.5% जिंकसल्फेट, 0.5% फेरससल्फेट और 2.5% यूरिया का घोल बनाकर छिड़काव करें. ये छिड़काव आवश्यकता अनुसार 4-5 दिनों के अन्तराल पर दोहरायें.
  • धान में बकानी रोग से बचाव के लिए पनीरी को उखाड़ने से 7 दिन पहले 250 ग्राम कार्बेंडाजिम प्रति आधा कनाल नर्सरी क्षेत्र में रेत में मिलाकर पनीरी में एक सार बिखेर दें, पनीरी को खड़े पानी में ही उखाड़ें.
  • धान लगाने के लिए अच्छी तरह से खेत तैयार कर नमी संचित करें, यदि पानी उपलब्ध हो तो धान लगाना शुरू करें.
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