हिसार: हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड भिवानी ने 10 जुलाई को 10वीं की परीक्षा का परिणाम घोषित किया था. जिसमें कुल 64.59 फीसदी बच्चे पास हुए. विवाद तब पैदा हुआ जब बोर्ड ने हिसार के चौधरीवास गांव में रहने वाली दिव्यांग छात्रा सुप्रिया के गणित के पेपर में 100 में से मजह 2 नंबर दिए.
जब सुप्रिया ने गणित के पेपर को रिचेक करवाया तो उसे भिवानी बोर्ड ने 100 में 100 अंक दिए. हरियाणा बोर्ड की इस लापरवाही से सुप्रिया और उनके परिजनों में खासा रोष है. सुप्रिया ने मांग की है कि उन्हें रिचेकिंग की फीस वापस दी जाए.
बता दें कि सुप्रिया की आंखों की रोशनी कम है. जिस वजह से उसे दिव्यांग की श्रेणी में रखा गया है. ऐसे विद्यार्थियों के लिए नियम है कि वो अपने साथ परीक्षा में राइटर ले जाते हैं. उनकी परीक्षा भी अलग से सबमिट और चेक होती है. लेकिन बोर्ड ने सुप्रिया की परीक्षा नॉर्मल बच्चों की कॉपी के साथ चेक कर दी. जिसकी वजह से ये गलती हुई. सुप्रिया की बहन भी हरियाणा बोर्ड की इस लापरवाही से खासी नाराज दिखीं.
जब से सुप्रिया को पता चला कि गणित के पेपर में उसके सिर्फ 2 नंबर आए हैं. वो ना तो ढंग से खाना खा रही थी और ना ही ढंग से सो पा रही थी. संगीत के जरिए वो खुद को संभालने की कोशिश करतीं. सुप्रिया के पिता छाज्जू राम निजी स्कूल में गणित के शिक्षक हैं. उन्होंने कहा कि बोर्ड के चक्कर काटने और फार्म भरने में करीब पांच हजार रुपये उनके खर्च हुए. जिससे उनको आर्थिक नुकसान तो हुआ ही साथ ही पूरे परिवार को मानसिक रूप से परेशानी झेलनी पड़ी.
ये भी पढ़ें- ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में बनाई गई कोविशील्ड का चंडीगढ़ PGI में होगा परीक्षण
इस मामले में बोर्ड की तरफ से बयान आया कि सुप्रिया ने उत्तर पुस्तिका पर प्रश्न पत्र का नहीं लिखा था. जिसकी वजह से उनका पेपर रूटीन वाले पेपर में चेक हो गया. भिवानी बोर्ड चेयरमैन ने ये भी कहा कि हमने बच्चे से कोई रीचेकिंग की फीस नहीं ली, लेकिन सुप्रिया के पिता ने रीचेकिंग फॉर्म की पेस्लिप भी मीडिया को दिखाई. रीचेकिंग का फार्म भरने के बाद सुप्रिया के कुल अंक 500 में से 489 हैं.